*अंबर में लहराया भगवा हमारा*
घिरे शत्रुओं से चौतरफा निरंतर
खोता ए वर्चस्व आपस में लड़कर
दीप जो मुझे घर करना आडंबर
लगता अंधेरा ना होगा उजाला
छा रहा चारों ओर साया जो काला
सूरज से रोशनी अब जो आएगी
जब तम ए पराजय की जाएगी
भय दुश्मनों की नजर में आएगी
अंबर में लहराया पूज्य भगवा हमारा!!१!!
पन्ना पद्मिनी लक्ष्मी दुर्गा की परछाई
राणा महाराणा शिवाजी की लड़ाई
इतिहास घड़ी कथा अमर बनाई
हजारों थे सैनिक चीता में खड़े जो
नारियां भी थी जौहर बनने अड़े जो
मध्य अंधेरी करे सूरज सी ज्वाला
अंबर में लहराया भगवा हमारा।।२!!
लुटे सोने चिड़िया लुटे मंदिर अब
मीठे महल सारे जो टुटे मंदिर सब
लूटी आबरू लूट गए हैं परिवार
सत्ता के आगे हो गए जो लाचार
जयचंदों की माता खड़ी आज है
आंखों में भरकर आंसु साज है
पर फिर भी इस भरी भीड़ में भी, ढाढस बंधाता
मन के दर्द को छिपाकर हंसी है दिखाता
वर्तमान भूलकर इतिहास गाने
अंबर में लहराया भगवा हमारा।।३!!
जो कल थे डराते, घबराने लगे हैं
हमसे अब लड़ने,कतराने लगे हैं
जो लगे टकराने,जान से जाएंगे
गाथा पुरानी,मुंह की ही खाएंगे
उठा ध्वज, हम आगे बढ़ने लगे हैं
विश्व सारा ,जयकार ,करने लगे हैं
जो कल थे डराते,ओ डरने लगे हैं
अंधेरा मिटाने सूरज भी बने हम
कि इतिहास फिर, अपना दोहराने
अंबर में लहराया भगवा हमारा।।४।।
©पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ®
ओज -व्यंग्य कवि,लेखक
डिंडोरी, मुंगेली, छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057