Friday, August 31, 2018

दसनाम गोस्वामी शव संस्कार

गोस्वामी की शव की संस्कार पुत्र या शिष्य,कुल रीति से संस्कार करें।
शुद्ध जल से स्नान,भभुति, पुष्प आदि से पुजा करें!
चमकाध्याय व नमकाध्याय का पाठ करें, रूद्राष्टाध्यायी, रूद्र शूक्त का उच्चारण उसके आगे शंख की स्थापना करें (शंख मंत्र:-"दरेन्द्र विद्रावय कृष्ण पूरितोभीमष्व नोहरेर्हृदयाति कम्पयन।") शंख जल से शरीर का अभिषेक करें। शिर पर पुष्प (ॐ) भार्जन करें 💐।
नया वस्त्र  (भगवा वस्त्र) धारण करायें,भभूति सारे अंग पर , त्रिपुंड्र चंदन द्वारा तिलक करें, पुष्पमाला, रूद्राक्ष की माला धारण करायें,धूप देकर शरीर को उठाएं, ईशानादिपंचब्रम्हा मय रथ पर स्थापित करें। ॐकार से युक्त पांच सद्योजातादि ब्रह्मा मंत्रों का उच्चारण करते समाधि स्थल पर ले जाएं ("राम नाम सत्य है" यह कहना अनिवार्य नहीं है) ।
प्रणव तथा व्याहुति मंत्र द्वारा समाधि स्थान का पर्यवेक्षण करें 🌺।
समी पत्र,आसन,पंच ब्रम्हा मंत्रों का पाठ,पंचगव्य ,शव प्रोक्षण रूद्र शूक्त एवं प्रणव का उच्चारण कर स्वस्तीवाचन का पाठ बोलते हुए,शव को देवयजन (गड्डे) पर योगासन में बिठाएं,मुख उत्तर-पूर्व की ओर ,पुजा करें "विष्णो हन्यमिदं रक्षस्व":- दाहिने हाथ पर दण्ड!
"प्रजायतये न त्वदेतान्यन्यो:":-जल सहित कमण्डल बाएं हाथ पर!
फिर ब्रह्मा यज्ञानं प्रथमं, दोनों भौं का स्पर्स करें। रूद्र शूक्त का जप करें,धूप दीप दिखाकर, नैवेद्य पूर्वक फिर, वैदिक समाधि गायत्री मंत्र का दोनों कान पर उच्चारण करें (सामान्य गायत्री मंत्र,व हिंदी दोहावली या कवितावली की गायत्री मंत्र से जन्म मरण से मुक्ति नहीं होती है, वैदिक समाधि मंत्र से, शरीर छोड़ चुकी आत्मा पुनः शरीर में प्रवेश कर,पूर्ण रूप से बहिर्गमन कर जाती है और शिवलोक को प्राप्त करती है, जिससे शरीर में आत्मा तत्व की कोई अंश नहीं होने से,मृत व्यक्ति की,भूत प्रेत योनि में प्रवेश होने की संभावना समाप्त हो जाती है,व समाधि केवल योगासन में लगाएं, लिटाने से, मंत्र प्रभावशाली नहीं मानी गई है).
वैदिक समाधि गायत्री मंत्र:- ॐ भूम्यं पंच तत्व दर्शितं गत्यन्तम् अंततः यं यं कैलाश गमनम् करिष्ये (ॐ शांति शांति)
"मां नो महान्तभुत"-तारक मंत्र ॐ रां
नारियल के द्वारा शीर्षभेदन करे!(क्षेत्रीय रीति से भी शीर्षभेदन किया जा सकता है)
फिर परिवार एवं सहयोगी के द्वारा मिट्टी देवें!
और फिर गड्डा पाट देवें।पंचब्रम्हा मंत्र का पाठ करें।
यो देवा नाम प्रथम पुरस्तात् से लेकर तस्य प्रकृतिलीनष्य य: प: स महेश्वर:!!
महादेव का चिंतन करें (ॐब्रह्मणे नमः)
शिवलिंग का आकार उकेंरें या शिवलिंग रूपी पत्थर को विराजित करें मुख उत्तर दिशा में रखें, पदवेश (खड़ऊ) को रखें,शंख से ८ (आठ) बार अर्ध जल देवें। उसके तत्पश्चात पीठ तैयार कर ।पंच धूनी देवें।

:- यह विधि युग युगांतर से हमारी वंशावली में चली आ रही है, सभी क्रिया मंत्रोचारण से किया जाना चाहिए, जैसे-स्नान,आसन,पूजा,चंदन,त्रिपुण्ड्र,भगवा वस्त्र धारण,भस्म भभूति धारण, रूद्राक्ष धारण,दण्ड धारण,कमण्डर धारण आदि,सभी मंत्र इसलिए उपलब्ध नहीं कराई गई है,क्योंकि विषय बहुत बड़ी हो जाती, इसलिए झमा चाहते हैं, अनिवार्य वैदिक समाधि गायत्री मंत्र दी गई है। भविष्य में सभी उपलब्ध करा दी जाएगी 👏🌺👏

👏🚩 सादर ओम् नमो नारायण 🚩👏
          लेख:-"दसनाम पुष्पांजलि"
      लेखक ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

               मुंगेली - छत्तीसगढ़
                 ७८२८६५७०५७
khemeshwarpurigoswami@gmail.com

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