Monday, July 2, 2018

राजर्षि तुल्य कुल राजवंश छत्तीसगढ़

पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी जी की राजवंश की एक झलक
विक्रमादित्य के बाद १६ पीढ़ी हमारे संप्रदाय के राजाओं ने राज किया था।
समुद्र पाल पुरी से विक्रमपाल पुरी तक।
व हमारे पुरखों ने छत्तीसगढ़ के साथ ही दिल्ली, अहमदाबाद, बिहार, बंगाल में भी राज किया था।
[ "राजावली" लेखक :- श्री मृत्युंजय शर्मा J.R.A.S. 1853 PAGE 518 ]
सम्वत ३३ के तिथि २१ मार्गशीर्ष मास में विक्रमादित्य ने हमारे पुरखों को मिसिका नगरी एक संधि में दिए थे। [ एसोसिएट रिसर्च १ म खंड ११२-११७ पृष्ठ ]
इसी प्रकार मगध तथा बंग देश में भी १८ पीढ़ी तक राज किया [ प्रसिद्ध ऐतिहासिक लामा पं.तारानाथ के इतिहास ]
कश्मीर में भी ७ पीढ़ी राज किया था हमारे संप्रदाय के गिरि राजाओं ने जो एक सेनापति हुआ करते थे हमारे उनके सौर्य और पराक्रम से प्रभावित होकर कश्मीर में राजगद्दी दिया गया था। [ Asiatie sauety research vol "VI" page 338 लेखक :- केप्टन हाडिक ]
[ Rasiatoan vol 2 page 3 by- कर्नल टाड ]
मोहनजोदड़ो के समय भी हमारा राजवंश सक्रिय था! मोहनजोदड़ो तथा हडप्पा की खुदाई में शिवलिंग के साथ ही गैरिक भगवा वस्त्र तथा रूद्राक्ष धारण किए हुए शैवीय राजाओं की मुर्तियां मिली है, आदि शंकराचार्य * जो मठ अखाड़े से पहले से ही बना एक सभ्यता था।  *यह भी दसनाम गोस्वामी संप्रदाय के आदि शंकराचार्य से पहले से ही होने के प्रमाण है

[ विश्व इतिहास की झलक पृष्ठ २८९ ]

राजर्षि राजवंश के  राजा (हमारे पुर्वज) दुष्ट राजाओं पर उनके अत्याचार के खिलाफ सैनिक कार्रवाई कर राजदंड छीनकर स्वयं शासन भार हस्तगत कर लेने में भी संकोच नहीं करते थे।
[ Rafasthon vol 1 chxix page 245 ]
त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ जी के सात पुत्रों के वंशज राजर्षि राजवंश के नाम से विख्यात हुआ करते थे।  ( वाल्मिक रामायण )
सतयुग में राजर्षि राजवंश के राजा महाराजा के कन्याओं से ऋषियों ने विवाह कर दिव्यपुरूषों के जन्म के कारक बने। ( शिवपुराण )
महाभारत युद्ध में केवल दो प्रतापी राजा महाराजा ने भाग नहीं लिया राजा मयूरध्वज ( हीरापुर वर्तमान रतनपुर छत्तीसगढ़).
राजा महेन्द्र पुरी ( पचराहगढ़ वर्तमान पचराही कबीरधाम-छत्तीसगढ़ व रामगढ़ मुंगेली - छत्तीसगढ़)
वायु पुराण में भी वर्णित है हमारे राजवंश की गाथा। ( वायु पुराण अध्याय १०)
ई.स. १२८०  में मार्कोपोलो नामक पुर्तगाली आए थे जिन्होंने गुजरात में अहमदाबाद में हमारे राजवंश की उपस्थिति दर्शाई है और कहा है कि इस वंश के राजा महाराजा १५० से २०० वर्ष तक जीते थे।
भगवा धारी राजा होने के कारण, उन्होंने लाल ब्राह्मण भी कहा था।
इनमें से कुछ तो रात्रि में नग्न घुमते थे, सोने की मुकुट धारण करते थे, सोने के यज्ञोपवीत धारण करते थे और शरीर में राख लगाते थे।
( वर्तमान अवधूत मंदिर अहमदाबाद, गुजरात कभी किला स्थल हुआ करता था।).

अगर इतिहास लिखना शुरू किया तो सैकड़ों वर्षों तक पुरे नहीं होंगे।
खेमेस्वर बिना प्रमाण न तो कभी कुछ लिखता है और न ही कुछ कहते हैं।

गिरवर जी और उनके प्रशंसक चाहे तो राष्ट्रपति या पुरातत्व संग्रहालय से अनुमति लेकर उक्त पुस्तकों का जेराक्स कापी लेकर  अवलोकन कर सकते हैं कि सत्य क्या है।
१२८३ पीढ़ी से छत्तीसगढ़ में राजा महाराजा हैं हम राजर्षि राजवंश -- रामगढ़-मुंगेली छत्तीसगढ़ में।
जब एक राजा १५०-२०० साल जीते थे तो सिर्फ इतने पीढ़ी का अनुमान लगाया जा सकता है फिर गोस्वामीनामा महाग्रंथ के कुछ वर्षों तक की इतिहास के गुण गाते रहिए।
इनमें से एक किताब पर नासा में शोध चल रही है, जो लंदन के संग्रहालय में रखा गया है।

*यह सब "मेरे" राजवंश का  इतिहास है, इसलिए मैं किसी को भी नहीं बताता हूं क्योंकि लोकतंत्र के जमाने में हमारा क्या महत्व। इस वंश का एकमात्र वंशावली मेरे परदादा जी के पास से विकसित हुआ है, उनके दो पुत्र थे, उसके पहले केवल एक एक पुत्र ही हुआ करते थे जो महर्षि वशिष्ठ जी के ऋषि परंपरा से हूं।
अन्यथा दुनिया के सबसे प्राचीन सभ्यता के जनक हैं हमारा राजवंश,
महर्षि पुलत्स्य का विवाह भी राजर्षि राजवंश के कन्या से हुई थी।.
आप सभी भलीभांति परिचित हैं।
वर्तमान में पचराही (कबीरधाम-छत्तीसगढ़) दुनिया के सबसे प्राचीन सभ्यता के उदय के नाम से जाना जाता है, जहां १५ करोड़ वर्ष पहले की जीवांश भी प्राप्त हुआ है.
(इंटरनेट का सहारा ले सकते हो)
हम नहीं चाहते हैं कि हमारे बारे में कोई जाने, क्योंकि आज तक हमने खुद नहीं जाना है कि हम कौन हैं और इस धरती पर किसलिए है।।

क्षमा चाहता हूं आप सबके समय ख़राब हुई है इसके लिए, क्योंकि यह सामाजिक नहीं बल्कि मेरा व्यक्तिक पोस्ट है।

सादर ओम् नमो नारायण

गिरि नामा की राजवंश मांडवगढ़ (वर्तमान मारो बेमेतरा जिला छत्तीसगढ़) पहले हमारे पास था जो १३ पीढ़ी पुर्व श्री पंच दसनाम जुना अखाड़े को दान कर दिया गया था, जहां के एक नागा ने कुछ सालों पहले गृहस्थ जीवन अपना लिया था जिसका वर्तमान में तीसरी पीढी राजगद्दी पर है।
अपने धर्म ज्ञान और पराक्रम के बल पर लगभग भारतवर्ष के एक तीहाई हिस्सों में सम्राट हुआ करते थे।
सम्राट विक्रमादित्य और सम्राट अशोक के समय में भी। उनके बराबर का पराक्रम रखते थे।

रचना:- पं.खेमेस्वरपुरी गोस्वामी जी महाराज
महाराजा:- राजर्षि राजवंश ( राजर्षि तुल्य कुल राजवंश-छत्तीसगढ़)
डिंडोरी/रामगढ़- मुंगेली , छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...