Monday, July 2, 2018

मां को समर्पित संस्कृत से परिपूर्ण रचना

मां को समर्पित एक प्रयास
रचना :- पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी (क्रिश)
{छत्तीसगढ़िया राजा}
मां का जन्म दिया हर बालक, महादेव अंश का अवतार है!
मां की दी गई विद्या, ज्ञान का अथाह सागर है।
माता की बुद्धि..... ,समस्त समस्याओं का समाधान है!
सबकी माताओं की वाणी, वेदों का तो ज्ञान है।
मां की दी गई शिक्षा जीवन,जीने की कला कला का भाव है!
माता की दृष्टि अनेक, संतानों में भी समभाव है।
मां की गांथी चोटी,संकल्पों की है समूह करण!
मां की दया से होती है,हर संकटो का हरण।
मां की कृपा से भवसागर से,तरने का मिले हैं साधन!
मां का कर्ज यही होती है,सर्व जन हिताय कारन।
मां का निवास जिस घर में हो,वो बन जाये देवालय!
मां के दर्शन से शुभ हो, जाये सर्वमंगल कारय।
मां के आशीष से होती है समस्त, सुख वैभवों की प्राप्ति!
मां की सेवा; परलोक सुधारण, वरदान;मोक्ष की प्राप्ति।
मां की क्या खेमेस्वर; बखान करें, पुराणों ने पार न पाई!
जो करते अपनी मां की सेवा, वो.... भवसागर तर जाई।
मां की ममता सबको लगती है,सारे सुखों से प्यारी!
जिनके घर में माता होती, उन्हीं की दुनिया न्यारी।
छोड़ भले दे संगी साथी, छोड़ भले दे भ्राता!
*"तन अपना तज जाती है पर माता होती नहीं कुमाता।"*😓
मैं अभागा; मां के आंचल का, सुख बहुत है पाया!
मां के ना होने पर सबने,आज तो दुःख बहुत है पाया।
मां की आशीष जिन पर होती,सर्वदा सुख उन्हीं ने पाया!
मां के शक्ति;प्रताप;शाप की, अविरल इनकी माया।
मां के लाल मां की सेवा बजाओ, वक्त करो न जाया!
जिनकी घर में मांये होती सच्चा सुख उन्हीं ने पाया।
🌼🌸🙏🏻🌻🌹 सभी ममतामई माताओं को सत सत नमन  🌹🌻🙏🏻🌸🌼

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