Wednesday, April 8, 2020

आज का संदेश

।। राम-राम ।।

    *"सांसारिक पुण्य और भगवत्सम्बन्धी पुण्य का फल"*

    *परिशिष्ट भाव -* सांसारिक पुण्य तो पाप की अपेक्षा से  ( द्वन्द्ववाला )
है, पर भगवान् के सम्बन्ध  ( सत्संग,  
भजन आदि ) - से होनेवाला पुण्य 
( योग्यता, सामर्थ्य ) विलक्षण है ।

  इसलिये सांसारिक पुण्य मनुष्य को भगवान् में नहीं लगाता, पर भगवत्सम्बन्धी पुण्य मनुष्य को भगवान् में ही लगाता है। यह पुण्य फल देकर नष्ट नहीं होता (२ । ४०)।

  सांसारिक कामनाओं का त्याग करना 
और भगवान् की तरफ लगना - दोनों ही भगवत्सम्बन्धी पुण्य है।
 

सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                    आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

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