जन्म लिया है यहाँ राम नॆं,अग्नि- परीक्षा दी सीता !!
सुचिता-पथ पर यज्ञ करातॆ,इसका हरपल है बीता !!
चरण-पादुका पूजा करता,इक भरत प्रॆम का प्यासा !!
अनुज लखन नॆं अर्पित कर दीं,अपनें जीवन की श्वाँसा !!
प्रॆम विवश कॆवट सॆ रघुवर,चरण कमल धुलवातॆ हैं !!
प्रॆम विवश शबरी कॆ जूठॆ, बदरी फल प्रभु खातॆ हैं !!
वॆद पुराणॊं नॆं लिख जिसकी, गौरव गाथा गाई है !!
सत्य-धर्म की कल-कल गंगा,तुलसी की चौपाई है !!
आज युवा पीढी फिर कैसॆ,अपना कर्म भुलाती है !!
पछुवा कॆ अनुगामी सुन रे,पुरवा तुझॆ बुलाती है !!१!!
द्वापर युग मॆं इस भारत नॆं,महा-समर कॊ जीता है !!
वॆद व्यास नॆं रच डाली इक,कृष्ण-भाष्य सॆ गीता है !!
जहाँ कंस कॆ अहन्कार की,जलती साख चिताऒं मॆं !!
पल-भर मॆं जल गई हॊलिका,उड़ती राख हवाऒं मॆं !!
जहाँ पूतना का छल छद्रम,टिका नहीं सच कॆ आगॆ !!
हरिश्चन्द्र नृप पत्नी बालक,बिकॆ जहाँ सच कॆ आगॆ !!
जहाँ धर्म का रक्षक बनकर,प्रभु नॆं चक्र चलाया है !!
अँगुली ऊपर रख गॊवर्धन,गॊधन कष्ट मिटाया है !!
युवा शक्ति अब तॆरॆ सम्मुख,काल खड़ा अपघाती है !!
पछुवा कॆ अनुगामी सुन रे,पुरवा तुझॆ बुलाती है !!२!!
जहाँ एक दासी नॆं समुचित,दॆव लॊक कॊ हिला दिया !!
उदयसिंह की मृत्यु सॆज पर,अपना बेटा सुला दिया !!
जहाँ घास की रॊटी खाकर,आँधी कॊ ललकार दिया !!
जहाँ क्रान्ति का सूरज हमनॆं,दॆकर लहू उतार लिया !!
जहाँ दॆश की खातिर बहना,अर्पण करती भैया को !!
जहाँ लाल की कुर्वानी दे,गर्व हुआ है मैया को !!
जहाँ पींठ पर बालक बाँधॆ,अबला रण में युद्ध करे !!
जहाँ एक नारी यम से भी,पति प्राणों की टेक धरे !!
शीश काट निज जहाँ सुहागिन,पति को भेंट पठाती है !!
पछुवा कॆ अनुगामी सुन रे,पुरवा तुझॆ बुलाती है !!३!!
जिस भारत से सकल विश्व नें,ज्ञान ध्यान तप सीखा है !!
चिन्तन मंथन क्षमा शीलता,योग यज्ञ जप सीखा है !!
जिस भारत नें शून्य मिलाकर,गणित पूर्ण कर डाला है !!
एक दशमलव दे करके ही,विश्व पटल भर डाला है !!
जहाँ राष्ट्र की बलिवेदी पर,प्राणाहुति की होड़ लगे !!
जहाँ राष्ट्र की गरिमा ही बस,जीवन पथ बेजोड़ लगे !!
बच्चा बच्चा गाता फिरता,इंकलाब के गीत जहाँ !!
हँसकर फाँसी चढ़ जाने की,सदा रही है रीत जहाँ !!
इस भारत की गौरव गाथा,सकल सृष्टि दुहराती है !!
पछुवा कॆ अनुगामी सुन रे,पुरवा तुझॆ बुलाती है !!४!!
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057