*बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष राज किया (1526 to 1530)| हुमायूं को ठोक पीटकर भगा दिया गया| मुग़ल साम्राज्य की नींव अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब आते आते उखड़ गया|*
•
*कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में एक पूरे पार्ट की तरह पढ़ाया जाता है|*
•
*मानो सृष्टि आरम्भ से आजतक के कालखण्ड में तीन भाग कर बीच के मध्यकाल तक इन्हीं का राज रहा!*
•
*अब इस स्थिर (?) शासन की तीन चार पीढ़ी के लिए कई किताबें, पाठ्यक्रम, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न, विज्ञापनों में गीत, इतना हल्ला मचा रखा है, मानो पूरा मध्ययुग इन्हीं 100 वर्षों के इर्द गिर्द ही था।*
•
*जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था।*
•
*अब जरा विचार करें..... क्या भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्ष पर्यन्त राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान मिला है ?*
•
*अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्ष तक टिका रहा। हीरे माणिक्य की हम्पी नगर में मण्डियां लगती थीं। महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने। 5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष , 10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक , 9 नन्दों ने 100 वर्षों तक , 12 मौर्यों ने 316 वर्ष तक , 10 शुंगों ने 300 वर्ष तक , 4 कण्वों ने 85 वर्षों तक , 33 आंध्रों ने 506 वर्ष तक , 7 गुप्तों ने 245 वर्ष तक राज्य किया *
मौर्य साम्राज्य 5,000,000 Sq KM तक फैला था, सम्राट विक्रमादित्य के पुर्वज व वंश ने 500 वर्षों तक,सम्राट अशोक ने, राजर्षियों ने 16 पीढ़ियों तक पुरे आर्यावर्त में,कल्चुरियों ने हजारों वर्ष तक ,काकतिय वंश ने 250 वर्षों तक.......और भी सैकड़ों राजाओं की कहानी है लिखें तो महीनों बीत जाए.....
•
*फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था| इतने महान् सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में गुमनाम कर दिए गए।*
•
*उनका वर्णन करते समय इतिहासकारों को मुँह का कैंसर हो जाता है। सामान्य ज्ञान की किताबों में पन्ने कम पड़ जाते है। पाठ्यक्रम के पृष्ठ सिकुड़ जाते है। प्रतियोगी परीक्षकों के हृदय पर हल चल जाते हैं।*
•
*वामपंथी इतिहासकारों ने नेहरूवाद का मल भक्षण कर, जो उल्टियाँ की उसे ज्ञान समझ चाटने वाले चाटुकारों !*
•
*तुम्हे धिक्कार है !!!*
•
*यह सब कैसे और किस उद्देश्य से किया गया, ये अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं, और ना हम समझने का प्रयास कर रहे हैं।*
•
*एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता है। महाराणा प्रताप के स्थान पर अत्याचारी व अय्याश अकबर को महान होना लिख दिया है। अब यदि इतिहास में हिन्दू योद्धाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है तो कांग्रेस शिक्षा के भगवाकरण करने का आरोप लगाती है।*
•
*नोट : दबाकर कॉपी-पेस्ट करें.... ताकी इस आलेख का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सके !*
*जय हिंद*
"आज चिंता का विषय यह नहीं होना चाहिए की हिंदुओं की संख्या कितनी है और अन्य धर्मावलांबियों की संख्या किस अनुपात में बढ़ रही है।
बल्कि चिंता इस बात की होनी चाहिए की आज जितने लोग भी हिन्दू हैं क्या वो अपने आचरण द्वारा धर्म को यथार्थ में रूपांतरित कर रहे हैं या व्यवहारिकता के नाम पर उन्होनें ही धर्म को आडम्बर और पाखण्ड बना दिया है।
सूर्य के प्रकाश के प्रभाव में अन्य सभी तारे और चाँद का अस्तित्व अदृश्य हो जाता है और इसलिए जब तक हिंदुत्व को व्यावहारिक जीवन में अपनी विशिष्टता का तेज प्राप्त नहीं होगा, धर्मान्तरण चुनौती और अन्य धर्मावलंबियों की संख्या चिंता का कारन बनी रहेगी। *हिंदुत्व के उत्थान* के लिए प्रयास को बाह्य कारकों पर केंद्रित करने के बजाये प्रयास को अंतर्मुखी बनाना अधिक श्रेयस्कर और लाभकारी होगा।"
-पं. खेमेश्वर पुरी गोस्वामी-
राजर्षि राजवंश-आर्यावर्त
धार्मिक प्रवक्ता - साहित्यकार
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी - छत्तीसगढ़ १६२-१९
No comments:
Post a Comment