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*ऐश्वर्यस्य विभूषणं सुजनता शौर्यस्य वाक्संयमो*
*ज्ञानस्योपशम: श्रुतस्य विनयो वित्तस्य पात्रो व्यय: ।*
*अक्रोधस्तपस: क्षमा प्रभवितुर्धर्मस्य निर्व्याजता*
*सर्वेषामपि सर्वकारणमिदं शीलं परं भूषणम् ।।७८।।*
*भावार्थ―* धन-सम्पत्ति की शोभा सज्जनता, शूरवीरता की शोभा वाक् संयम(बढ़-चढ़कर बातें न करना), ज्ञान की शोभा शान्ति, नम्रता, धन की शोभा सुपात्र में दान, तप की शोभा क्रोध न करना, प्रभुता की शोभा क्षमा और धर्म का भूषण निश्छल व्यवहार है। परन्तु इन सबका कारणरूप *शील=सदाचार* सर्वश्रेष्ठ भूषण है।
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
मुंगेली छत्तीसगढ़
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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