Wednesday, April 8, 2020

आसमान पर उड़ने वाले,धरती को मत भूल ।।

भूल गया यदि उद्गम अपना,जीवन नष्ट समूल ।।
आसमान पर उड़ने वाले,धरती को मत भूल ।।

संग पवन का पाते पद रज,अम्बर का मस्तक चूमें,
अहंकार में शीश उठाये,सारी दुनियाँ में घूमें,
किन्तु नीर की बूंदें पड़ते,सारा जोश निकल जाता,
औंधे मुख जब गिरे धरनि पर,सारा दम्भ पिघल जाता,

और एक दिन कीचड़ बन कर,हो जाता तन धूल ।।(1)
आसमान पर उड़ने वाले,धरती को,,,,,,

नन्हें पंखों के बलबूते,चला नापने अम्बर को,
छोड़ चला क्यों नीड वृक्ष को,निज पुरखों के घर को,
उसी डाल पर जन्म लिया है,उसी डाल पर बड़ा हुआ,
उसी वृक्ष की बाहों में तू,मार पैंतरे खड़ा हुआ,

वट वृक्षों की छाँव छोड़कर,भाए तुझे बबूल ।।(2)
आसमान पर उड़ने वाले,धरती को,,,,

सारा जीवन कौन परिन्दा,अम्बर में रह सकता है,
वर्षा शीत धूप हिम सब क्या,पंखों पर सह सकता है,
कितना ऊँचा उड़े परिन्दा,लौट धरा पर आयेगा,
किन्तु समय की आँधी में वह,नीड नहीं फिर पायेगा,

खिलते सुमन डाल पर तब तक,जब तक जीवित मूल ।।(3)
आसमान पर उड़ने वाले,धरती को,,,,

जितनी जल्दी मिले उच्चता,उतनी जल्दी खला मिले,
जितना बड़ा प्रलोभन मिलता,उतनी सारी बला मिले,

अटल सत्य है सबकी रेखा,वह एक विधाता खींचे,
सुखिया दुखिया दोनों रहते,इस एक गगन के नीचे,

चाँद चूमनें के हठधर्मी,भूले सरिता कूल ।।(4)
आसमान पर उड़ने वाले,धरती को,,,,
         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

No comments:

Post a Comment

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...