Sunday, March 29, 2020

गीत गाते चलो,प्यार पाते चलो


गीत गाते चलो,प्यार पाते चलो
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

साथ अच्छा लगे,आज मिलकर सभी 
फासले ले तनिक,साथ आओ अभी,
द्वेष का हो क्षरण,नेह का हो वरण,
प्रेम का आचरण,स्वच्छ गह कर करण।
गीत गाते चलो,प्यार पाते चलो, 
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

राह कंटक भरा,दूर चलना अभी 
लक्ष्य की साधना, फूल फलना अभी,
काँध पर धार कर,भार उनका गहो
जो निबल साथ में, साथ उनके रहो।
बस यही साधना,मत किसी को छलो,
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

सुन समय की गिरा,चित्त एकाग्र कर
उस परम श्रेय का,ही पकड़ कर डगर,
त्याग नश्वर जरा,जीर्ण संसार तू
आत्म विस्तार ले,सूर्य आधार तू।
श्रेष्ठ पथ पर रहो,मत किसी को खलो,
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

              
          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Friday, March 27, 2020

आज का संदेश


           🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴

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                                   *सनातन धर्म पूर्ण वैज्ञानिकता पर आधारित है , हमारे पूर्वज इतने दूरदर्शी एवं ज्ञानी थे कि उन्हेंने आदिकाल से ही मानव कल्याण के लिए कई सामाजिक नियम निर्धारित किये थे | मानव जीवन में वैसे तो समय समय पर कई धटनायें घटित होती रहती हैं परंतु मानव जीवन की दो महत्त्वपूर्ण घटनायें होती हैं जिसे जन्म एवं मृत्यु कहा जाता है | किसी नये जीव का जन्म लेना एवं किसी जीव का इस संसार को छोड़कर जाना अर्थात उसकी मृत्यु हो जाना इस सृष्टि की दो महत्वपूर्ण घटनायें हैं | इन दोनों ही अवसर पर हमारे पूर्वजों ने कुछ विशेष नियम मानवमात्र के लिए निर्धारित किये थे | मानव जीवन को कई प्रकार से प्रभावित करने वाले संक्रमणों से बचने के लिए ही इन नियमों को बनाया गया था | सन्तान का जन्म होने पर नवजात शिशु एवं प्रसूता (माता) को परिवार के सम्पर्क से दूर करते हुए एक कमरे में स्थान दिया जाता था जिससे कि जन्म देते समय प्रकट हुआ संक्रमण परिवार के अन्य सदस्यों को न संक्रमित कर पाये | यह सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) सवा महीने की होती थी | उसी प्रकार किसी की मृत्यु पर दाहक्रिया करने वाला भी दस दिन तक समाज से दूर रहा करता था , क्योंकि हमारे पूर्वजों का मानना था कि दाहक्रिया करते समय मृतक के शरीर से निकले हुए अनेक कीटाणु / विषाणु दाहकर्ता के सम्पर्क में आये होंगे किसी अन्य को वे संक्रमित न कर सकें इसीलिए दाहकर्ता दस दिन तक सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) के नियम का पालन करता रहा है | उसके अतिरिक्त हमारे दरवाजों पर एक बाल्टी में पानी भरा रखा होता था जिससे कि बाहर से आना वाला कोई भी हो हाथ - पैर धुलकर ही घर में प्रवेश करे जिससे कि उसके हाथ - पैरों के माध्यम से कोई संक्रमित कीटाणु घर में प्रवेश न कर पाये | यह सनातन के नियम थे जिसका पालन यत्र तत्र आज भी देश के गाँवों में देखने को मिल जाता है , लेकिन धीरे - धीरे हम आधुनिक होते गये और उपरोक्त सारे नियम हमको पिछड़ापन एवं गंवारपन लगने लगा , बम अपनी मान्यताओं से दूर होकर आधुनिकता की चकाचौंध में खोते चले गये | आज सन्तान का जन्म होने पर माता एवं नवजात शिशु की सामाजिक दूरी लगभग समाप्त सी होती दिख रही है यही कारण है कि लोग अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं | सनातन. की कोई भी मान्यता महज दिखावा नहीं बल्कि ठोस कारणों पर आधारित थी परंतु आज का मनुष्य उसके रहस्यों को समझ पाने में सक्षम नहीं रह गया है | आज समय परिवर्तित हुआ तो सामाजिक दूरी का महत्त्व लोगों की समझ में आने लगा है |*

*आज समस्त विश्व में लोग सनातन की प्राचीन मान्यताओं को मानने पर बाध्य हो रहे हैं | विश्व का प्रत्येक देश सामाजिक दूरी बनाये रखने की अपील कर रहा है | आज कोरोना संक्रमण ने समस्त विश्व में कोहराम मचा रखा है , एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाले इस संक्रमण ने समूचे विश्व को हिलाकर रख दिया है , लाखों व्यक्ति इस संक्रमणीय महामारी से प्रभावित हो गये हैं | चिकित्सा पद्धति में महारत हासिल कर चुके मनुष्य को इस बीमारी की चिकित्सा नहीं मिल पा रही है | यदि बीमारी होती तब तो चिकित्सा संभव थी परंतु यह महामारी है महामारी की चिकित्सा ईश्वर के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता | ईश्वर एवं सनातन की मान्यताओं का मजाक उड़ाने वाले आज सामाजिक दूरी बनाकर अपने घरों में बैठे बैठे उसी ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है कि इस महामारी से बचाईये | मैं आज समूचे विश्व में हो रही तालाबन्दी (लॉकडाउन) को देख रहा हूँ , यह तालाबन्दी इसलिए हो रही है कि लोग एक दूसरे से दूर रहें जिससे कि कोरोना का संक्रमण एक दूसरे में फैलने न पाये | मैं गर्व करता हूँ अपने पूर्वजों पर ( जिन्हें आज के तथाकथित गंवार एवं पिछड़ा कहा करते हैं ) जिन्होंने संक्रमणीय रोगों में सामाजिक दूरी का पालन बहुत पहले से करना प्रारम्भ कर दिया था | आज के आधुनिक मनुष्य को अपना जीवन बचाने के लिए सनातन की मान्यताओं के अतिरिक्त अन्य कोई भी मार्ग नहीं दिखाई पड़ रहा है | सनातन की प्रत्येक मान्यता मे मानवमात्र का कल्याण निहित है , अभी भी समय है कि हम इन मान्यताओं को पिछड़ापन न मानकरके इन्हें  अपना कर इस महामारी के संकटकाल में इस संक्रमण को रोकते हुए सामाजिक दूरी बनाने का प्रयास करें ! अभी तक जो गल्ती करते रहे हैं उसे अब न दोहराया जाय तो शायद यह अनमोल जीवन बच जाय !*

*सुबह का भूला यदि शाम को घर आ जाय तो उसे भूला नहीं कहते हैं इस सूक्ति को ध्यान में रखते हुए आओं लौट चलें सनातन मान्यताओं की ओर |*

     🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Thursday, March 26, 2020

आज का संदेश

           🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴

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                                   *मानव जीवन में अनेकों प्रकार की एवं मित्र बना करते हैं कुछ शत्रु तो ऐसे भी होते हैं जिनके विषय में हम कुछ भी नहीं जानते हैं परंतु वे हमारे लिए प्राणघातक सिद्ध होते हैं | शत्रु से बचने का उपाय मनुष्य आदिकाल से करता चला आया है | अपने एवं अपने समाज की सुरक्षा करना मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है , अपने इस कर्तव्य का पालन मनुष्य आदिकाल से करता चला रहा है |  कुछ शत्रु ऐसे होते हैं जो संपूर्ण मानव जाति के लिए घातक सिद्ध होते रहे हैं | पूर्वकाल में हमारे यहां जब राजतंत्र था तब राजा लोग अपनी एवं अपने प्रजा की सुरक्षा के लिए एक मजबूत किले का निर्माण कराते थे , संपूर्ण प्रजा उसी किले के भीतर प्रेम से रहा करती थी | जब किसी शत्रु का आक्रमण होता था तो सर्वप्रथम प्रजा की सुरक्षा के लिए किले के दरवाजे को बंद कर दिया जाता था जिससे कि वह शत्रु किले में पहुंचकर प्रजा को नुकसान न पहुँचा सके | किले के अंदर ही बैठकर राजा अपने मंत्रियों के साथ शत्रु से लड़ने की योजना बनाया करते थे | कभी-कभी तो यह भी देखने को मिला है कि शत्रु सेना किले को न भेद पाई और उसे निराश होकर वापस लौटना पड़ा है | इतिहास साक्षी है कि मनुष्य विवेकवान प्राणी और अपने विवेक से उसने अपने शत्रुओं को पराजित भी किया है |  परंतु इसके लिए शत्रु के विषय में जानकारी एवं समय की अनुकूलता आवशयक है | जिसने समय को ना पहचाना और अपने बल के अहंकार में स्वयं से बलवान शत्रु से भिड़ने का प्रयास किया उसका पतन भी हो गया है | बुद्धिमत्ता यही है कि अपने शत्रु की शक्ति का आकलन करके तब उससे युद्ध ठाना जाय , शत्रु समुपस्थित होता है तो उस से युद्ध करना आसान हो जाता है परंतु जो शत्रु अदृश्य होकरके प्रहार कर रहा हो उससे युद्ध करके विजय प्राप्त कर पाना बहुत ही कठिन कार्य होता है | ऐसे में स्वयं को सुरक्षित करना ही एकमात्र उपाय बचता है | आज वहीं पर स्थिति संपूर्ण विश्व के सामने उपस्थित है शत्रु प्रबल है ,  और हम उसके स्वरूप को जानते भी नहीं ऐसे में स्वयं की सुरक्षा ही बचाव है |*

*आज संपूर्ण विश्व में मानव जाति के लिए प्रबल शत्रु बन करके कोरोना नामक महामारी तांडव तो मचा ही रही है साथ ही अदृश्य रूप में मानव जाति पर प्रहार करके मनुष्य को असमय ही काल के गाल में पहुंचा रही है | यह शत्रु ऐसा है जो हमको दिखाई तो नहीं पड़ता परंतु उसका प्रहार प्राणघातक होता है | ऐसे में हमें अपने पूर्वजों से सीख लेते हुए अपने किले अर्थात घर के दरवाजों को बंद करके घर के अंदर बैठकर शत्रु से लड़ने योजना बनानी चाहिए या फिर शत्रु के वापस चले जाने की प्रतीक्षा करनी चाहिए | मैं आज के संकट काल में समस्त देशवासियों को यही निवेदन करना चाहूंगा कि आज एक ऐसा प्रबल शत्रु प्राणघातक बनकर मानव जाति के लिए काल बना हुआ है जिसे कोरोना संक्रमण कहा जा रहा है और उससे युद्ध करने की सामग्री हमारे पास नहीं है , ऐसे में स्वयं को अपने घरों में सुरक्षित रखना ही बुद्धिमत्ता कही जा सकती है | जो लोग शत्रु के बल को ना जान करके बहादुरी दिखाते हुए अपने घरों के दरवाजों को खोलकर बाहर घूम रहे हैं वह स्वयं तो काल के गाल में जाने की तैयारी कर ही रहे है साथ ही एक बड़े समाज को भी शत्रु के सामने परोस रहे हैं | जो कि मानवमात्र के लिए घातक है | अपनी बुद्धि - विवेक का प्रयोग करके इतिहास के सीख लेते हुए प्रत्येक मनुष्य को अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाते हुए तब तक घरों में रहना है जब तक कि शत्रु वापस न चला जाए अन्यथा यह शत्रु इतना प्रबल है कि तत्क्षण मनुष्य को अपनी चपेट में ले लेता है अत: सुरक्षित रहें |*

*समय कभी भी एक जैसा नहीं रहता है इस समय मनुष्य के लिए अच्छे दिन नहीं चल रहे है इसलिए विवेक का प्रयोग करते हैं घरों में बैठकर अच्छे दिनों की प्रतीक्षा करना ही एकमात्र उपाय है |*

     🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

आज का संदेश



           🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴

      🚩 *"नववर्ष सम्वतसर" पर विशेष* 🚩

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                                  *हमारे देश भारत में समय-समय पर अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं | भारतीय सनातन परंपरा में प्रत्येक त्योहारों का एक वैज्ञानिक महत्व होता है इन्हीं त्योहारों में से एक है "नववर्ष संवत्सर" जो कि आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को माना जाता है | आदिकाल से यदि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष माना जा रहा है तो इसका कारण है कि आज के ही दिन सृष्टि का प्रादुर्भाव हुआ तथा ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की संरचना प्रारम्भ की थी | नववर्ष तभी मनाना सार्थक होता है जब सृष्टि में नवीनता हो और यह नवीनता अन्य धर्मों की अपेक्षा सनातन हिन्दू नववर्ष के अवसर पर समस्त सृष्टि में देखने को मिलती है | खेतों में तो हरियाली होती ही है साथ ही पतझड़ के बाद वृक्षों में नई कोपलें फूटने लगती हैं , फलदार वृक्षों में फूल आने लगते हैं सारे वृक्ष फलीय रसों से भर जाते हैं इसीलिए चैत्र को मधुमास भी कहा जाता है | सनातन हिन्दू धप्म पूर्ण रूप से वैज्ञानिकता पर आधारित है , समस्त सृष्टि ऋतुओं पर आधारित हैं , ऋतुओं के संधिकाल पर हमारे यहाँ नवरात्र मनाने की भी परम्परा रही है | यद्यपि आज सृष्टि का प्रथम है और बिना शक्ति के कोई भी यात्रा नहीं हो सकती इसीलिए प्रथम दिन से नौ दिन तक शक्ति उपासना करने का विधान है | नववर्ष सम्वतसर या चैत्र नवरात्र को यदि यदि ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाय तो इसका विशेष महत्व है क्योंकि इस नवरात्र में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है | वर्ष भर सूर्य बारह राशियों में भ्रमण करते हुआ पहली राशि मेष में आज के ही दिन प्रवेश करके अपनी नवीन यात्रा प्रारम्भ करते हैं | चैत्र नवरात्र प्रतिपदा को ही नववर्ष मानते हुए हिन्दू पञ्चांग की गणना प्रारम्भ होती है | यद्यपि विश्व में अनेक धर्म हैं और प्रत्येक धर्म का नववर्ष भी भिन्न है परंतु सनातन हिन्दू नववर्ष की जो वैज्ञानिकता , मान्यता एवं दिव्यता है वह अन्य नववर्षों में कदापि देखने को नहीं मिलती इसीलिए सनातन को दिव्य कहा जाता है |*

*आज अर्थात चैत्र प्रदिपदा से ही शक्ति की आराधना का पर्व "नवरात्र" प्रारम्भ होने के पीछे भी मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी को सृष्टि का सृजन करने के लिए आत्मिक , बौद्धिक एवं शारीरिक शक्ति की आवश्यकता प्रतीत हुई तब उन्होंने आदिशक्ति की उपासना प्रारम्भ की | आज भले ही सम्पूर्ण विश्व में ईसाई नववर्ष की धूम हो परंतु आज भी जनवरी की अपेक्षा मार्च / अप्रैल से वित्तीय वर्ष एवं कार्यालयों के कार्य सम्पन्न होते हैं | आज के दिन प्रत्येक हिन्दू जनमानस को अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजन करके अपने घरों पर ध्वजारोहण करना चाहिए | मैं विचार करता हूँ कि शक्ति की आराधना करके ही जीवन में कुछ अर्जित किया जा सकता है | आदिशक्ति महामाया के बिना सृष्टि की संकल्पना करना ही व्यर्थ है | जिस प्रकार किसी भी परिवार का कुशल नेतृत्त्व एवं कुशल संचालन भवीभांति एक गृहिणी (नारीशक्ति) ही कर सकती है उसी प्रकार इस विशाल सृष्टि का पालन एवं संचालन आदिशक्ति महामाया के बिना असम्भव है | जो उत्पत्ति , पालन एवं संहार का आदिकारण हैं , समय समय पर जीवों पर दया करने के भाव से विभिन्न स्वरूपों में अवतरित होकर जीवमात्र का कल्याण करने वाली पराम्बा जगदम्बा की आराधना वर्ष के प्रथम दिन से इसीलिए की जाती रही है | चैत्र नवरात्र का धार्मिक महत्त्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस नवरात्र में जहाँ प्रथम दिवस महामाया का प्रादुर्भाव हुआ था वहीं इसी नवरात्र की तृतीया को भगवान श्री हरि विष्णु ने प्रथम अवतार मत्स्यावतार धारण किया था और इसी नवरात्र की नवमी को इस धराधाम पर लुप्त हो रही मर्यादा की पुनर्स्थापना करने के लिए मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम का अयोध्या में अवतरण हुआ था | कुल मिलाकर सनातन हिन्दू नववर्ष सम्वतसर चैत्र का वैज्ञानिक , ज्योतिषीय एवं धार्मिक दृष्टि से अपना विशेष महत्व है | प्रत्येक जनमानस को आज के दिन नववर्ष मनाते हुए शक्ति की आराधना करनी चाहिए |*

*जीवन में नवीनता एवं उल्लास लेकर नववर्ष आता है औऱ साथ ही शक्ति की उपासना का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाकर जीवन को सार्थक बनाना मानव जीवन का परम लक्ष्य है |*

     🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                     आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Monday, March 23, 2020

खेमेश्वर के तीर

          ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼

              🏹 *खेमेश्वर के तीर* 🏹

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                *सभी प्राणियों में जो बुद्धि - विवेक मनुष्य के पास है वह किसी भी प्राणी के पास नहीं है , इसीलिए मनुष्य सर्वश्रेष्ठ है | किसी भी संकटकाल में मनुष्य को अपने इसी बुद्धि - विवेक से काम लेना चाहिए | आज जिस प्रकार "कोरोना" का संक्रमण समस्त मानव जाति के लिए प्रत्यक्ष काल का रूप धारण करके समुपस्थित है और उससे बचने का भी कोई मार्ग नहीं दिख रहा है | इस आपातकाल में शहर के शहर बन्द कर दिये जा रहे हैं | शहर बन्द करने का कारण यही है कि लोग आपस में कम मिलें ! परंतु कुछ लोगों को इन सब पाबंदियों से कोई मतलब नहीं दिख रहा है | यही वह लोग हैं जो इस संक्रमण को वितरित करने में सहायक सिद्ध होंगे | कृपया बुद्धिमत्ता का अधिक परिचय न देते हुए घर में रहें , सावधान रहें , सुरक्षित रहें |*

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                  *शुभम् करोति कल्याणम्*

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Sunday, March 22, 2020

मृत्यु का भय दूर कर दीजिए

*❗प्रणाम❗*
               *🙏वंदे मातरम्🙏*
               *‼ऋषि चिंतन‼*
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*❗ मृत्यु का भय दूर कर दीजिए❗*
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👉 मृत्यु से मनुष्य बहुत डरता है । *इस डर के कारण की खोज करने पर प्रतीत होता है कि मनुष्य मृत्यु से नहीं वरन् अपने पापों के दुष्परिणामों से डरता है ।* देखा जाता है कि यदि मनुष्य को कहीं कष्ट या विपत्ति के स्थान में जाना पड़े, तो वह जाते समय बहुत डरता और व्याकुल होता है । *मृत्यु से मनुष्य इसलिए घबराता है कि उसकी अंत:चेतना ऐसा अनुभव करती है कि इस जीवन का मैंने जो दुरुपयोग किया है, उसके फलस्वरूप मरने के पश्चात मुझे दुर्गति में जाना पड़ेगा ।*  जब कोई व्यक्ति वर्तमान की अपेक्षा अधिक अच्छी, उन्नत और सुखकर परिस्थिति के लिए जाता है, तो उसे जाते समय कुछ भी कष्ट नहीं होता, वरन् प्रसन्नता होती है । जो लोग अपने जीवन को निरर्थक, अनुचित और अनुपयोगी कार्यों में खर्च कर रहे हैं, वे लोग मृत्यु से उसी प्रकार डरते हैं, जैसे बकरा कसाईखाने के दरवाजे में घुसता हुआ भावी पीड़ा की आशंका से डरता है । 
👉 यदि आप मृत्यु के भय से बचना चाहते हैं, *तो अपने जीवन का सदुपयोग करना, अपने कार्यक्रम को धर्मंमय बनाना आरम्भ कर दीजिए ।* ऐसा करने से आपकी अंत:चेतना को यह विश्वास होने लगेगा कि भविष्य अंधकारमय नहीं, वरन् प्रकाशपूर्ण है । *जिस क्षण यह विश्वास हृदय में हुआ, उसी क्षण मृत्यु का भय भाग जाता है । तब वह "शरीर-परिवर्तन" को "वस्त्र-परिवर्तन" की तरह एक मामूली बात समझता है और उससे ज़रा भी डरता या घबराता नहीं ।*
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          *🇮🇳भारतमाता की जय🇮🇳*
                  *🇮🇳जयहिंद🇮🇳*

     सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
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आज का संदेश

🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴

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                                   *संपूर्ण विश्व में हमारा देश भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अनेक धर्म , संप्रदाय के लोग एक साथ निवास करते हैं | धर्म , भाषा एवं जीवनशैली भिन्न होने के बाद भी हम सभी भारतवासी हैं | किसी भी संकट के समय अनेकता में एकता का जो प्रदर्शन हमारे देश में देखने को मिलता है वह अन्यत्र कहीं दर्शनीय नहीं है | हमें पढ़ाया गया है कि एकता में शक्ति है इसका अर्थ यहीं हुआ कि मजबूत बने रहने के लिए एकजुट रहना आवश्यक है | एकजुट होकर के किसी भी बड़े से बड़े संकट से लड़ा जा सकता है क्योंकि जब हम एक हो जाते हैं तो विरोधी चाहे जितना प्रबल हो उसके छक्के छूट जाते हैं | परतंत्र भारत को स्वतंत्र कराने के लिए हमारे पूर्वजों ने एकता का जो उदाहरण प्रस्तुत किया था वह संपूर्ण विश्व के लिए मिसाल बन गया था |  अंग्रेजों की सेना एवं उनके शासन को यदि भारत से खदेड़ा गया तो उसका एक ही कारण था "भारत की एकता" किसी एक नायक के आवाहन पर संपूर्ण भारत एकजुट होकर के किसी संकट से किस प्रकार ने पड़ता है इसका उदाहरण हमको कल अर्थात २२ मार्च २०२० को देखने को मिला |  शायद इसीलिए एकता की शक्ति को सर्वश्रेष्ठ शक्ति कहा गया है |  जब धर्म , भाषा एवं संप्रदाय का भेदभाव भुलाकर संपूर्ण भारत एक साथ खड़ा होता है तो विश्व के अन्य देश भारत की ओर आश्चर्य भरी दृष्टि से देखने लगते हैं , यही हमारे भारत की महानता है | हमारे देशवासी भले ही एक दूसरे के प्रति मन में वैमनस्यता रखते हों परंतु जहां बात देश के ऊपर आती है वहां सारी वैमनस्यता किनारे रख कर के एकजुटता का उदाहरण देखने को मिलता रहा है | यह सत्य है कि जब हम एकजुट हो जाते हैं तो हम किसी भी चीज या किसी भी मजबूत दुश्मन के साथ लड़ सकते हैं क्योंकि एकजुट होकर हम ज्यादा शक्तिशाली हो जाते हैं | जब मनुष्य एक इकाई के रूप में कोई काम करता है वह काम बहुत ही अच्छे ढंग से पूर्ण हो जाता है और वही काम जब मनुष्य अकेले करने का प्रयास करता है तो वह संघर्ष करते-करते कमजोर पड़कर थक जाता है |  इसलिए एकता की शक्ति को पहचानना परम आवश्यक है |*

*आज संपूर्ण विश्व में "कोरोना" नामक महामारी ने अपना पांव पसार लिया है ,  समस्त विश्व के चिकित्सक एक-एक करके इस संक्रमण के आगे कमजोर पड़ते जा रहे हैं | यद्यपि हमारा देश भारत भी इस संक्रमण की चपेट में है परंतु हिम्मत ना हारते हुए तथा इस संक्रमण के मर्म को समझते हुए हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने एक दिन के जनता कर्फ्यू का आवाहन किया और मैं  आश्चर्यचकित हूँ कि एक आवाहन पर पूरा भारत बंद हो गया | अनेक प्रकार के भेदभाव होने के बाद भी जिस प्रकार कल का वातावरण देखने को मिला वह अपने आप में एक अप्रतिम उदाहरण है | एकजुट होकर के पूरे देशवासियों ने दिनभर स्वयं को अपने घरों में बंद रखा और सायंकाल ५:०० बजते ही सैनिकों , चिकित्सकों एवं इस महामारी से लड़ने में सहायता करने वालों के सम्मान में जिस प्रकार एक साथ शंख , घंटा - घड़ियाल एवं थाली - ताली का वादन प्रारंभ हुआ वह इस संक्रमण के विरुद्ध शंखनाद तो था ही साथ ही संपूर्ण विश्व के लिए आश्चर्यचकित कर देने वाला था | यह दृश्य देख कर के हमारे भारत में रह रहे या विश्व के अन्य देशों में भारत को तोड़ने का दिवास्वप्न देखने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि हम अनेक होते हुए भी संकट के समय में एक हो जाते हैं | जब हमने एक होकर के बड़े से बड़े संकट को भी पछाड़ दिया है तो यह विश्वास है कि कोरोना नामक इस संक्रमण को भी एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए परास्त करने में अवश्य सफल होंगे | आवश्यकता है सरकार के दिशा निर्देशों के पालन एवं स्वयं के सुरक्षा की क्योंकि जब हम सुरक्षित रहेंगे तभी देश भी सुरक्षित है और स्वयं की सुरक्षा स्वयं का बचाव करके ही हो पाएगी इसलिए घरों में रहकर एकजुटता का प्रदर्शन करते रहे |*

*जैसा कि यह ज्ञात हो गया है कि "कोरोना" का संक्रमण छुआछूत से फैलता है तो ऐसे में सरकार की आवाहन को ध्यान रखते हैं अपने घरों में बैठकर इस महामारी से लड़ने में एकजुट होकर सहयोगी की भूमिका निभाना हम सभी का कर्तव्य है |*

     🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...