Sunday, March 29, 2020

गीत गाते चलो,प्यार पाते चलो


गीत गाते चलो,प्यार पाते चलो
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

साथ अच्छा लगे,आज मिलकर सभी 
फासले ले तनिक,साथ आओ अभी,
द्वेष का हो क्षरण,नेह का हो वरण,
प्रेम का आचरण,स्वच्छ गह कर करण।
गीत गाते चलो,प्यार पाते चलो, 
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

राह कंटक भरा,दूर चलना अभी 
लक्ष्य की साधना, फूल फलना अभी,
काँध पर धार कर,भार उनका गहो
जो निबल साथ में, साथ उनके रहो।
बस यही साधना,मत किसी को छलो,
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

सुन समय की गिरा,चित्त एकाग्र कर
उस परम श्रेय का,ही पकड़ कर डगर,
त्याग नश्वर जरा,जीर्ण संसार तू
आत्म विस्तार ले,सूर्य आधार तू।
श्रेष्ठ पथ पर रहो,मत किसी को खलो,
मीत मेरे हृदय, गुनगुनाते चलो।

              
          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

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