भूमीभारहरण को आये,मिलकर सखियां गीत गायें।।
विश्वामित्र जो संग ले आया उसका पूरण यज्ञ कराया।
शंकर धनुष मरोड़गिराया जनकसुता सुखधाम बनाया।।
दशरथ बचन मान रघुराई बनको गये सीया ले भाई।
रावण सीता गई चुराई हनुमत जाय के लंका जलाई।।
बीच समुंदर पुल बनवाई लंका जाकर के करी लड़ाई।
राक्षससेना मार गिराई राज विभीषण अवधपुरी आई।।
©पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी, मुंगेली - छ.ग.
७८२८६५७०५७/८१२००३२८३४
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