आज़ादी के परवानों की,सुनलो अमर कहानी तुम ।
राजगुरू सुखदेव भगत की,याद करो कुर्बानी तुम ।।
आज़ादी का सूरज लाने,निकल पड़े थे मस्ताने ।
फाँसी के फन्दों को हँसकर,चूम रहे थे दीवाने ।।
ऐसे वीर सपूतों का हम,वंदन बारम्बार करें ।।
आज़ादी के दीवानों की,आओ जय जयकार करें ।।(1)
रंग बसन्ती चोला वाला,गीत अधर जब गाते थे ।
तोपें ताने खड़े फिरंगी,काँप काँप रह जाते थे ।।
आसमान भी बोल रहा था,इन्कलाब की बोली को ।
बच्चे बूढ़े चले उठाने , आज़ादी की डोली को ।।
नया सवेरा दिया जिन्होंने,उनका हम सत्कार करें ।।
आज़ादी के दीवानों की,आओ जय जयकार करें ।।(2)
भारत माँ पर प्राण लुटाकर,साँसें पावन करनें की ।
बूढे बाल जवानों में भी,होड़ लगी थी मरने की ।।
भारत माँ का क्रंदन सुनकर,बनी बेटियाँ मर्दानी ।
लिए तिरंगा बोल रही थी,इन्कलाब की वह बानी ।।
उनकी गौरव गाथा को हम,नमन करें स्वीकार करें ।।(3)
आज़ादी के दीवानों की,आओ जय जयकार करें ।।
अर्जुन और भीष्म की जननी,राम कृष्ण की धर्म धरा,
राणा और शिवा ने इस पर,स्वाभिमान का कलश धरा,
भारत की इस पावन रज से,हम अपना भाल सजाएँ ।
मातृभूमि की (की) शौर्य वन्दना,मुक्त कण्ठ से हम गाएँ ।।
अरि शोणित से भारत माँ का,आओ हम श्रृंगार करें ।।(4)
आज़ादी के दीवानों की,आओ जय जयकार करें ।।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
राष्ट्रीय प्रवक्ता
राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057