ब्रजराज तेरे काज गई लाज हमारी
बंसीकी सुनी आज जो अवाज पियारी।।टेक।।
संगमें है ग्वालबाल नंदलाल सांवरो
जमुना के आस पास रची रास बिहारी।।१।।
सिर मोरमुकुटधार गले हार पहनके
करते हैं नाच रंग सखा संग मुरारी ।।२।।
दे देके मधुर तान करे गान मनोहर
सुनकेचली ब्रजनार सदन कार बिसारी।।३।।
हरिका मुखारविंद देख चन्दनकी छबी
खेमेस्वर मन आनंद भई गोपकुमारी।।४।।
✍ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी ✍
युवा साहित्यकार - बाल प्रवक्ता
मानस-श्रीमदभागवत-शिवकथा
मुंगेली छत्तीसगढ़-७८२८६५७०५७
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