हिंदी-छत्तीसगढ़ी, मिक्स हास्य मस्ती टाइम
केवल आनंद लें,राग लय न ढूंढे।
✍ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली छत्तीसगढ़ ८१२००३२८३४
🌷🌺💐🌺🌷🌻🌸🌺🌷💐
बरसात के दिन आए
चिखलाघाट के दिन आए
टुरा टुरी मन मिले बर तरसतथे
इही सावन के रिमझिम झड़ी हे
कदम बइला मन के बहकने लगे हैं
इही भइसा के चिखलाये के घड़ी हे
बरसात के दिन आए.
चिखलाघाट के दिन आए
मेंचका सोच में थे जिनके
ओही रात के दिन आए
नरियाय के दिन आए
फदकाय के दिन आए
जलते रहे खेत ए जेठ के गरमी से,
बेमची बेमचा केे बरसो जुदाई
छम छम बरसती सुहानी घटा ने,
अजब टेरटेराहट है अब लगाई
बरसात के दिन आए.
चिखलाघाट के दिन आए
बेंदरा सोच में थे जिनके,
सोयाबीन बोंवाय के दिन आए
इंखर खवाय के दिन आए,
बउराय के दिन आए
ना नांगर होश में हो
ना नगरिहा होश में हैं
अदरा सिखाय जाए ना तुम संभालो हमें
गुज़ारिश यही हैं बछरूओं की
किसान थोरकिन सुरतावन दो हमें
डोंगा बोहाय के दिन आए,मताय के दिन आए
हम सोच में थे जिनके वो बचपन के दिन आए
मस्तियाय के दिन आए चिखलाय के दिन आए
No comments:
Post a Comment