अगस्त १५ ,सन १९४७ के होगे रहेन हमन आजाद,
आजादी के मतलब का समझेन अतका दिन बाद।
अंगरेजिहा मन के शासन में,घेराय रहेन गुलामी मां,
जाति पाति के गुलाम होगेन संमिधान बने के बाद।।
अपने देश मा गुलाम हन हमन,
पहिली गोरिया करिया मा बांटिन उन मन जी हमला,
आज हमर अपने मन,कर दिस जाति अऊ धरमवाद।
भारत के पहिचान रहस,अलग-अलग पंथ ,एकता के रंग
वो भारत आज गोठियात हे,आरक्षन जातपातके बात।।
मर गिन मिट गिन कतको, नेता मन देवाय बर आजादी,
हमर करम देख ऊंखर आत्मा,कहिही,रहो तुमन आबाद।
जातिवाद, आरक्षण अऊ धर्मवाद हर मति हमर भरमाय
नेता मन अपने ला देखय,जनता ला फोकट लड़वात।।
खुदे ल समझाव अब अतका तो, बर्बादी होय के बाद,
बलदानी जवान के सेती,समझव होगे हन हम आजाद।।
जय हिन्द, जय भारत जय छत्तीसगढ़
✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍
रचयिता - मानष दर्पण (रचना जारी)
मुंगेली छत्तीसगढ़
७८२८६५७०५७
८१२००३२८३४
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