अटूट अमिट अविरल वादों की बंधन में बंध जाएं,
दो छोटी - छोटी नाजुक धागों को अमर कर जाएं।
जिन बहनों की हो नहीं,उनकी भाई अब बन जाएं,
इनकी सुरक्षा है खतरे में,आओ हम ढाल बन जाएं।
मुंह छुपाए बैठे, नेता और वरिष्ठ, पत्थरदिल जगाएं,
बहनों के सम्मान में,एक ऐसा हम अभियान चलाएं।
जिन बहनों को लगती है कि उनका कोई भाई नहीं,
उनके इस कमी और मन की कमजोरी को भगाएं।
राखी का त्यौहार ही सही,आओ प्रेम का संदेश बढ़ाएं,
नारी सुरक्षा सम्मान खातिर, एकता प्रतीक बन जाएं।
राखी के पवित्र वादों की , धारदार तलवार बन जाएं,
प्रेम बंधन की युगों की , रिश्ते को हम आज निभाएं,
जन्म शुरू हुई प्रेम से प्रेम में भले ही हम मिट जाएं।
पर आओ,प्रेम बंधन की इतिहास में अलख जगाएं,
वर्तमान युग में हुए कलंकित न,ऐसी विश्वास जगाएं।
हर भाई पर बहनों की फिर से अविरल विश्वास जगाएं,
आओ प्रेमसे राखी के बंधन में फिर एक बार बंध जाएं।।
✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍
मुंगेली छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४
७८२८६५७०५७
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