आतंक के जनकों को मेरा ए संदेश पहुंचा देना
बात समझ न आए तो तीरछी बात समझा देना।
भेद नहीं है सीमा में, हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई मे
यहां मोहब्बत हर कोने में, मिले हैं भाई भाई में।
वामपंथी दक्षिण पंथी, पंडित चाहते हैं भोग जहां
राजनीति होती धर्म की,वोट बैंक का है रोग यहां।
इनको तो हम बदल ही लेंगे तुम अपना विचार करो
तुम्हारे नापाक इरादों को, बदल के हमसे प्यार करो।
बाप को बेटा,बहन मां को भी, तुमने अपने ही मारे हैं
बेमतलब रक्त नदी बहाते ,ऐसे तो इतिहास तुम्हारे हैं।
छोटी सोंच बड़ी साज़िश,कर तंग करे हो कश्मीर
तत्काल पहुंचाएंगे जन्नत, बदल रख देंगे तकदीर।
आजादी से लेकर,धुर्तो , अनगिनत बार हो मिट चुके
जब जब आंख दिखाई हे, बारंबार हो तुम पिट चुके।
हमारी मोहब्बत मजहब के बीच,कभी तोड़ न पाओगे
सिंधु सतलज ब्रह्मपुत्र की,की धारा को मोड़ न पाओगे।
इतिहास अपना अब भुल ,आओ हम से प्यार करो
आतंक छोड़ नये मोहब्बत, रिश्ते का इजहार करो।
मानलो तुम बात हमारी, समय तुम्हें देते हैं अब भी
पाक कोई था कहेंगे वर्ना, इतिहास पढ़ेंगे जब भी।
ऐसे अस्त्र चला देंगे कि,दुनिया से नामों निशान मिटा देंगे
अबकी कश्मीर पे दिखा कोई, पुरा पाकिस्तान मिटा देंगे।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
ओज-व्यंग्य/गीतकार
मुंगेली - छत्तीसगढ़
७८२८६५७०५७
८१२००३२८३४
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