Thursday, September 20, 2018

मां को समर्पित एक प्रयास

माँ बापू से बिछड़ कर गमगीन हो रहा हूँ ,
यादों में उनकी घायल मैं आज रो रहा हूँ !

अब कौन होगा मुझको वो प्यार दे सके जो ,
बाहों में ले के मुझको वो दुलार दे सके जो !

दिल में जो दर्द है वो अब मैं किसे दिखाऊँ ,
जाने कहां गये वो उनको कहाँ से लाऊँ !

तपिश मेरे बदन की माँ सह नहीं पाती थी ,
जाने वो कौन कौन से देवों को मनाती थी !

मेरे लिये न जाने कितनी ही नींदें खोयी ,
मेरी तड़प पे जाने वो कितनी बार रोयी !

अब याद आ रहा है बचपन मेरा सुहाना ,
माँ के ही हाथों खाना दे थपकियाँ सुलाना !

रोता था जब भी , मुझको गा लोरियां सुलाती ,
सोकर के पास मेरे सीने से वो लगाती !

गर्मी में रात भर वो पंखा मुझे झुलाना ,
सुबहा को नींद में ही रोटी दही खिलाना !

घुटनों के बल चला फिर उंगली पकड़ चलाया ,
हर इक बला से मुझको माँ ने सदा बचाया !

बारिश में भीगने से वो मुझको रोकती थी ,
सोहबत खराब होने से मुझको टोकती थी !

माँ का वो प्यार इतना मुझे याद आ रहा है ,
दरिया सा आँसुओं  का बहता ही जा रहा है !

माँ  ही  जमीं  थी  मेरी  बापू  जी आसमां थे ,
भगवान, गॉड , ईश्वर  वो  ही  मेरे खुदा थे !

दोनो  चले  गये अब  एकाकी  रह रहा  हूँ ,
यादें  ही   रह. गयी  हैं  बस  उनमें बह रहा हूँ !

एक बार काश मुझको माँ मेरी  मिल ही जाये ,
बाहों मे भर के मुझको सीने से तो वो  लगाये !

           ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                     मुंगेली - छत्तीसगढ़
                      ७८२८६५७०५७
                      ८१२००३२८३४

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