माँ बापू से बिछड़ कर गमगीन हो रहा हूँ ,
यादों में उनकी घायल मैं आज रो रहा हूँ !
अब कौन होगा मुझको वो प्यार दे सके जो ,
बाहों में ले के मुझको वो दुलार दे सके जो !
दिल में जो दर्द है वो अब मैं किसे दिखाऊँ ,
जाने कहां गये वो उनको कहाँ से लाऊँ !
तपिश मेरे बदन की माँ सह नहीं पाती थी ,
जाने वो कौन कौन से देवों को मनाती थी !
मेरे लिये न जाने कितनी ही नींदें खोयी ,
मेरी तड़प पे जाने वो कितनी बार रोयी !
अब याद आ रहा है बचपन मेरा सुहाना ,
माँ के ही हाथों खाना दे थपकियाँ सुलाना !
रोता था जब भी , मुझको गा लोरियां सुलाती ,
सोकर के पास मेरे सीने से वो लगाती !
गर्मी में रात भर वो पंखा मुझे झुलाना ,
सुबहा को नींद में ही रोटी दही खिलाना !
घुटनों के बल चला फिर उंगली पकड़ चलाया ,
हर इक बला से मुझको माँ ने सदा बचाया !
बारिश में भीगने से वो मुझको रोकती थी ,
सोहबत खराब होने से मुझको टोकती थी !
माँ का वो प्यार इतना मुझे याद आ रहा है ,
दरिया सा आँसुओं का बहता ही जा रहा है !
माँ ही जमीं थी मेरी बापू जी आसमां थे ,
भगवान, गॉड , ईश्वर वो ही मेरे खुदा थे !
दोनो चले गये अब एकाकी रह रहा हूँ ,
यादें ही रह. गयी हैं बस उनमें बह रहा हूँ !
एक बार काश मुझको माँ मेरी मिल ही जाये ,
बाहों मे भर के मुझको सीने से तो वो लगाये !
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
मुंगेली - छत्तीसगढ़
७८२८६५७०५७
८१२००३२८३४
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