*इतिहास के पन्नों से✒✒✒*
*🚩🤺महान सम्राट कृष्णदेव राय का संपूर्ण इतिहास*
*✊इस इतिहास से आप ये जानेंगे की भारत कोई गरीब या पिछड़ा हुवा देश नहीं था और ये भी जानेंगे की कैसे विजयनगर मुस्लिम गद्दारों के कारण नष्ट हुवा, कैसे इन्होने उस समय भी विस्वास तोडा और सेना में विद्रोह किया और मुगलों के साथ चले गए और जिहाद किया*
*🚩🤺भारत के शक्तिशाली शासक कृष्ण देवराय (1509 ई.-1529 ई.) :- राजा कृष्ण देवराय के पूर्वजों ने एक महान साम्राज्य की नींव रखी जिसे विजयनगर साम्राज्य (लगभग 1350 ई. से 1565 ई.) कहा गया। देवराय ने इसे विस्तार दिया और मृत्यु पर्यंत तक अक्षुण बनाए रखा। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना इतिहास की एक कालजयी घटना है।*
*'विजयनगर' का अर्थ होता है 'जीत का शहर'।*
*🚩🤺इस राज्य की प्रमुख राजधानी का नाम हम्पी और डम्पी था। हम्पी के मंदिरों और महलों के खंडहरों को देखकर जाना जा सकता है कि यह कितना भव्य रहा होगा। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है।*
*🚩🤺जिस तरह वर्तमान में न्यूयॉर्क, दुबई और हांगकाग विश्व व्यापार और आधुनिकता के शहर हैं, वैसे ही उस काल में हम्पी हुआ करता था। भारतीय इतिहास के मध्यकाल में दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य को लगभग वैसी ही प्रतिष्ठा प्राप्त थी, जैसी कि प्राचीनकाल में मगध, उज्जैनी या थाणेश्वर के साम्राज्य को प्राप्त थी।*
*🚩🤺इस साम्राज्य के सबसे यशस्वी सम्राट कृष्ण देवराय की ख्याति उत्तर के चित्रगुप्त मौर्य, पुष्यमित्र, चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, स्कंदगुप्त, हर्षवर्धन और महाराजा भोज से कम नहीं है। जिस तरह उत्तर भारत में महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी महाराज, बाजीराव और पृथ्वीराज सिंह चौहान आदि ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था, उसी तरह दक्षिण भारत में राजा कृष्ण देवराय और उनके पूर्वजों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा और सम्मान को बचाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।*
*🚩🤺महान सम्राट का जन्म : महान राजा कृष्ण देवराय का जन्म 16 फरवरी 1471 ईस्वी को कर्नाटक के हम्पी में हुआ था। उनके पिता का नाम तुलुवा नरसा नायक और माता का नाम नागला देवी था। उनके बड़े भाई का नाम वीर नरसिंह था। नरसा नायक सालुव वंश का एक सेनानायक था।*
*🚩🤺नरसा नायक को सालुव वंश के दूसरे और अंतिम अल्प वयस्क शासक इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बनाया गया था। इम्माडि नरसिंह अल्पायु था, इसलिए नरसा नायक ने उचित मौके पर उसे कैद कर लिया और सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया। तुलुवा नरसा नायक ने 1491 में विजयनगर की बागडोर अपने हाथ में ली। यह ऐसा समय था, जब साम्राज्य में इधर-उधर विद्रोही सिर उठा रहे थे। 1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई।*
प्रस्तुति
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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