*आइए पत्तलों की परम्परा फिर से पुनर्जीवित करते हैं ..*..
# *पत्तल में भोजन के अद्भुत लाभ*
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या में करते हैं।
आम तौर पर केले की पत्तियों में खाना परोसा जाता है, प्राचीन ग्रंथों मे केले की पत्तियों पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है, आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट में भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है।
नीचे चित्र में सुपारी के पत्तों से बनाई गई प्लेट, कटोरी व ट्रे हैं, जिनमें भोजन करना स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है; जिसे प्लास्टिक, थर्माकोल के ऑप्शन में उतरा गया है क्योंकि थर्माकोल व प्लास्टिक के उपयोग से स्वास्थ्य को बहुत हानि भी पहुँच रही है।
# सुपारी के पत्तों यह पत्तल केरला में बनाई जा रही है और कीमत भी ज्यादा नहीं है; तक़रीबन 1.5, 2, रुपये साइज और क्वांटिटी के हिसाब से अलग अलग है।
# पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है।
# केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है।
# रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है, पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है, आम तौर पर लाल फूलों वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है; इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासीर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है।
# जोड़ो के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है, पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना में अधिक उपयोगी माना जाता है।
# लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलों को उपयोगी माना जाता है।
पत्तलों से अन्य लाभ :
1. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।
2. पानी नहीं खर्च होगा।
3. ना ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा।
4. ना केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे।
5. केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि नहीं पहुंचेगी।
6. अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी।
7. प्रदूषण भी घटेगा।
8. सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है, एवं मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
9. पत्तल बनाने वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा।
10. सबसे मुख्य लाभ, आप नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं, जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी, पहले नाले में जायेगा, फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा, जो जल प्रदूषण में आपको सहयोगी बनाता है।
*हर जगह भंडारे, विवाह शादियों, birthday पार्टियों में डिस्पोजल की जगह इन पत्तलों का प्रचलन करना चाहिए।*
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प्रस्तुति
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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