Tuesday, October 1, 2019

२ अक्टूबर जयंती विशेष २०१९

आज दो महापुरुषों,महाराजितिज्ञों का जन्म दिवस है जिसे हम जयंती के रूप में मनाते हैं,गतरात्रि मैं दोनों पर कविताएं लिखने का प्रयास कर रहा था लेकिन वह अधूरी है, भविष्य में किसी मंच से प्रस्तुत करूंगा लेकिन अपना विचार रख रहा हूं,
सबसे पहले मैं उस महापुरुष को नमन करता हूं, जिन्होंने , "जय जवान जय किसान" का नारा दिया और अन्न दाता और देश के सीमा पर तैनात जान हथेली पर रखकर सेवा देने वालों को इतना बड़ा सम्मान दिया, उन्होंने एक अच्छे राजनेता होने का परिचय और प्रेरणा दिया, उनके जीवन की कई घटनाएं भावविभोर कर देती हैं, निस्वार्थ भाव से देश सेवा करने वाले नेता बने हमारे देश के गौरव और वर्तमान राजनेताओं को जिनके जीवनी से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है ऐसे महान नेता भारत रत्न द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को सत सत नमन 💐💐💐
दूसरे महान राजनीतिज्ञ श्री मोहनदास करमचंद गांधी जी को मैं साधुवाद देना चाहूंगा,सौ करोड़ राष्ट्र भक्तों की ओर से सादर आभार व्यक्त करता हूं कि आपने वह कर दिखाया जो कोई और नहीं कर सकता था, (एक प्रसंग:-एक बड़े महल में एक अच्छा और फायदेमंद कुत्ता था, जो उस महल के दिवार में लगी खूंटी से बंधा हुआ था,वह महल से बाहर जाने वाले बच्चे, महिला पुरुष, लगभग सभी को काटने दौड़ता था,था तो पालतू,मगर था फालतू. लेकिन वह काट नहीं पाता था और नाखूनों से नोचता था, राजा भी परेशान था और मंत्री गण भी और कोई शत्रु पक्ष का जो कि उन कुत्तों का सरदार बनने का मंसूबा पाले हुआ था,वह चाहता था कि कुत्ता उनके साथ रहे,अब राजा ने वह कुत्ता पाला था ओ भी बड़े प्यार से, उसे मार तो सकता न था,और वह राज्य का अंग भी था लेकिन प्रजा उस कुत्ते से परेशान थे, सभी चाहते थे कि वह कुत्ता हमारे राज्य में न रहें क्योंकि अगर वह काट भी लेगा तो हम उसे मार नहीं सकते, सिर्फ माफ कर सकते हैं ज्यादा से एक दो दिन बिना खाने के रखेंगे लेकिन फिर से वही प्यार देने होंगे, मंत्रणा हुआ तो किसी महात्मा से सलाह लेने का निष्कर्ष निकाला गया, इधर ओ कुत्तों का सरदार,मौका देखकर अपने एक पहचान के जो कि बड़े ही अहिंसा वादी संत थे उनके पास जाकर अपने मन की बात कही और संत ने फिर जब प्रजा व राजा की इच्छा जानी तब राजा से कहा कि आप कुत्ते को मारें भी न और नजरों से दूर भी नहीं होगा आपकी प्रजा भी सुरक्षित रहेगी और आपका प्रेम भी बना रहेगा,तब राजा ने उस दिवार के खूंटी में से उस कुत्ते को अलग किया और उस सरदार को दे दिया, अब कुछ दिनों पश्चात एक व्यक्ति सामने आया जो कि उन्हीं प्रजा में से ही एक थे जो कि अपने राष्ट्र से बहुत प्रेम करता था और दयावान भी थे ,ओ उस कुत्ते के साथियों को सर्दी में कंबल, बरसात में कोई छाया और खाने के लिए रोटियों का इंतजाम करते थे जो कि उस सरदार के यहां से राजा के राज में आते थे, और जो कुत्ता महल में से अलग हुआ वह सभी कुत्तों के लिए फिर राज्य में घूसकर बच्चों से खाना छिनकर ले जाने लगे, तब उस संत को राजसभा में बुलाया गया व सलाह लिया गया तब उस संत ने उन कुत्तों को कुछ जमीन के टुकड़े व खाने पीने व रहने के लिए राज्य से लगा हुआ एक छोटा सा उनके लिए जो अच्छा रहेगा भूखंड देने का राजा से निवेदन किया,जो कि पहले ही उन कुत्तों के सरदार से डील की जा चुकी थी, अब प्रजा भी सुरक्षित थे,और ओ कुत्तों के सरदार भी मजे में थे, लेकिन राजा का व राजपरिवार तथा उनसे जुड़े लोगों का प्रेम बराबर बना हुआ था क्योंकि अगर किसी ने उनके राजकाज में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया तो ओ कुत्तों को उन पर छोड़ सके और उनका राजकाज हमेशा बना रहे,ओ राजसिंहासन के चक्कर में भले ही कुत्ते को अलग किया था लेकिन था प्रजा के खून चूसने वाले और प्रजा कहीं खिलाफ न हो जाएं इसलिए ओ प्रजा के हित में भी काम करते थे, पर अचानक कुछ समय पश्चात कुछ कुत्ते देश में से और भूखंड मांगने का प्रयास करने करने लगे और शायद उस संत से संपर्क करते इतने व राष्ट्रवादी व्यक्ति ने मौका देखकर एक प्रजामिलन की सभा में उस संत की हत्या कर दिया, लेकिन वह मूर्ख था क्योंकि संत ने कोई सलाह दिया था ही नहीं हो सकता था कि वह कुत्तों के सरदार को इसपर मना कर देते या राजा के अंदर से उनके खिलाफ प्रेम भावना जो उनमें थी उसे समाप्त कर देते,राजा ने उस हत्यारे को फांसी दे दी..और उस संत को राष्ट्र संत की उपाधि दी गई हालांकि उन्हें सभा में प्रजा के बीच घोषित किया गया तब कोई लेख या नियम नहीं बनाया गया..! समय बितता गया, राजपरिवार पीढ़ी दर पीढ़ी उस संत की पूजा करते रहे और उन्होंने कोई विशेष निर्णय तो नहीं लिया लेकिन उन कुत्तों के वंशजों के प्रति भी प्यार बना रहा फिर कुछ राष्ट्र वादी विचार के मंत्री व सेनापति उनके राज में शामिल हुए जिनके विचार उनके तरह थे जब वह राजा और उनका राज्य किसी का गुलाम थे तब जिन्होंने आजादी दिलाई थी, फिर उस कुत्तों के भूखंड से कुछ कुत्ते देश में घूसकर प्रजा को काटने लगे तब उन्होंने उन कुत्तों को बंदी बनाया और लेकिन राजपरिवार के प्रेम के कारण घर पहूंचाकर छोड़ आना पड़ता रहा, फिर समय बितता गया, कुछ राष्ट्र वादियों का संगठन विस्तार हुआ और ओ उस संत के हत्यारे को अपना एक अच्छा हितकर समझकर चवते थे राजपाट उनके हाथ आया और पूर्ण व्यवस्था बदल गया,और ए राष्ट्रवादी आज भी उस संत को पूर्ण रूप से नहीं मानते थे, लेकिन है तो राज के महान संत तो नमन भी करते हैं, अब कुत्तों को मारा जाने लगा,और राजपरिवार के सिंहासन मे न होने के बावजूद भी विरोध करने पर भी नहीं माना गया तो उनके राष्ट्र वादी विचार को भी श्वेत आतंक का नाम दे दिया गया..और फिर राज इसी तरह चलता रहा कुछ कुत्ते हमला करते हैं मारे जाते हैं लेकिन उस राजपरिवार व उनके चाहने वाले आज भी उन्हें सहयोग करते हैं और इन गद्दारों को कुछ बंधनों के कारण माफ करना पड़ता है, उस राज्य में कवि भी हुआ और उन्होंने फिर खुद राष्ट्र वादी विचार के होते हुए भी उस संत को महान कहा और विचार व्यक्त किया कि कुत्ते अपने नहीं है अब इसलिए मार तो सकते हो नहीं तो हर गलती माफ करनी पड़ती साहब जी...)
बस इसी तहर गांधी जी ने भी पाकिस्तान के आतंक रूपी कुत्तों को हमसे अलग करने में बहुत बड़ा योगदान दिया नहीं तो जिन्हें हम आज आतंकवादी घोषित कर एनकाउंटर कर देते हैं उन्हें गद्दार घोषित कर कुछ दिन कारागार में डाल कर मुफ्त की रोटी खिलाकर माफ करते रहते हैं, अगर गांधी जी नहीं होते तो ए अब तक लगभग आधे भारत को आतंकवादी बना चुके होते,और किसे के मन में हमारे सीमा या भीतर के सैनिकों का भय नहीं होता,और आज हम जिस "जैस-ए-मोहम्मद" को आतंकी संगठन कहते हैं, कोई सामाजिक संगठन के रूप जानते होते, मैं इस नेक कार्य के लिए आजीवन गांधी जी आपका आभारी रहूंगा क्योंकि हो न हो उनमें से कोई मेरे आस-पास होता तो उनके संगत में आज मेरे अंदर भी एक राष्ट्र द्रोह का विचार पनप रहा होता गांधी जी ने उससे मुक्त कर मुझे राष्ट्रहित व राष्ट्रप्रेम का मौका दिया है...आपकी जयंती पर सादर नमन 💐💐💐💐
और आपका हत्यारा #नाथूराम_गोडसे महान नहीं थे
वो एक मामूली व्यक्ति थे। उनके पास महान बनने का ऑप्शन नहीं था। उनपर महान बनने की सनक भी सवार नहीं थी
नाथूराम गोडसे जी में अगर कोई सनक थी तो राष्ट्रवाद की सनक थी। पागलों की तरह पाकिस्तान से आए एक-एक शरणार्थीयों के लिए दो रोटी और कम्बल जुटाते फिरते थे। उन्हें शायद कोई भ्रम हुआ था कि आप देश के खिलाफ निर्णय ले सकते हैं,और उन्होंने आपकी हत्या कर दी.. उनके विचार पर ओ भले सही थे,उस सभय शायद उनके आसपास का माहौल और समझ ही वैसी रही होगी...तब अपने स्थान पर ओ भी सही रहे होंगे... लेकिन आपने जो भारत के लिए किया वह अतुलनीय है....आप महान थे सत्य और अहिंसा के पुजारी के रूप में एक महान प्रणेता रहे हैं, लेकिन इस प्रकार आप राष्ट्र के सच्चे सपूत थे, न कि राष्ट्र के पिता 💐🚩🙏🏵🇮🇳🏵🏵🙏🚩💐
🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जय हिन्द वन्दे मातरम्  🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आप दोनों महापुरुषों के जयंती पर सादर नमन 💐💐💐💐💐
{ प्रसंग को समझने के लिए कुछ हिंट इस प्रकार है:- राज्य=भारत, महल= वर्तमान भारत का सीमा, दिवार टर खूंटी से बंधा हुआ कुत्ता व लगा हुआ भूखंड = पाकिस्तान,संत को महात्मा गांधी जी के स्थान पर और उनके हत्यारे को गोड़से का स्थान देकर भी समझा जा सकता है बाकी को आप स्वयं ही समझें}

                      पं.खेमेश्वरपुरी गोस्वामी
                     ओज-व्यंग्य कवि,लेखक
                 प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
          अंतर.युवा हिंदू वाहिनी एवं गौ रक्षा दल
                   डिंडोरी,मुंगेली - छत्तीसगढ़
              ७८२८६५७०५७-८१२००३२८३४

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