Wednesday, October 2, 2019

नवरात्रि का पांचवां दिन

नवरात्रि का पांचवा दिन : *मां स्कंदमाता*
 
नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरुप मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है, इस दिन साधक का मन *विशुद्ध चक्र* में स्थित होता है।

भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरुप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है, भगवान स्कंद *कुमार कार्तिकेय* नाम से भी जाने जाते हैं; ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे, पुराणों में इन्हें कुमार और शक्तिधर कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है, इनका वाहन मयूर है।

स्कंदमाता के विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे हुए हैं, शास्त्रानुसार सिंह पर सवार स्कन्दमातृस्वरूपणी देवी की चार भुजाएं हैं, जिसमें देवी अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होंने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है; इनका वर्णन पूर्णतः शुभ्र है और ये कमल के आसान पर विराजमान रहती हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है।

नवरात्र पूजन के पांचवे दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है, इस दिन साधक की समस्त बाहरी क्रियाओं एवं चित्तवृतियों का लोप हो जाता है एवं वह विशुद्ध चैतन्य स्वरुप की ओर अग्रसर होता है; उसका मन समस्त लौकिक, सांसारिक, मायिक बंधनों से विमुक्त होकर पद्मासनामां स्कंद माता के स्वरुप में पूर्ण्तः तल्लीन होता है।

*पूजा फल*

स्कंदमाता की साधना से साधकों को आरोग्य, बुद्धिमता तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है, इनकी उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं, उसे परम शांति एवं सुख का अनुभव होने लगता है; स्कंदमाता की उपासना से बालरूप कार्तिकेय की स्वयं ही उपासना हो जाती है, यह विशेषता केवल इन्हीं को प्राप्त है अतः साधक को इनकी उपासना पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

सूर्यमण्डल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक आलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है, संतान सुख एवं रोगमुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।

*पूजा विधि*

मां के श्रृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए; पूजा में कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फल आदि से पूजा करें; चंदन लगाएं, माता के सामने घी का दीपक जलाएं, आज के दिन भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए, ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।

*मां स्कंदमाता का मंत्र*

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
या देवी सर्वभूतेषुमां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

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