Thursday, October 24, 2019

आज का सुविचार

*आज का विचार*

सच्चा तीर्थ कौनसा हैं ? तीर्थसेवन से आशय क्या है, यह स्कंदपुराण से समझें-

‘‘सत्य तीर्थ हैं, क्षमा, इंद्रिय नियंत्रण भी तीर्थ हैं। सरलता भरा स्वभाव एवं जीव दया भी तीर्थ है। दान, मन का संयम, संतोष, ब्रह्मचर्य, प्रियवचन बोलना भी तीर्थ है। ज्ञान, धैर्य, तप को भी तीर्थ कहा गया है। तीर्थों में सबसे श्रेष्ठ तीर्थ हैं-अंतःकरण की पवित्रता।’’

अंत में स्कंदपुराण इस विषय में कहता हैं-‘‘जल में शरीर को डुबो लेना ही स्नान नहीं कहलाता। जिसने दमरूपी तीर्थ में स्नान कर मन के मैल को धो डाला, वही शुद्ध है, सच्चा तीर्थ सेवन करने वाला है।’’
सुप्रभातम

No comments:

Post a Comment

माता पिता के चरण स्पर्श से होता है संतान के संपूर्ण अमंगलों नाश

माता पिता के चरण स्पर्श से होता है संतान के संपूर्ण अमंगलों नाश : पं.खेमेश्व माता-पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता हर...