*स्वामी श्रद्धानंद जिन्होंने गांधी को "महात्मा" की उपाधि दी उन्हीं के हत्यारे "अब्दुल रशीद" को महात्मा गांधी ने सजा होने से बचाया ..*..
1902 में देश के पहली स्वदेशी यूनिवर्सिटी *गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय* हरिद्वार की स्थापना करने वाले *.*. 1920 के दशक में शुद्धि आंदोलन चलाने वाले *.*. जिसमें लाखों हिन्दू से ईसाई व मुसलमान बनें ईसाई मुसलमानों को पुनः वैदिक धर्म में दीक्षित किया गया *..*..
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन कराने वाले उसकी अध्यक्षता करने वाले आर्य सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद के नाम से कौन परिचित नहीं होगा?
मार्च 1915 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए, अप्रैल 1915 में वह गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार जाते हैं स्वामी श्रद्धानंद से भेंट करने के लिए *.*. यह उन दिनों की बात है जब देश में गांधी जी को कोई जानता भी नहीं था, वह औसत दर्जे के बैरिस्टर थे; उस समय देश में कांग्रेस में *बाल गंगाधर तिलक*, *फिरोजशाह मेहता*, *लाला लाजपत राय*, जैसे महान विभूतियों का डंका बज रहा था *..*..
स्वामी श्रद्धानंद गांधी को महात्मा की उपाधि देते हैं *.*. स्वामी श्रद्धानंद वह व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले देश में *लोक अदालतों* का विचार दिया क्योंकि वह खुद प्रसिद्ध वकील रहे थे सन्यासी होने से पूर्व *.*. एक साधारण से काठियावाड़ी बनिए को *महात्मा गांधी बनाने वाले केवल और केवल स्वामी श्रद्धानंद थे ..*..
फरवरी 1923 में स्वामी श्रद्धानंद शुद्धि सभा की स्थापना करते हैं *.*. दिसम्बर आते-आते छह लाख से अधिक मलकानी राजपूतों को जो मुसलमान हो गए थे, आगरा मथुरा के आस पास बसे हुए थे उन्हें हिन्दू बनाया जाता है *..*..
इतना ही नहीं, दिल्ली के आसपास फरीदाबाद के मूला गुर्जरों को पुनः हिन्दू बनाया जाता है, फरीदाबाद, गुरुग्राम, बल्लभगढ़ तहसील के दर्जनों गांव में यह शुद्धि अभियान बड़े जोर शोर से चलता है *.*. मुस्लिम तब लीगी जमातों में खलबली मच जाती है *.*. रातों-रात फतवे जारी हो जाते हैं *..*..
कांग्रेस के उस समय के तमाम राष्ट्रीय नेता स्वामी श्रद्धानंद के कार्य को उचित व जरूरी ठहरा चुके थे, लेकिन गांधी ने मई 1925 में स्वामी श्रद्धानंद के *शुद्धि आंदोलन के विरुद्ध यंग इंडिया में लेख प्रकाशित* किया जो इस प्रकार था *..*..
29 मई, 1925 के अंक में *हिन्दू मुस्लिम तनाव : कारण और निवारण* शीर्षक से एक लेख में स्वामी जी पर गांधी जी ने स्वामी श्रद्धानंद पर अनुचित टिप्पणी कर डाली *..*..
उन्होंने लिखा- *स्वामी श्रद्धानन्द जी भी अब अविश्वास के पात्र बन गये हैं .*. *मैं जानता हूँ की उनके भाषण प्राय: भड़काने वाले होते हैं, दुर्भाग्यवश वे यह मानते हैं कि प्रत्येक मुसलमान को आर्य धर्म में दीक्षित किया जा सकता हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार अधिकांश मुसलमान सोचते हैं कि किसी न किसी दिन हर गैर मुस्लिम इस्लाम को स्वीकार कर लेगा ..*..
*श्रद्धानन्द जी निडर और बहादुर हैं, उन्होंने अकेले ही पवित्र गंगा तट पर एक शानदार आश्रम (गुरुकुल) खड़ा कर दिया हैं, किन्तु वे जल्दबाज हैं और शीघ्र ही उत्तेजित हो जाते हैं; उन्हें आर्य-समाज से ही यह विरासत में मिली हैं ..*..
स्वामी दयानंद पर आरोप लगाते हुए गांधी जी लिखते हैं- *उन्होंने संसार के एक सर्वाधिक उदार और सहिष्णु धर्म को संकीर्ण बना दिया ..*..
गांधी जी के लेख पर स्वामी जी ने प्रतिक्रिया लिखी की, *यदि आर्य समाजी अपने प्रति सच्चे हैं तो महात्मा गांधी या किसी अन्य व्यक्ति के आरोप और आक्रमण भी आर्यसमाज की प्रवृतियों में बाधक नहीं बन सकते ..*..
गांधी के षड्यंत्र से स्वामी श्रद्धानंद विचलित नहीं हुए, यह शुद्धि आंदोलन उनकी मृत्यु 23 दिसंबर 1925 तक चलता रहा *.*. 23 दिसंबर 1925 को चांदनी चौक नया बाजार पुरानी दिल्ली स्थित *~अब्दुल रशीद~* नामक सिरफिरे मजहबी मुसलमान ने स्वामी जी की गोली मार कर हत्या कर दी, लोगों ने उसे रंगे हाथ पिस्तौल सहित दबोच लिया *..*..
लेकिन महात्मा गांधी ने उस हत्यारे का बचाव किया, उसके समर्थन में जनसभा की *.*. कहा- *अब्दुल रशीद मेरा भाई है और मैं बार बार यह कहूंगा, हत्या के लिए मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; दोषी वह लोग हैं जो एक दूसरे के खिलाफ नफरत फैलाते हैं, उसकी कोई गलती नहीं है और ही उसे दोषी ठहराकर किसी का भला होगा ..*..
गांधी के ऐसे बयानों का नतीजा यह निकला कि तमाम सबूत होने के बावजूद स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा 2 साल बाद छूट गया, यदि *वह दुष्ट* स्वामी श्रद्धानंद की हत्या नहीं करता तो आज फरीदाबाद, गुड़गांव का मेवात गौ हत्यारों *.*. वाहन चोर अपराधियों का गढ़ नहीं होता *..*..
फरीदाबाद जिले में धौज बडकल जैसे गांव जो हिन्दू गुर्जरों के गांव थे, आज मुस्लिम गुर्जरों के गांव पहचाने जाते हैं, हिन्दू गुर्जरों से उनकी रोटी बेटी का रिश्ता आज होता जैसा फरीदाबाद के अन्य शुद्ध किए गए गांवों से है *..*..
अब आप समझ सकते हैं कि जब महान स्वामी श्रद्धानंद को गांधी ने नहीं बख्शा *.*. जिन्होंने उन्हें आंदोलन करना, नेतृत्व करना, सिखाया महात्मा की उपाधि दी, वह भला शहीद भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र, सरदार पटेल, *जैसे देशभक्तों को कैसे बख्शता⁉⁉⁉*
साभार- *आर्य सागर*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻
प्रस्तुति
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
No comments:
Post a Comment