Thursday, October 24, 2019

धनतेरस पूजन विधि

*धनतेरस पूजन विधि - 25 अक्टूबर 2019,  शुक्रवार*

( घर में धन धान्य वृद्धि और सुख शांति के लिए )

दिवाली से पहले धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि- भगवान महामृत्युंजय शिव और लक्ष्मी- कुबेर की पूजा की जाती है, साथ में धन को कमाने और उसके सदुपयोग की सद्बुद्धि के लिए गायत्री और गणेश के मन्त्रों से पूजा की जाती है।

👉🏻1- गुरु आवाहन मंत्र - *ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु, गुरुरेव महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।*

👉🏻2 - गणेश आवाहन मन्त्र - *ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दंती प्रचोदयात ।।*

👉🏻3- लक्ष्मी आवाहन मंत्र - *ॐ महा लक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।*

👉🏻४ -दीपदान मंत्र ( कम से कम 5 या 11 या 21 घी के दीपकों को प्रज्वल्लित करें )-

*ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्नी: स्वाहा । सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा । अग्निर्वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चो स्वाहा । सूर्यो वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्च: स्वाहा । ज्योतिः सूर्य्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा ।।*

👉🏻5 - चौबीस(२४) बार गायत्री मंत्र का जप करें - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् , भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ।*

👉🏻6- तीन बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करें - *ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।*

👉🏻7 - तीन बार लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जप करें - *ॐ महा लक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॥*

👉🏻8 - तीन बार गणेश मंत्र का जप करें - *ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥*

👉🏻9 - तीन बार कुबेर का मंत्र जप करें - *ॐ यक्ष राजाय विद्महे, वैश्रवणाय धीमहि, तन्नो कुबेराय प्रचोदयात्॥*

👉🏻10-  तीन बार आरोग्य देवता धन्वन्तरि गायत्री मन्त्र का जप करें- *ॐ तत् पुरुषाय विद्महे, अमृत कलश हस्ताय धीमहि, तन्नो धन्वन्तरि  प्रचोदयात्*

👉🏻11 - शान्तिपाठ - *ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।*

दीपक नकारात्मकता का शमन कर सकारात्मक दैवीय शक्तियों को घर में प्रवेश देता है। इसलिए दीपक की जगह विद्युत् से जलने वाली led या किसी भी प्रकार की लाईट नहीं ले सकती। घर के मुख्य् द्वार पर दो घी या सरसों या तिल के तेल के रुई बाती वाले दीपक, एक तुलसी के पास, एक रसोईं में और एक बड़ा मुख्य् दीपक सूर्यास्त के बाद जलाकर रख दें। फिर कलश स्थापना कर पूजन करें। दीपयज्ञ/दीपदान के बाद घर की तिज़ोरी/लेपटॉप/बैंक की पासबुक इत्यादि का पूजन अवश्य करें।

👉🏻प्रथम दिन - *धनतेरस पूजा व दीपदान मुहूर्त*- 25 अक्टूबर 2019,  शुक्रवार

*धनतेरस मुहूर्त* : 19:10:19 से 20:15:35 तक
*अवधि* : 1 घंटे 5 मिनट
*प्रदोष काल* :17:42:20 से 20:15:35 तक
*वृषभ काल* :18:51:57 से 20:47:47 तक

उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से ध, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है.

*Optional*- घर में बना हलवा या खीर प्रसाद में चढ़ाएं। यदि बजट है तो चांदी या स्वर्ण का कुछ भी सामान ख़रीद ले शाम 6:30 से पहले, उसे दूध में नहला के पूजन स्थल में साफ़ स्टील की कटोरी में लाल वस्त्र के ऊपर रख लें। उसका तिलक चन्दन कर पूजन के पश्चात् तिज़ोरी में रख दें, दीपावली के दिन पुनः उसका पुजन।

इतने दिनों पूर्व भेजने से आप सभी अपने ईष्ट मित्रों को समय से पूर्व फारवर्ड कर दें। इतनी विधिवत् जानकारी सभी देवताओं के मन्त्र के साथ धनतेरस की अन्यत्र मिलना मुश्किल है। अतः शठ कर्म और कलश पूजन हेतु 📖 *कर्मकाण्ड प्रदीप्त* शांतिकुंज पब्लिकेशन की पुस्तक की मदद ले।

कुछ युगनिर्माण योजना मथुरा  प्रकाशन की पुस्तकें जिनके स्वाध्याय से अमीर बनने के रहस्य पता चलेंगे, जरूर धनतेरस के दिन पढ़े:-
1- धनवान बनने के गुप्त रहस्य
2- सफलता के सात सूत्र साधन
3- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
5- आगे बढ़ने की तैयारी
*गोवर्धन पूजा- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा:~🌹👏*
28 अक्टूबर 2019, सोमवार..
गाय का गोबर वास्तव में किसानों के लिए और सारे संसार के लिए धन है। *गोबर्धन अर्थात् गोबर ही धन का श्रोत है।*

चतुर्थ दिन - *गोवर्धन पूजा/अन्नकूट पूजा* , 28 अक्टूबर 2019, सोमवार

*गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :-*     15:25:46 से 17:39:44 तक
अवधि :2 घंटे 13 मिनट

*गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है*। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।

स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है

गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है।

*सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है।*

*वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।*

*देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ पौधों को पोषण देने वाले जीवाणु होते हैं। धरती की नमी बचाये रखते है।*

*रूस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं।*

*एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर ऑक्सीजन बनती है।*

जब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

*इस पर्व का सन्देश है, क़ि यदि मानवजाति और भोजन को जहर से बचाना चाहते हो तो कीटनाशक और अन्य रासायनिक खादों को बन्द करके, गौ मूत्र और गुड़ को मिलाकर अमृत जल से खेती में छिड़काव करो। गाय के गोबर की कम्पोस्ट खाद बना, अमृत मिट्टी गाय के गोबर, अमृत जल और वृक्षों के सूखे पत्तों को मिलाकर अमृत मिट्टी से खेती करे।*

*पूजन विधि, निरोगी जीवन और धन धान्य के लिए : -🌹👏🙏😊*

गाय को नहला कर पूजन करे, और खेत से उपजे अन्न से बने पकवान का भोग लगाएं।

शहर में रहने वाले गाय की डेरी में जाकर चना और गुड़ दान दें, गाय को खिलाएं। गाय का तिलक चन्दन करें। और घर आते वक़्त थोड़ा सा गाय का ताज़ा गोबर घर ले आएं। साथ ही गाय के गोबर से बने सूखे उपले(कण्डे) भी ले आएं।

पूजन वेदी में गाय के गोबर को सुपारी जैसा गोल बना के एक तस्तरी में रख कर उसका पूजन करें।

एक छोटे मिट्टी के बर्तन में सूखे उपलों को तोड़कर, उसे कपूर और घी बाती की सहायता से जला कर, गाय के घी, जौ, तिल, हवन सामग्री से हवन करें, उसके बाद अंतिम एक आहुति  घर के बने मीठे पकवान खीर या हलवा से स्विष्टिकृत आहुति देकर यज्ञ पूरा करें।

यज्ञ में 11 आहुति गायत्री मन्त्र की दें -

*ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
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तीन आहुति महामृत्युंजय मन्त्र की - *ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*

तीन आहुति कृष्ण गायत्री मन्त्र की

*ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥* - कृ० गा०.

एक आहुति माँ कामधेनु गौ माता को

*त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।*
*त्वं तीर्थ सर्व तीर्थानां नमस्तेदस्तु सदानघे।।*

यज्ञ के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना कीजिये निम्नलिखित मन्त्र से,

*या देवी सर्वभूतेषु गौ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः*
गौ सम्वर्द्धन और पर्यावरण हेतु प्रयास कीजिये, देशी गाय एकमात्र समस्त समस्याओं का समाधान है। गौ गंगा गीता और गायत्री यही हमारे भारतीय संस्कृति और धर्म का आधार है।
*भाई दूज(यम द्वितीया)- कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया उत्सव मनाने की विधि*
29 अक्टूबर, 2019, मंगलवार
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भाई दूज, भाई- बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है, जिसे यम द्वितीया या भैया दूज (Bhaiya Dooj) भी कहते हैं। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जिसे कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।

भाई दूज देश के बाहर भी मनाया जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच प्यार के बंधन को बढ़ाने के लिए रक्षा बंधन त्योहार की तरह है। इस शुभ दिन की बहनें अपने विशेष भाइयों की भलाई और कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों के प्रति प्रेम दिखाने और उनकी देखभाल करने के लिए अपनी ताकत के अनुसार उपहार पेश करते हैं। ​

पंचम दिन - *भैया दूज* , 29 अक्टूबर, 2019

*भाई दूज तिलक का समय* : 13:11:34 से 15:25:13 तक
*अवधि* : 2 घंटे 13 मिनट

*भाई दूज पूजा विधी*
इस दिन सुबह पहले स्नान करके गायत्री, लक्ष्मी-विष्णु और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। बहन अपने हाथों से बना कुछ मीठा हलवा या मिठाई या खीर सर्वप्रथम तुलसी पत्र डालकर ईश्वर को भोग लगाएगी, और भाई बहन एक दूसरे के सद्बुद्धि के लिए, उज्जवल भविष्य के लिए, धन धान्य के लिए पांच घी के दीपक जलाकर पूजन करेगें और साथ साथ निम्नलिखित मन्त्र का पूजन घर में दोहराएंगे:-

24 गायत्री मन्त्र - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*

5 महामृत्युंजय मन्त्र - *ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*

3 बार गणेश मन्त्र - *ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्*

3 बार लक्ष्मी मन्त्र - *ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्*

3 बार विष्णु मन्त्र - *ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्*

मन्त्र जप के बाद आरती करके, बहन पूजा के थाल में तिलक, कलावा, और मीठा भोग लेगी। भाई के माथे पर टीका निम्नलिखित मन्त्र के साथ लगा कर उसकी लंबी उम्र और सद्बुद्धि की कामना करेगी। साथ में हल्दी वाले अक्षत भी माथे में लगाएगी।

*ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्।*
*आपदां हरते नित्यम्, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥*

फ़िर बहन भाई के हाथ में निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए कलावा(रक्षासूत्र बांधेगी)।

*ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम्।*
*दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, श्रद्धया सत्यमाप्यते॥*  

फिर बहन भाई को खीर/मीठा खिलायेगी।

भाई बहन को इसी तरह टीका लगाकर, कलावा बांधकर खीर/मीठा खिलायेगा।

दोनों एक दूसरे को वादा करेंगे, हम सुख दुःख में एक दूसरे का साथ देंगें, किसी भी कारण से भाई बहन के पवित्र रिश्ते को कलुषित नहीं होने देंगें।

इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अगर बहन की शादी ना हुई हो तो उसके हाथों का बना भोजन करना चाहिए। अपनी सगी बहन न होने पर चाचा, भाई, मामा आदि की पुत्री अथवा पिता की बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। साथ ही भोजन करने के पश्चात बहन को गहने, वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देना चाहिए इस दिन यमुनाजी में स्नान का विशेष महत्व है।

गिफ़्ट से प्यार को तौल कर इस रिश्ते का अपमान नही करें, तथाकथित आधुनिकता में इसे लड़की लड़के का युद्ध मैदान न बनाएं। हाथ की पांचो अंगुलियां बराबर न होने पर सभी महत्त्वपूर्ण है। इसी तरह परिवार में सब बराबर हैं एक दूसरे के पूरक है। अध्यात्म में ठहराव और धैर्य की शक्ति की जरूरत होती है, इसलिए इस कठिन दायित्व को स्त्रियों ने उठाया हुआ है। अध्यात्म बल से पति और भाई को समुन्नत बनाने के लिये वो इसे ख़ुशी से करती हैं। घर के बाहर के शरीरिक बल के कठोर कार्य पुरुष ख़ुशी से अपने परिवार के लिए करते हैं।

🌹👨‍👩‍👧‍👦👏🙏🕉🚩

भाई बहन दोनों सुखी जीवन जीने के लिए निम्नलिखित पुस्तकें युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की एक दूसरे को गिफ्ट में दें:-

1- सफलता के सात सूत्र साधन
2- आगे बढ़ने की तैयारी
3- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
5- गृहस्थ एक तपोवन।

                        प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

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