"अात्म- परिवर्तन"
*धर्म मेरा संप्रदाय आपका।*
*पुण्य मेरा पाप आपका।।*
*ये सोच बनायेगा आपको खाक की।*
*आपके धर्म पर चढ जाएगी परत राख की।।*
*आवश्यकता नहीं सुधार करने की धर्म में ।*
*सुधार करना हो तो करें अपने विचार व कर्म में।।*
*बदलाव स्वयं के जीवन में।*
*परिवर्तन स्वयं के अंतर्मन में।।*
*मनुष्य से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं।*
*इसके प्रबल पुरूषार्थ का कोई अंत नहीं।।*
*पुस्तकों के धर्म पर बंद करो लड़ाई।*
*शब्दों के फावड़े से बनी है ये दिलों में गहरी खाई।।*
*सभी धर्म में बना है प्रार्थना व उपासना।*
*सबका होता है कुछ क्षण उससे ईश्वर से सामना।।*
*फिर क्यों एक दूसरे को कोसना।*
*कहां भूल कर रहे विचार कर सोचना।।*
*दूसरों को उपदेश की राह पर।*
*स्वयं में न धर्म पालन केवल गुनाह कर।।*
*ये सिखावन न आपके काम की।*
*धर्म का आपने न मर्म जाना केवल बदनाम की।।*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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