Thursday, October 31, 2019

आज का सुविचार


*युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा*
*शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम्।*
*अयुक्तः कामकारेण*
*फले सक्तो निबध्यते॥*

कर्मयोगी कर्मों के फल का त्याग करके सदा रहने वाली शान्ति को प्राप्त होता है और सकाम पुरुष कामना करने के कारण उस कर्म के फल में आसक्त होकर बँधता है॥

*सर्वकर्माणि मनसा* 
*संन्यस्यास्ते सुखं वशी।*
*नवद्वारे पुरे देही नैव* 
*कुर्वन्न कारयन्॥*

अन्तःकरण को अपने वश में करके, सब कर्मों को मन से त्याग कर, न उन्हें करते हुआ और न करवाते हुए ही, नौ द्वारों वाले शरीर रूपी घर में योगी सुख पूर्वक रहे॥


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