मन्त्र एक प्रकार से इस ब्रह्मांड को संचारित करने वाले की ऊर्जा का दूसरा रूप है।शब्दों एवं शब्द समूहों के उर्जावान समूह को मन्त्र कहते हैं।क्योंकि मंत्रोच्चारण से एक अद्भुत तरंगात्मक ऊर्जा का आविर्भाव होता है।जिससे सम्पूर्ण वातावरण ऊर्जावान हो जाता है।
इस पूरे ब्रह्मांड में केवल दो ही चींजे व्याप्त हैं।एक ऊर्जा एवं दूसरा पदार्थ।
पदार्थ तो हमारा लौकिक पंचभौतिक शरीर है और मन्त्र रूपी वाक्य ऊर्जान्वित शक्ति।हमारे द्वारा कहे गए वाक्य साधारण होते हैं किंतु जब हम उस वाक्य में मन्त्रों का प्रयोग करते हैं तो एक अद्भुत शक्तिशाली ऊर्जा का समावेश हो जाता है जिससे प्रकृति का तो परे ही रख दीजिए,मनुष्य स्वयं में ही ऊर्जावान आभास करता है।उसमें नैसर्गिक शक्तियों का आभास होने लगता है।
मन्त्र की बात आप छोड़ दीजिए,केवल *ॐ* का जाप करने मात्र से ही आप निरोगी हो जाएंगे।
*नाम*
नाम जप को सीधे सीधे भगवन्नाम जप कहा जा सकता है।यह भी ऊर्जान्वित होने का एक विशेष जप है।
नाम जप मनुष्य के अंदर व्याप्त श्रद्धा एवं विश्वास की अद्भुत शक्ति का संचयन करता है।जिससे वह स्वयं ही ऊर्जावान हो जाता है।उसमें इतनी शक्ति आ जाती है कि उसे लगने लगता है कि उसकी कृपा से
*मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं।*
*यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्।*
अर्थात उसके नाम लेने मात्र से ही मेरे समस्त कार्य स्वयं संपादित हो जाएंगे।ऐसा भाव जागृत होता है कि
*मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।*
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आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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