🔴 *आज का प्रातः संदेश* 🔴
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*आदिकाल से धरा धाम पर नर और नारी सृष्टि के विकास में कदम से कदम मिलाकर एक साथ चलें | स्त्री एवं पुरुष को समान रूप से अधिकार प्राप्त था | यदि इतिहास का अवलोकन किया जाय तो नारी के ऊपर कभी भी अनावश्यक दबाव या कोई प्रतिबंध लगता हुआ नहीं प्रतीत होता है | प्राचीन समय में नारी का जितना सम्मान हमारे देश भारत में हुआ उतना शायद किसी भी देश के इतिहास में पढ़ने को नहीं मिलता है | "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" का उद्घोष हमारे देश भारत में ही हुआ | नारी सदैव से स्वतंत्र रही है परंतु अपनी स्वतंत्रता में उसने अपनी मर्यादा का उल्लंघन कभी नहीं किया | प्राचीन काल से एक युवती को अपना पति चुनने का पूरा अधिकार होता था अपने इस अधिकार का प्रयोग वह अपने पिता के संरक्षण में ही करती थी | हमारे इतिहास में वैदिक काल से लेकर पौराणिक काल तक अनेकों स्वयंवर का उल्लेख मिलता है जहां नारी को अपना पति स्वयं चुनने का अधिकार प्राप्त होता है परंतु यह निर्णय वह अपने माता पिता एवं सर्व समाज को साक्षी मान कर लेती थी | अपनी इच्छा से मर्यादित होकर स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग नारी सदैव से करती चली आई हा , इसीलिए नारी सम्मानित है | नारी के माध्यम से समाज की दिशा एवं दशा निर्धारित होती है यदि समाज की रीढ़ नारी को कहा जाय तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी , परंतु यह भी सत्य है कि नारी वही पूजनीय है जो मर्यादित रहकर अपने संस्कारों का निर्वहन करे अन्यथा उसको समाज की अवहेलना एवं उपेक्षा झेलनी ही पड़ती है | एक नारी की स्वतंत्रता एवं अधिकारों का पक्षधर मैं भी हूं और मेरा मानना है कि :- पहनने , ओढ़ने और शिक्षा के क्षेत्र में युवती को छूट मिलनी चाहिए , उस पर अनावश्यक प्रतिबंध नहीं होना चाहिए लेकिन युवतियों के द्वारा नैतिक मर्यादाओं का निर्वहन भी होना चाहिए , और साथ ही अपने परिवार वालों के विश्वास को बनाए रखना भी उनका आवश्यक दायित्व होना चाहिए |*
*आज समाज में कुछ ऐसी घटनाएं घट रही है जिसको लेकर के लोग पुरुष प्रधान समाज को यह कहकर उलाहना दे रहे हैं कि वह नारी को प्रताड़ित करता है , नारी की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना चाहता है , जबकि आज की बालाएं जिस प्रकार के कृत्य कर रही है उनका अमर्यादित आचरण एकदम से अशिष्ट एवं निंदनीय कृत्य है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" देख रहा हूं कि आज समाज में जिस प्रकार अपनी स्वतंत्रता के नाम पर बच्चियां मां-बाप से झूठ बोल कर के अपने पुरुष मित्रों के साथ पार्कों में बैठकर या सिनेमा जाकर के समय व्यतीत कर रहे हैं उससे पूरा समाज दूषित हो रहा है | किसी स्त्री पुरुष की मित्रता कभी भी गलत नहीं कही गई है परंतु इस मित्रता में मर्यादा और संस्कारों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए | जो लोग यह कहते हैं कि पुरुष प्रधान समाज युवतियों को स्वतंत्र नहीं रहने देना चाहता उनसे एक प्रश्न अवश्य पूछना चाहूंगा की एक नारी जिस प्रकार आज पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा अंग प्रदर्शन कर रही है उससे तो यही लगता है कि वस्त्र पहनने में जितनी स्वतंत्रता का उपयोग स्त्री ने किया है उतनी तो पुरुषों को भी नहीं मिली है , या यूं कहा जाए कि एक पुरुष सदैव पूरे कपड़ों में होता है वहीं दूसरी ओर आज की युवतियाँ छोटे से छोटा वस्त्र पहनना चाहती हैं | स्वतंत्रता के नाम पर स्वयं के द्वारा पति का चुनाव करना उनका अधिकार तो है परंतु पूर्व की भांति इसमें माता-पिता का संरक्षण एवं सहमति भी होना चाहिए ना कि माता-पिता से विद्रोह एवं समाज की अवहेलना करके ऐसा कृत्य करना चाहिए | नारी की स्वतंत्रता का अर्थ यह कदापि नहीं है कि वह असंयमित एवं अमर्यादित हो जाय सम्मान सदैव संयमित एवं मर्यादा में रहकर ही मिलता है |* *पूर्व काल में भी स्वयंवर होते रहे हैं ऐसा कह कर के स्वयं अपने वर का चुनाव करने वाली आज की युवतियों को यह भी पढ़ना चाहिए कि पूर्व काल के स्वयंवर माता पिता की सहमति एवं उनके संरक्षण में होते रहे हैं |*
*किसी भी विषय के ज्ञान के लिए उसकी गहराई में जाना परम आवश्यक होता है अन्यथा वह ज्ञान घातक हो जाता है |*
*"शुभ प्रातः वन्दन"*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
मुंगेली छत्तीसगढ़
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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