आते ही चुनाव देखो गाँव गाँव दौड़ रहे,
टोपियाँ लगाके अखरोट चले आते हैं ।।
बड़ी बड़ी कार छोड़ पैदल भटक रहे,
मन में दबाये हुये खोट चले आते हैं ।।
जोंक बन जनता का चूसते हैं रक्त यही,
पाँच साल करनें को चोट चले आते हैं ।।
एक साथ जोड़े हाथ कई नेता खेमेश्वर,
जनता से माँगने ये वोट चले आते हैं ।।(1)
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अपना ही दुःख जानें अपना ही सुख मानें,
जनता का सुख इन्हें कभी पचता नहीं ।।
भूखे प्यासे लोग करें हाय हाय राम किन्तु,
इनके घरों में कोहराम मचता नहीं ।।
अपनें ही लोगों को ये बाँटते हैं पद सारे,
जनता के बीच वाला इन्हें जँचता नहीं ।।
कोरोना की चपेट से बच रहे खेमेश्वर,
नेताओं की चपेट से कोई बचता नहीं ।।(2)
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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