🔴 *आज का संदेश* 🔴
👹 *"कोरोना" संक्रमण पर विशेष* 👹
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*सनातन धर्म शास्वत तो है ही साथ ही दिव्य एवं अलौकिक भी है | सनातन धर्म में ऐसे - ऐसे ऋषि - महर्षि हुए हैं जिनको भूत , भविष्य , वर्तमान तीनों का ज्ञान था | इसका छोटा सा उदाहरण हैं कविकुल शिरोमणि परमपूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदास जी | बाबा तुलसीदास जीने मानस के अन्तर्गत उत्तरकाण्ड में कलियुग के विषय में जैसा वर्णन किया है आज के मनुष्यों का चरित्र उसी प्रकार है | कहने का तात्पर्य यह है कि सनातन के महापुरुष त्रिकालदर्शी हुआ करते थे | वर्तमान समय में जिस महामारी ( केरोना) से सम्पूर्ण विश्न ग्रसित है उसकी भविष्यवाणी हजारों वर्ष पहले लिखी गयी नारद संहिता में भी देखने को मिलता है | जिसके अनुसार :-- "भूपावहो महारोगो मध्य स्यार्ध वृ्स्टय: ! दुखिनो जंतव: सर्वे वत्सरे परिधाविनो !!" अर्थात :- परिधावी नामक सम्वत्सर के उत्तरार्ध में असमय भारी जल वृष्टि होगी , शासकों में आपसी वैमनस्यता बढ़ेगी और ऐसी महामारी फैलेगी जो प्राणियों के दु:खदायी सिद्ध होगी | इस प्रकार आज हम जिस महामारी की चपेट में हैं उसका वर्णन पहले ही हो चुका है | इसके अतिरिक्त प्रत्येक पञ्चांग में वर्षफल लिखते हुए भी विद्वानों ने दिसम्बर माह से विषाणु युक्त महामारी फैलने का संकेत पहले ही कर दिया था | सनातन की प्रत्येक गणना ज्योतिषीय गणित पर आधारित होती है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि राहु एवं केतु पृथ्वी पर अप्रत्याशित परिणाम लेकर आते हैं | शनि जब अपने स्वराशि मकर में प्रवेश करता है तो असाध्य रोग ( महामारी) का कारक बनता है | इसके साथ ही अनेक ग्रह इस रोग की वृद्धि में सहायक हो रहे हैं | मंगल भी २२ मार्च को मकर राशि में प्रवेश करके स्थिति को गम्भीर बना सकता है परंतु सुखद स्थिति यह बन रही है कि ३० मीर्च को देवगुरु वृहस्पति के मकर राशि में र्रवेश करने से इस महामारी का प्रभाव कम होना प्रारम्भ हो जायेगा | शनि एवं गुरु की युति इस कोरोना नामक महामारी को कमजोर तो कर देगी परंतु प्रभावहीन यह तभी होगी जब मंगल मकर राशि से कुंभ पर जायेगा और यह स्थिति ४ मई को बन रही है | कुल मिलाकर मई तक मानवजाति पर भयंकर आपात स्थिति है | ऐसी परिस्थिति में सावधानी ही बचाव कही जा सकती है | सनातन धर्म में सृष्टि के आदि से अन्त तक का वर्णन प्राप्त होता है आवश्यकता उसके सूक्ष्म विन्दुओं पर ध्यान देते हुए अध्ययन करने की |*
*आज समस्त ज्ञान विज्ञान कोरोमा नामक संक्रमण से लड़ने में स्वयं को अक्षम पा रहे हैं | सनातन की दिव्य परम्परा का त्याग करके आधुनिक जीवन शैली को अपना चुके मनुष्य जीवन रक्षा के लिए पुन: सनातन की मान्यताओं की ओर लौटने को विवश दिख रहे हैं | मानवमात्र को किसी भी संक्रमण से सुरक्षित बमासे रखने के लिए ही सनातन धर्म में हाथ मिलाने की अपेक्षा हाथ जोड़कर प्रणाम करने की परम्परा रही है क्योंकि कोई भी संक्रमण स्पर्श करने से ही फैलता है | मैं आज सरकार की घोषणाओं (हाथ थोने , घर के बाहर पानी रखने आदि) को सुनकर विचार करता हूँ कि ईज जो घोषणा की जा रही है यह दिशा निर्देश तो सनीतन में बहुत पहले है परंतु हम सनातन की मान्यताओं को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं जिसका परिणाम महामारी के रूप में समुपस्थित है | शाकाहारी खाद्य पदार्थों के गुणों का वर्णन करते हुए मांसाहार का निषेध इसीलिए किया गया है क्योंकि ुता नहीं कौन सा जीव किस संक्रमण से संक्रमित हो परंतु आज का मनुष्य भक्ष्य - अभक्ष्य खा करके अनेक प्रकार से स्वयं तो रोगी हो ही रहा है साथ ही समस्त मानव जाति को संक्रमित कर रहा है | संकट की इस घड़ी में खान पान का विशेष ध्यान रखते हुए किसी को भी छूने का प्रयास न करना ही श्रेयल्कर है | सावधानी , सतर्कता एवं संयम के द्वारा ही इस महामारी से स्वयं को सुरक्षित रखा जा सकता है | यदि जीवन सुरक्षित है तो जीवन में अनेक आयोजनों में सम्मिलित होने का अवसर मिलता रहेगा इसलिए जीवन को सुरक्षित रखने के लिए सनातन की मान्यताओं का पालन करते हुए सरकार के द्वारा प्रसारित किये जा दिशा - निर्देशों का यथावत पालन करना ही स्वयं व समाज के हित में हैं |*
*कोरोना नामक भयंकर संक्रमणीय रोग से लड़ने एवं बचने के लिए धैर्य , संयम , सतर्कता , एवं सावधानी अपेक्षित है | अभी और कठिन समय उपस्थित होने वाला है ऐसे में विवेक का प्रयोग करके मानवमात्र की सुरक्षा - संरक्षा में सहयोगी की भूमिका हम सबको मिलकर निभाना है |*
👹 *"जनता कर्फ्यू" पर विशेष* 👹
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*मनुष्य जिस स्थान / भूमि में जन्म लेता है वह उसकी जन्म भूमि कही जाती है | जन्मभूमि का क्या महत्व है इसका वर्णन हमारे शास्त्रों में भली-भांति किया गया है | प्रत्येक मनुष्य मरने के बाद स्वर्ग को प्राप्त करना चाहता है क्योंकि लोगों का मानना है कि स्वर्ग में जो सुख है वह और कहीं नहीं है परंतु हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि :-- "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" अर्थात :- अपनी जननी (माता) एवं जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है | अपनी जन्म भूमि की रक्षा - सेवा करना प्रत्येक मानव मात्र का कर्तव्य है | हमारे देश में अपनी जन्मभूमि की रक्षा करते हुए बलिदानियों का एक दिव्य इतिहास रहा है | देश की सेवा करने के अनेक रास्ते हैं , कोई चिकित्सक बनकर देश की सेवा कर रहा है , कोई राजनेता बनकर देश की सेवा कर रहे हैं तो सीमा पर तैनात जवान अपनी जान की बाजी लगाकर देश की सुरक्षा में दिन रात लगे रहते हैं | कहने का तात्पर्य है कि प्रत्येक मनुष्य अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहा है | कुछ लोगों का मानना कि देश की रक्षा करने का भार सिर्फ सरकार एवं शासन-प्रशासन पर है , देश की सीमाओं की रक्षा का भार देश के सैनिकों पर है , जबकि यह कदापि सत्य नहीं माना जा सकता है | प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि उसने जिस मिट्टी में जन्म लिया है उस मिट्टी की सेवा एवं रक्षा करता सेन - केन - प्रकारेण करता रहे | प्राइमरी की कक्षाओं में एक प्रार्थना पढ़ाई जाती थी !:-- "वह शक्ति हमें दो दयानिधे , कर्तव्य मार्ग पर डट जावें ! पर सेवा पर उपकार में हम जग जीवन सफल बना जावें !!" और अंत में कहा जाता था :-- "जिस देश राष्ट्र में जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जावें !" इस प्रार्थना को धीरे धीरे प्राथमिक कक्षाओं से हटा दिया गया और उसका प्रभाव यह हुआ कि आज मनुष्य अपने स्वार्थ के आगे देश को भी बलिदान कर देना चाहता है | इतिहास साक्षी है कि जब भी हमारे देश पर कोई संकट आया है प्रत्येक भारतवासी उस संकट की घड़ी में एक साथ खड़ा होकर के देश को संकट से उबारने के लिए अपने प्राणों की बाजी भी लगाने से पीछे नहीं होता है , परंतु प्रत्येक देश में यदि सेवा एवं रक्षा करने वाले देश प्रेमी हुए हैं तो उसी देश में देश को पीछे धकेलने वाले भी पैदा होते रही हैं , जिसके कारण किसी भी राष्ट्र की दुर्गति होती रही है | यद्यपि यह नकारात्मक लोग अपने अभियान में सफल नहीं हो पाते ही परंतु फिर भी सकारात्मक कार्यों में अवरोध डालते रहते हैं | यह वह लोग हैं जिनको ना देश से मतलब होता है ना देश के वासियों से | ऐसे लोग शायद यह भूल जाते हैं कि इनका अस्तित्व तभी तक है जब तक देश का अस्तित्व है | जब देश ही नहीं रह जाएगा प्राण ही नहीं बचेंगे तो सारी नकारात्मकता धरी रह जाएगी | प्रत्येक देशवासी को अपने देश के लिए कुछ न कुछ अवश्य करते रहना चाहिए क्योंकि मनुष्य की पहचान उसके राष्ट्र से ही होती है |*
*आज संपूर्ण राष्ट्र ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व "कोरोना" नामक महामारी के संक्रमण से ग्रसित हो गया है , नित्य हजारों की संख्या में लोग काल के गाल में समा रहे हैं | चिकित्सक या शासनाध्यक्ष समझ नहीं पा रहे हैं कि कौन सा उपाय किया जाए जिससे कि इस संक्रमण को रोका जा सके | विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक भी इस महामारी को रोकने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं | ऐसे में हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने १४ घंटे के "जनता कर्फ्यू" का आवाहन किया है | मैं सभी देशवासियों से निवेदन करना चाहूंगा कि देश की सेवा करना प्रथम कर्तव्य है | सभी देशवासी यदि सेना में जाकर देश की सेवा नहीं कर पाए , चिकित्सक बनकर देश की सेवा नहीं कर पाये , राजनेता बनकर सेवा नहीं कर पाये और यदि देश सेवा करने का जज्बा मन में है तो १४ घंटे के लिए अपने घरों में बैठ कर के देश की सेवा करने का अवसर मिल रहा है तो उसे ना गंवायें | यह सेवा मात्र अपने ही लिए नहीं बल्कि मानव मात्र की भलाई के लिए जानी जाएगी | कुछ लोग प्रधानमंत्री के इस आवाहन को मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहे है यह वही लोग हैं जिनको ना तो देश से मतलब है ना ही समाज से | हमारी सरकार ने हमसे कुछ नहीं मांगा है सिर्फ १ दिन के लिए घर से निकलने को मना किया है तो हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपनी घरों में १ दिन के लिए बैठकर यदि इस महामारी को रोकने में सहायक की भूमिका में दिखाई पड़ते हैं तो हमको यह भूमिका अवश्य निभानी चाहिए | हो सकता है कि हमारी १ दिन की सेवा से ही हमारे राष्ट्र को इस महामारी से कुछ हद तक छुटकारा मिल जाए , और यदि ऐसा होता है तो समझ लीजिए कि हमारा यह जीवन हमारे देश के काम आया अन्यथा देश का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता | तो ऐसे में सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि जो महामारी आज मनुष्यों को काल के गाल में ले जा रही है उससे लड़ने के लिए बिना कोई हथियार लिए १४ घंटे के लिए अपने घरों में बैठकर अपना सहयोग प्रदान करें |*
*आज हमें एकजुट होकर के कोरोना नामक महामारी से लड़ने के लिए अपने घरों में बैठकर अपने अपने धर्म के अनुसार धर्मग्रन्थों का स्वाध्याय करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करें कि शीघ्रातिशीघ्र हमें इस महामारी से छुटकारा मिले | यदि हम ऐसा कर लेते हैं तो यह सबसे बड़ी देश सेवा होगी |*
🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺
सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹
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आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
मुंगेली छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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