उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...
करे हो पहाड़ा में तू वास,ज्योत जले हैं दिन रात...
करे हो पहाड़ा में तू वास,ज्योत जले हैं दिन रात.!(२)!
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
धूप बत्ती कपूर के दियना,ढोल नगाड़ा बाजे माँ.!
भगत दौड़े द्वार पे आये,जय हो बंजारी बोले माँ.!(२)!
ऊँचे आसन पर विराज,जग की तू है पालनहार..
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
वन-पर्वत बीच रहती हो मां,यात्री दर्शन पावे हो माँ..
लाडले आने जाने वाले, भोग लगे सब पावे हो माँ..(२)
तू है दाताओं के दाता,धरे दूई बहना के अवतार...
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
वरण पूरण के आसरा आवे, मनवांछित फल पावे माँ.
अकाश पाताल भूधर अंबर,ऋषि मुनि जश गावे माँ..(२)
धुनि रमे जो तेरो आंगन,करे तू हरदम सिंह सवार..
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
जगत जननी जगदम्बा तू,परगट आज पूजाती माँ.
अखण्ड जोत रुप माँ बंजारी,मन्नत पूरा करती माँ..(२)
मैं हूं दण्डवत तेरो दरबार,एक तूं ही माँ आधार...
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता,सब तीरथ फल देवे माँ.
अधम उजारण त्रिभुवन तारण, आके दर्शन देवे माँ.(२)
सुख संपत्ति के भंडार,मिले माँ बंजारी के दरबार...
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
वनौषधि बीच बिराजे बंजारी,सब रोगन को मिटावे माँ..
भूत प्रेतन के डाकन शाकन,तनिक न ताप दिखावे माँ(२)
रिझे दुनिया के प्रताप, बंजारी करती सब पूरण काज..
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
श्वासें श्वासें सुमिरन तेरो,कंठ मा गुंजे तेरो नाम माँ
आदिशक्ति तू आदि अनादि,बंजारी माता नाम माँ.(२)
आरती जो कोई तेरी गाए,सुख देय खेमेश्वर हर्षाए..
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!(२)!
बंजारी तेरो जय जयकार,जग में तू है तारणहार..!!
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...
करे हो पहाड़ा में तू वास,ज्योत जले हैं दिन रात...
करे हो पहाड़ा में तू वास,ज्योत जले हैं दिन रात.!(२)!
उतारूँ आरती हो, बंजारी माँ की आरती...!
उतारूँ आरती हो, शेरावाली माँ की आरती...!
उतारूँ आरती हो, पहाड़ा वाली माँ की आरती...!
!!..बोलो श्री पहाड़ा वाली बंजारी माता की-जय हो..!!
दर्शनाभिलाषी
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी मुंगेली छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
©सर्वाधिकार सुरक्षित®
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