Tuesday, May 12, 2020

*⚜️जय गौमाता🐄जय गोपाला⚜️*


 
*⚜️जय गौमाता🐄जय गोपाला⚜️*

*एक बार मनोहर रूपधारी लक्ष्मीजी ने गौओं के समूह में प्रवेश किया।🙏🏻😊उनके सौंदर्य को देख गौओं🐄 को बड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने उनका परिचय पूछा। लक्ष्मी जी ने कहा – “गौओं तुम्हारा कल्याण हो ! इस जगत में सभी लोग मुझे लक्ष्मी कहते हैं। सारा संसार मुझे चाहता है। मैंने दैत्यों को छोड़ दिया, इसलिये वे नष्ट हो गये। इन्द्रादि देवताओं को आश्रय दिया तो वे सुख भोग रहें हैं। देवताओं और ऋषियों के शरीर में मेरे हीं आने से सिद्धि मिलती है।*⛳🙏🏻
*👉🏻जिसके शरीर में मैं नहीं प्रवेश करती उसका नाश हो जाता है। धर्म ,अर्थ और काम तो मेरे ही सहयोग से सुख देनेवाले हो सकते हैं। मेरा ऐसा प्रभाव है। अब मैं तुम्हारे शरीर में सदा के लिये वास करना चाहती हूँ। इसके लिये स्वत: तुम्हारे पास आकर प्रार्थना करती हूँ, तुम लोग मेरा आश्रय ग्रहण करो और ' श्री ' सम्पन्न हो जाओ।*⚜️🙏🏻☝🏻

*👉🏻गौवों ने कहा- “ हे देवी बात ठीक है,पर तुम बड़ी चंचल हो । कहीं भी स्थिर रह ही नहीं सकती। फिर तुम्हारा सम्बंध भी बहुतों के साथ है। इसलिये हम को तुम्हारी इच्छा नही है तुम्हारा कल्याण हो । ✋🏻😊हमारा शरीर तो स्वभाव से हृष्ट, पुष्ट और सुन्दर है ,हमें तुमसे कोई कार्य नही है ।तुम्हारी जहाँ इच्छा हो जा सकती हो। तुमने हमसे बात-चीत की इस से हम अपने को कृतार्थ मानते हैं ।”*✔️⛳
*लक्ष्मी जी ने कहा – “गौवों तुम यह क्या कह रही हो ? मैं बड़ी दुर्लभ हूँ प्रिय साथी हूँ, पर तुम मुझे स्वीकार नही करती । आज मुझे यहां पता लगा कि ‘बिना बुलाये किसी के पास जाने से अनादर होता हैं’ यह कहावत सत्य है। उत्तम व्रताचरण , देवता,दानव, गंधर्व, पिशाच,नाग, मनुष्य और राक्षस के बड़ी उग्र तपस्या करने पर कहीं मेरी सेवा का सौभाग्य प्राप्त कर पाते है । तुम मेरे इस प्रभाव पर ध्यान दो और मुझे स्वीकार करो ।देखो इस चराचर जगत में मेरा अपमान कोई भी नहीं करता । ”*😳
*गौवों 🐄👉🏻ने कहा- “ देवी हम तुम्हारा अपमान नहीं कर रहीं है । हम तो केवल त्याग कर रही हैं। सो भी इसलिये कि तुम्हारा चित्त चंचल है। तुम कहीं स्थिर हो के रहती नहीं। फिर हम लोग का शरीर तो स्वभाव से स्थिर है। अत: तुम जहाँ जाना चाहो चली जाओ । ”*✔️⛳😊
*लक्ष्मी जी ने कहा – “ गौवों 🐄तुम दुसरों को आदर देनेवाली हो । यदि मुझको त्याग दोगी तो संसार मे सर्वत्र मेरा अनादर होने लगेगा 😔☝🏻। मैं तुम्हारी शरण में आई हूँ, निर्दोष हूँ और तुम्हारी सेविका हूँ यह जानकर मेरी रक्षा करो । मुझे अपनाओ, तुम महासौभाग्यशालिनी, सदा सबका कल्याण करने वाली ,सबको शरण देनेवाली ,पुण्यमयी पवित्र और सौभाग्यवती हो ।मुझे बतलाओ मैं तुम्हारे शरीर के किस भाग में रहूँ । ”*✔️😊
*गौवों ने कहा- “ यशस्वनी ,हमे तुम्हारा सम्मान अवश्य करना चाहिये । अच्छा तुम हमारे गोबर और मुत्र में निवास करो । हमारी ये दोनों चीजें बड़ी पवित्र है ।”*⛳😊
*लक्ष्मी जी ने कहा- “सुखदायिनी गौ , तुमलोगों ने मुझपर बड़ा अनुग्रह किया । मेरा मान रख लिया। तुम्हारा कल्याण हो मैं ऐसा हीं करूंगी ।*⛳⛳

*⛳⚜️गौवों के साथ इस प्रकार प्रतिज्ञा करके देखते ही देखते लक्ष्मी जी वहां से अंतर्ध्यान हो गयीं ।*⛳


सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

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