कभी तो मिलो दिल मिलाकर सनम!
जुदा हम न हों फिर तुझे है कसम।१।
मिले और मिलकर सदा हम रहें!
अदा हक़ करें आ भुलाकर सितम।२।
ढले रात दिन प्यार में इस तरह!
वफ़ा ही वफ़ा हो खुदा का करम।३।
हँसीं गुल खिले और महब्बत तले!
शिकायत न हो सब मिटा दे भरम।४।
सजायें चले आ नई हसरतों की जहां!
कहे दिल हमेशा निभाकर धरम।५।
कभी तो मिलो दिल मिलाकर सनम!
जुदा हम न हों फिर तुझे है कसम।१।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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