Sunday, July 5, 2020

भगवान शिव की पूजन विधि

*भगवान शिव की पूजन विधि*

*भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल के उपयोग को विशिष्ट माना जाता है। शिवजी की पूजा आराधना करते समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए। शिवजी के स्नान के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, धूप _(अगरबत्ती न लें तो अच्छा रहेगा, क्योंकि अगरबत्ती में बांस की लकड़ी प्रायः लगी रहती है।)_, दीप का उपयोग किया जाता है।*

*सावन के महीने में प्रथम सोमवार से इस व्रत को शुरू किया जाता है। प्रत्येक सोमवार को गणेशजी, शिवजी, पार्वतीजी की पूजा की जाती है। इस सोमवार व्रत से पुत्रहीन पुत्रवान और निर्धन धनवान होते हैं। स्त्री अगर यह व्रत करती है, तो उसके पति की शिवजी रक्षा करते हैं। सोमवार का व्रत साधारण तया दिन के तीसरे पहर तक होता है। इस व्रत में फलाहार या पारण का कोई खास नियम नहीं है, किंतु आवश्यक है कि, दिन−रात में केवल एक ही समय भोजन करें। सोमवार के व्रत में शिव−पार्वती का पूजन करना चाहिए।*

*सावन के महीने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है। सावन के पवित्र महीने में भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल व दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इन दिनों शिवलिंग पर गंगा जल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अतिप्रसन्न होते हैं। शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करने पर योग्य संतान की प्राप्ति होती है। ईख (गन्ना) के रस से धन संपदा की प्राप्ति होती है और कुशोदक से समस्त व्याधि शांत होती है। दही से पशु धन की प्राप्ति होती है और शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।*

*_यदि आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन कुछ बातों पर भी अमल कर सकते हैं-_*

- सावन के महीने में रुद्राक्ष की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला से शिव मंत्र का जाप करें।

- पूजन के समय भगवान शिव को भभूती लगायें और अपने मस्तक पर भी भभूती लगायें।

- सावन मास में शिव चालीसा और आरती का पाठ करें।

- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

- सावन के महीने में सभी सोमवार को व्रत रखें।

- बेलपत्र, दूध, शहद, पंचामृत और जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।

- शिवलिंग पर केसर चढ़ाने से आप सौम्य होंगे।

- चीनी से शिवलिंग का अभिषेक करने से सुख और वैभव की प्राप्ति होगी और दरिद्रता चली जायेगी।

- शिवलिंग पर इत्र चढ़ाने से विचार और मन पवित्र होंगे।

- शिवलिंग का दही से अभिषेक करने से आने वाली परेशानियां दूर चली जाएंगी।

- घी से अभिषेक करने से शक्ति बढ़ेगी और शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से आपका यश बढ़ेगा।

*संक्षिप्त किंतु पर्याप्त शिव पूजन की विधि निम्न प्रकार पूर्ण की जा सकती है।*

*-श्रावण मास की किसी भी तिथि या दिन को विशेषतः सोमवार को प्रातःकाल उठकर शौच-स्नानादि से निवृत्त होकर त्रिदल वाले सुन्दर, साफ, बिना कटे-फटे कोमल बिल्व पत्र ५, ७ या ९ आदि की संख्या में लें। अक्षत अर्थात बिना टूटे-फूटे कुछ चावल के दाने लें।*
 
*-सुन्दर साफ लोटे या किसी सुंदर पात्र में जल यदि संभव हो सके, तो गंगा जल लें। तत्पश्चात अपनी सामर्थ्य के अनुसार गंध, चंदन, धूप आदि लें।*

*> मंत्र-*
 
*'अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशा।*
*सर्वेषामवरोधेन ब्रह्मकर्म समारभे।*
*अपसर्पन्तु ते भूताः ये भूताः भूमिसंस्थिताः।*
*ये भूता विनकर्तारस्ते नष्टन्तु शिवाज्ञया।'*
 
*तत्पश्चात यदि शिवलिंग हो तो (यदि शिवलिंग उपलब्ध न हो तो पीपल या बिल्व अर्थात बेल के वृक्ष को ही) उसे स्वच्छ जल से धोएं और निम्न मंत्र पढ़ते जाएं-*
 
*मंत्र-*

 'गंगा सिन्धुश्च कावेरी यमुना च सरस्वती। रेवा महानदी गोदा अस्मिन्‌ जले सन्निधौ कुरु।'
 
*तत्पश्चात भगवान (वृक्ष) के ऊपर अक्षत चढ़ाएं और यह मंत्र पढ़ें-*
 
*मंत्र-* 

'ॐ अक्षन्नमीमदन्त ह्यव प्रिया ऽअधूड्ढत। अस्तोड्ढत स्वभानवोव्विप्प्रान विष्ट्ठयामती योजान्विन्द्रते हरी।'
 
*इसके बाद यदि पुष्प हो तो भगवान को फूल अर्पित करें और यह मंत्र पढ़ते जाएं-*
 
*मंत्र-* 

''ॐ औषधि प्रतिमोदध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः। अष्वाऽइव सजित्वरीर्व्वीरुधः पारयिष्णवः।'
 
*पुनः हल्दी-चंदनादि जो भी उपलब्ध हो, उसका शिवलिंग पर लेप लगाएं और निम्न मंत्र पढ़ते जाएं-*
 
*मंत्र-* 

'ॐ भूः भुर्वः स्वः ॐ त्र्यंम्बकं यजामहे सुगंधिम्‌ पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्‌ मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतम्।'
 
*तत्पश्चात भगवान को धूप अर्पण करें तथा भगवान को बिल्वपत्र अर्पण करें और यह मंत्र पढें-*
 
*मंत्र-* 

'काशीवास निवासिनाम्‌ कालभैरव पूजनम्‌। कोटिकन्या महादानम्‌ एक बिल्वं समर्पणम्‌। दर्षनं बिल्वपत्रस्य स्पर्षनं पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहार एकबिल्वं शिवार्पणम। त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्‌। त्रिजन्मपाप संहारं एकबिल्वं शिवार्पणम।'
 
*तत्पश्चात जल या गंगा जल भगवान को चढ़ाएं और यह मंत्र पढ़ें-*
 
*मंत्र-*

'गंगोत्तरी वेग बलात्‌ समुद्धृतं सुवर्ण पात्रेण हिमांषु शीतलं सुनिर्मलाम्भो ह्यमृतोपमं जलं गृहाण काशीपति भक्त वत्सल।'

*> और सबसे अंत में क्षमा-याचना करें। मंत्र इस प्रकार है-*
 
'अपराधो सहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निषं मया, दासोऽयमिति माम्‌ मत्वा क्षमस्व परमेश्वर। आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर। मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर, यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे'
 
*किंतु इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि, जो मंत्र नहीं जानता है, वह पूजा नहीं कर सकता। बिना मंत्र पढ़े भी यह समस्त सामग्री भगवान को अर्पित की जा सकती है। केवल विश्वास एवं श्रद्धा होनी चाहिए।*
 
*भगवान भोलेनाथ ने स्वयं कहा है कि-*
 
'न मे प्रियष्चतुर्वेदी मद्भभक्तः ष्वपचोऽपि यः। तस्मै देयं ततो ग्राह्यं स च पूज्यो यथा ह्यहम्‌।
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति। तस्याहं न प्रणस्यामि स च मे न प्रणस्यति।'
 
_अर्थात:- जो भक्तिभाव से बिना किसी वेद मंत्र के उच्चारण किए मात्र पत्र, पुष्प, फल अथवा जल समर्पित करता है उसके लिए मैं अदृश्य नहीं होता हूं और वह भी मेरी दृष्टि से कभी ओझल नहीं होता है।_
 
*श्रावण मास की नवमी तिथि की महत्ता प्रतिपादित करते हुए शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में लिखा है कि, कर्क संक्रांति से युक्त श्रावण मास की नवमी तिथि को मृगशिरा नक्षत्र के योग में अम्बिका का पूजन करें। वे संपूर्ण मनोवांछित भोगों और फलों को देने वाली हैं। ऐश्वर्य की इच्छा रखने वाले पुरुष को उस दिन अवश्य उनकी पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार की विशेष पूजा से जन्म-जन्मांतर के पापों का सर्वनाश हो जाता है।*
 
*इस प्रकार श्रावण मास में औघड़ दानी बाबा भोलेनाथ की पूजा का सद्यः फल प्राप्त किया जा सकता है। विशेष शनिकृत पीड़ा चाहे वह साढ़ेसाती हो या शनि की दशांतर्दशा हो, शनिजन्य चाहे कोई भी पीड़ा क्यों न हो? हर तरह के कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।*

                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
        धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
                    राष्ट्रीय प्रवक्ता
           राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

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