‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼
*🦚 "राधाष्टमी" पर विशेष 🦚*
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*परमात्मा ने ऐसी सृष्टि बनाई है कि इसमें बिना प्रकृति के परमपुरुष भी कुछ नहीं कर सकता है | देवों के देव महादेव शिव भी बिना शक्ति शव हो जाते हैं | जीवन में नारी शक्ति का बड़ा महत्त्व है | मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की शक्ति के रूप में यदि सीता जी का अवतार न हुआ होता तो शायद उनको इतनी प्रसिद्धि न मिली होती | पराम्बा जगदम्बा आदिशक्ति सदैव परमपुरुष की लीलाओं को गति प्रदान करने के लिए साथ में अवतरित होती रही हैं | अवतार कोई भी रहा हो उनसे मानवमात्र को एक सकारात्मक संदेश मिलता रहा है | इन्हीं अवतारों के क्रम में आज भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष अष्टमी को प्रेम एवं त्याग की प्रतिमूर्ति , वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी , रासेश्वरी , लीलापुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की परमप्रिया भगवती राधा का अवतार हुआ था | राधा जी भी अजन्मा हैं उनका जन्म भी माता के गर्भ से नहीं हुआ था | रावल ग्राम में यज्ञशाला की भूमि को साफ करते हुए वृषभानु जी को उसी भूमि से एक दिव्य कन्या प्राप्त हुई ! जिसे वृषभानु एवं कीर्ति ने अपनी कन्या मानकर पालन पोषण किया | जिस प्रकार घड़े से निकली हुई सीता जी को जनकनन्दिनी होने का गौरव प्राप्त हुआ उसी प्रकार यज्ञभूमि से प्रकट हुई राधा जी भी वृषभानु सुता के रूप में प्रतिष्ठित हुईं | प्रेम किसे कहते हैं ? प्रेम की परिभाषा क्या है ? यदि इसे समझना हो तो हमें राधा जी का जीवन चरित्र देखने की आवश्यकता है ! प्रेम में सदैव समर्पण एवं त्याग की भावना होनी चाहिए ! प्रेम कुछ पाने की अपेक्षा सदैव देता ही रहता है ! और यह समर्पण एवं त्याग कैसा होना चाहिए यह भगवती राधा जी के चरित्रों में देखने को मिल जाता है | भाद्रपद शुक्लपक्ष की अष्टमी को राधा जी का जन्मोत्सव मनाकर विधिवत पूजन करते हुए प्रेम की अधिष्ठात्री देवी भगवती राधा जी से जीवन में प्रेम का संचार होने की प्रार्थना प्रत्येक मनुष्य को करनी चाहिए | बिना प्रेम के यह संसार व्यर्थ सा प्रतीत होने लगता है इसलिए जीवन में प्रेम का होना आवश्यक है और प्रेम प्राप्त करने के लिए भगवती राधा जी की उपासना एवं उनके जीवन चरित्रों का अनुगमन करने की आवश्यकता है |*
*आज भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष अष्टमी को सम्पूर्ण देश ही नहीं बल्कि विश्व में जहाँ जहाँ श्रीकृष्ण के अनुयायी हैं तथा विशेषरूप से व्रजमण्डल के कोने कोने में आदिशक्ति भगवती राधा जी प्राकट्योत्सव बहुत ही धूमधाम से श्रद्धा - भक्ति से मनाने की तैयारियाँ चल रही हैं ! आज के दिन व्रत करने कपने वालों भगवती श्रीराधा जी मूर्ति स्थापित करके उनका षोडषोपचार विधि से पूजन करना चाहिए ! श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार श्रीहरि नारायण ने नारद जी को राधा जी के जिस षडाक्षर मन्त्र का उपदेश दिया था उस दिव्य मन्त्र "श्री राधायै नम:" का जप करते हुए मध्याह्नकाल में राधा जी का प्राकट्योत्सव मनाकर अपना व्रत पूर्ण करना चाहिए | श्रीराधा जी प्रेम एवं त्याग की जीवित प्रतिमूर्ति थीं जिन्होंने संसार को प्रेम का वास्तविक अर्थ बताया है परंतु मैं आज देख रहा हूँ कि प्रेम की परिभाषा ही परिवर्तित हो गयी है | आज के प्रेमी एक दूसरे को कुछ देने की अपेक्षा सदैव पाने की ही कामना करते हुए देखे जा सकते हैं | ऐर इतना ही नहीं यदि उसकी वह वाञ्छित कामना नहीं पूर्ण होती है तो उनका प्रेम द्वेष एवं वैर में परिवर्तित हो जाता है | आज का प्रेम स्वार्थी हो गया है ! नि:स्वार्थ प्रेम के दर्शन मिलना दुर्लभ हो गया है | राधा जी ने कभी भी कृष्ण जी से कुछ पाने की कामना नहीं की थी बल्कि उन्होंने त्याग का उदाहरण प्रस्तुत किया है परंतु आज के प्रेम करने वाले प्रेम एवं त्याग का अर्थ ही नहीं जानते हैं | आज किसी को किसी से प्रेम की अपेक्षा आकर्षण ने अधिक जकड़ रखा है इसलिए आज प्रेम की परिभाषा भी बदली हुई है | आज श्री राधा जी के प्राकट्योत्सव के पावन अवसर पर प्रत्येक मनुष्य को उनका पूजन करके अपने जीवन में सच्चे प्रेम का वरदान मांगते हुए उस पर चलने का वरदान अवश्य मांगना चाहिए |*
*भगवती श्री राधा जी भगवान श्रीकृष्ण की पराशक्ति हैं ! राधा जी के बिना कृष्ण जी की लीलायें अधूरी हैं ! जिस प्रकार भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाती है उसी प्रकार शक्ल अष्टमी को राधाष्टमी भी मनानी चाहिए |*
🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺
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*‼ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼*
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*_लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय! निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!_*
_*भगवान गणेश की जय*_🚩⛳
आपका अपना
"पं.खेमेश्वरपुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
राष्ट्रीय प्रवक्ता
राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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