Saturday, October 5, 2019

रानी दुर्गावती

*विवाह के मात्र 1 वर्ष के भीतर उसके पिता महोबा नरेश की मृत्यु हो गई जिसके चलते अकबर ने महोबा और कालिंजर पर कब्ज़ा कर लिया था ..*..

अभी इस गम से पूर्ण रूप से उभर भी नहीं पाई थी, कि *एक 3 वर्ष के बच्चे को उसकी गोद में छोड़ उसके पति राजा दलपति शाह की भी मृत्यु विवाह के मात्र 4 साल बाद हो गई ..*..

परन्तु इस विपदा की घड़ी में वो हिम्मत नहीं हारी और उसने अपने राज्य को बहुत खूबी के साथ चलाया *..*..

और *मात्र 10 साल में उसने अपने राज्य गोड़वाना (आज का जबलपुर) को हर तरफ से मजूबत कर दिया ..*..

ये देख अकबर ने अपने एक सेनापति आसफ खान को रानी दुर्गावती के राज्य पर चढ़ाई करने भेजा *..*..

उसे लगा की एक स्त्री ज्यादा समय नहीं टिक पायेगी *.*. पर *युद्ध के मैदान में रानी दुर्गावती को सैनिकों की वेशभूषा में देखा तो, आसफ खान चकित रह गया ..*..

युद्ध भयानक था रानी की तलवार के मुगलिया सेना को काट कर रख दिया, बड़ी मुश्किल से जान बचाकर आसफ खान अकबर के पास पहुंचा *.*. ये देख अकबर खुद घबरा गया और करीब 1.5  साल बाद फिर एक विशाल सेना के साथ, उसने रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला कर दिया *..*..

इस बार मुगलिया सेना तोपों के साथ आई थी *.*. पर *रानी की धारदार तलवार ने तोपचियों के सर कलम कर के रख दिए ..*..

और एक बार फिर आसफ खान, अपनी हारी हुई शक्ल लेकर भाग खड़ा हुआ *.*. इस जीत का जश्न सारे गोड़वाना में मनाया गया, *रानी जिस वक़्त इस जश्न को मनाते हुए अपनी प्रजा के साथ थी, दुर्गावती के एक सेनापति ने गद्दारी कर इसकी खबर असाफ खान को दे दी ..*..

फिर अकबर की सेना ने फिर से गोड़वाना पर आक्रमण कर दिया, जिसका मुकाबला करने के लिए रानी का 15 वर्षीया पुत्र वीर नारायण एक सेना की टुकड़ी लेकर निकल पड़ा *..*..

और दूसरी टुकड़ी के साथ रानी दुर्गावती खुद, इस युद्ध में रानी का पुत्र बुरी तरह घायल हो गया, जिसे सैनिक एक सुरक्षित स्थान पर ले गए *.*. *और रानी को सन्देश भेजा गया की उनका पुत्र अब कुछ ही पल का मेहमान है एक बार उसके अंतिम दर्शन कर लें ..*..

पर रानी ने कहा की *मैं अपने पुत्र को देवलोक में ही मिल लूंगी* अभी अपनी मातृभूमि का ऋण चुका लूं और इतना कहते ही रानी की तलवार ने अपनी गति बढ़ा दी, जिससे *मुगलिया सैनिकों के सर धड़ से पत्तो की तरह गिरने लगे ..*..

और तभी एक तीर रानी की आँख में आकर लगा और दूसरा गर्दन में, ये देख रानी समझ गई, की अगर जीवित अकबर के सैनिकों ने गिरफ्तार किया तो अच्छा नहीं होगा *इसलिए अपनी अस्मत को बचने के लिए रानी ने अपना खंजर आपने सीने में दाग लिया ..*..

*5 अक्टूबर 1524 को महोबा में जन्म लेने वाली रानी दुर्गावती के वीरता और महानता का जितना बखान किया जाये कम है ..*..

नमन है इस देवी को आज जिनका जन्म दिवस है *..*!!
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                        प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

स्वामी श्रद्धानंद जी जिन्होंने गांधी को महात्मा उपाधि दी

*स्वामी श्रद्धानंद जिन्होंने गांधी को "महात्मा" की उपाधि दी उन्हीं के हत्यारे "अब्दुल रशीद" को महात्मा गांधी ने सजा होने से बचाया ..*..

1902 में देश के पहली स्वदेशी यूनिवर्सिटी *गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय* हरिद्वार की स्थापना करने वाले *.*. 1920 के दशक में शुद्धि आंदोलन चलाने वाले *.*. जिसमें लाखों हिन्दू से ईसाई व मुसलमान बनें ईसाई मुसलमानों को पुनः वैदिक धर्म में दीक्षित किया गया *..*..

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन कराने वाले उसकी अध्यक्षता करने वाले आर्य सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद के नाम से कौन परिचित नहीं होगा?

मार्च 1915 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए, अप्रैल 1915 में वह गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार जाते हैं स्वामी श्रद्धानंद से भेंट करने के लिए *.*. यह उन दिनों की बात है जब देश में गांधी जी को कोई जानता भी नहीं था, वह औसत दर्जे के बैरिस्टर थे; उस समय देश में कांग्रेस में *बाल गंगाधर तिलक*, *फिरोजशाह मेहता*, *लाला लाजपत राय*, जैसे महान विभूतियों का डंका बज रहा था *..*..

स्वामी श्रद्धानंद गांधी को महात्मा की उपाधि देते हैं *.*.  स्वामी श्रद्धानंद वह व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले देश में *लोक अदालतों* का विचार दिया क्योंकि वह खुद प्रसिद्ध वकील रहे थे सन्यासी होने से पूर्व *.*. एक साधारण से काठियावाड़ी बनिए को *महात्मा गांधी बनाने वाले केवल और केवल स्वामी श्रद्धानंद थे ..*..

फरवरी 1923 में स्वामी श्रद्धानंद शुद्धि सभा की स्थापना करते हैं *.*. दिसम्बर आते-आते छह लाख से अधिक मलकानी राजपूतों को जो मुसलमान हो गए थे, आगरा मथुरा के आस पास बसे हुए थे उन्हें हिन्दू बनाया जाता है *..*..

इतना ही नहीं, दिल्ली के आसपास फरीदाबाद के मूला गुर्जरों को पुनः हिन्दू बनाया जाता है, फरीदाबाद, गुरुग्राम, बल्लभगढ़ तहसील के दर्जनों गांव में यह शुद्धि अभियान बड़े जोर शोर से चलता है *.*. मुस्लिम तब लीगी जमातों में खलबली मच जाती है *.*. रातों-रात फतवे जारी हो जाते हैं *..*..

कांग्रेस के उस समय के तमाम राष्ट्रीय नेता स्वामी श्रद्धानंद के कार्य को उचित व जरूरी ठहरा चुके थे, लेकिन गांधी ने मई 1925 में स्वामी श्रद्धानंद के  *शुद्धि आंदोलन के विरुद्ध यंग इंडिया में लेख प्रकाशित* किया जो इस प्रकार था *..*..

29 मई, 1925 के अंक में *हिन्दू मुस्लिम तनाव : कारण और निवारण* शीर्षक से एक लेख में स्वामी जी पर गांधी जी ने स्वामी श्रद्धानंद पर अनुचित टिप्पणी कर डाली *..*..

उन्होंने लिखा- *स्वामी श्रद्धानन्द जी भी अब अविश्वास के पात्र बन गये हैं .*. *मैं जानता हूँ की उनके भाषण प्राय: भड़काने वाले होते हैं, दुर्भाग्यवश वे यह मानते हैं कि प्रत्येक मुसलमान को आर्य धर्म में दीक्षित किया जा सकता हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार अधिकांश मुसलमान सोचते हैं कि किसी न किसी दिन हर गैर मुस्लिम इस्लाम को स्वीकार कर लेगा ..*..

*श्रद्धानन्द जी निडर और बहादुर हैं, उन्होंने अकेले ही पवित्र गंगा तट पर एक शानदार आश्रम (गुरुकुल) खड़ा कर दिया हैं, किन्तु वे जल्दबाज हैं और शीघ्र ही उत्तेजित हो जाते हैं; उन्हें आर्य-समाज से ही यह विरासत में मिली हैं ..*..

स्वामी दयानंद पर आरोप लगाते हुए गांधी जी लिखते हैं- *उन्होंने संसार के एक सर्वाधिक उदार और सहिष्णु धर्म को संकीर्ण बना दिया ..*..

गांधी जी के लेख पर स्वामी जी ने प्रतिक्रिया लिखी की, *यदि आर्य समाजी अपने प्रति सच्चे हैं तो महात्मा गांधी या किसी अन्य व्यक्ति के आरोप और आक्रमण भी आर्यसमाज की प्रवृतियों में बाधक नहीं बन सकते ..*..

गांधी के षड्यंत्र से स्वामी श्रद्धानंद विचलित नहीं हुए, यह  शुद्धि आंदोलन उनकी मृत्यु 23 दिसंबर 1925 तक चलता रहा *.*. 23 दिसंबर 1925 को चांदनी चौक नया बाजार पुरानी दिल्ली स्थित *~अब्दुल रशीद~* नामक सिरफिरे मजहबी मुसलमान ने स्वामी जी की गोली मार कर हत्या कर दी, लोगों ने उसे रंगे हाथ पिस्तौल सहित दबोच लिया *..*..

लेकिन महात्मा गांधी ने उस हत्यारे का बचाव किया, उसके समर्थन में जनसभा की *.*. कहा- *अब्दुल रशीद मेरा भाई है और मैं बार बार यह कहूंगा, हत्या के लिए मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; दोषी वह लोग हैं जो एक दूसरे के खिलाफ नफरत फैलाते हैं, उसकी कोई गलती नहीं है और ही उसे दोषी ठहराकर किसी का भला होगा ..*..

गांधी के ऐसे बयानों का नतीजा यह निकला कि तमाम सबूत होने के बावजूद स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा 2 साल बाद छूट गया, यदि *वह दुष्ट* स्वामी श्रद्धानंद की हत्या नहीं करता तो आज फरीदाबाद, गुड़गांव का मेवात  गौ हत्यारों *.*. वाहन चोर अपराधियों का गढ़ नहीं होता *..*..

फरीदाबाद जिले में धौज बडकल जैसे गांव जो हिन्दू गुर्जरों के गांव थे, आज मुस्लिम गुर्जरों के गांव पहचाने जाते हैं, हिन्दू गुर्जरों से उनकी रोटी बेटी का रिश्ता आज होता जैसा फरीदाबाद के अन्य शुद्ध किए गए गांवों से है *..*..

अब आप समझ सकते हैं कि जब महान स्वामी श्रद्धानंद को गांधी ने नहीं बख्शा *.*. जिन्होंने उन्हें आंदोलन करना, नेतृत्व करना, सिखाया महात्मा की उपाधि दी, वह भला शहीद भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र, सरदार पटेल, *जैसे देशभक्तों को कैसे बख्शता⁉⁉⁉*

साभार- *आर्य सागर*
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                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
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Friday, October 4, 2019

क्या हो रहा है इस देश में..?

मंगल पांडे को फाँसी❓
ताँत्या टोपे को फाँसी❓
रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेज सेना ने घेर कर मारा❓
भगत सिंह को फाँसी❓
सुखदेव को फाँसी❓
राजगुरु को फाँसी❓
चंद्रशेखर आजाद का एनकाउंटर अंग्रेज पुलिस द्वारा❓
सुभाषचन्द्र बोस को गायब करा दिया गया❓
भगवती चरण वोहरा बम विस्फोट में मृत्यु❓
रामप्रसाद बिस्मिल को फाँसी❓
अशफाकउल्लाह खान को फाँसी❓
रोशन सिंह को फाँसी❓
लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में मृत्यु❓
वीर सावरकर को कालापानी की सजा❓
चाफेकर बंधू (३ भाई) को फाँसी❓
मास्टर सूर्यसेन को फाँसी❓
ये तो कुछ ही नाम हैं जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम और इस देश की आजादी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया❓
कई हज़ार वीर ऐसे हैं , हम और आप जिनका नाम तक नहीं जानते ❓

एक बात समझ में आज तक नहीं आई कि भगवान ने गांधी और नेहरु को ऐसे कौन से कवच-कुण्डल दिये थे❓
जिसकी वजह से अंग्रेजों ने इन दोनो को फाँसी तो दूर, कभी एक लाठी तक नहीं मारी...❓
ऊपर से यह दोनों भारत के बापू और चाचा बन गए और इनकी पीढ़ियाँ आज भी पूरे देश के ऊपर अपना पेंटेंट समझती हैं❓

       गहराई से सोचिए❓❓                                              

सैनिकों पर पत्थर -           अहिंसक आंदोलन

लव जिहाद पर कार्यवाही-  गुंडागर्दी

पत्थरबाज-                       भटके हुए नौजवान

भारत तेरे टुकड़े -              अभिव्यक्ति आजादी

भंसाली को थप्पड़ -           हिन्दू आतंकवाद

गौमांस भक्षण    -              भोजन का अधिकार

ईद पर बकरा काटना -      धार्मिक स्वतंत्रता

तीन तलाक हलाला   -      धार्मिक अंदरूनी मामला

दीवाली पटाखे         -        पर्यावरण प्रदूषण

न्यू इयर पटाखे         -       जश्न का माहौल

मटकी-फोड़ में बच्चे -        असंवैधानिक

मासूम बच्चों का खतना   -       धार्मिक अंदरूनी मामला

प्लेटफार्म पर नमाज -        धार्मिक अधिकार

सड़क पर पंडाल -             सड़क जाम का केस

मस्जिद लाउडस्पीकर   -   धार्मिक स्वतंत्रता

मंदिर में लाउडस्पीकर -     ध्वनि प्रदूषण

करवाचौथ         -               ढकोसला

वैलेंटाइनडे         -              प्यार का पर्व

चार शादियाँ       -             धार्मिक स्वतंत्रता

हिन्दू दो शादी       -            केस दर्ज

गणेश विसर्जन, होली  -     जल प्रदूषण

ताजिया विसर्जन   -            संविधान अधिकार

आजम,ओवैसी,केजरी-      राष्ट्र पुरुष

मोदी,योगी,स्वामी-             हिन्दू आतंकवादी

भगत सिंह सुखदेव राजगुरु- आतंकवादी

अफजल,कसाब,बुरहान-     शहीद

15 मिनिट पुलिस हटालो-     सहिष्णुता

भाजपा चुनाव जीती-             असहिष्णुता

कश्मीर,असम केरल दंगे-      देश शांत

अख़लाक़, गुजरात दंगे-      अवार्ड वापसी,असहिष्णु देश

शिव लिंग पर दूध चढ़ाना-      दूध की बर्बादी

बकरे काटना,चादर चढ़ाना-  धार्मिक मान्यता

राम मंदिर-                             गुंडाराज

बाबरी मस्जिद-                      देश में अमन चैन

ताज महल-                            प्रेम की निशानी

राम सेतु-                       राम काल्पनिक हैं राम थे ही नहीं

आतंकियों की फाँसी पर-        रात में कोर्ट खुलवाते हैं आंदोलन होते हैं,दया याचिका दायर की जाती है,भारत विरोधी नारे लगाये जाते हैं ।

किसी कुलभूषण की फाँसी पर- सब मौन

भारत में हिन्दुओं पर अत्याचार-   कोई आवाज नहीं उठाता..सब मौन हो जाते हैं साँप सूंघ जाता है

हिन्दुओं द्वारा प्रतिक्रिया पर-      भगवा           आतंकवादी 
देश में असहिष्णुता का माहौल,
अवार्ड वापसी जैसे ढोंग

देवी देवताओं का अपमान   
             -  अभिव्यक्ति 
                 की आजादी

मोहम्मद पर बयान  -  रासुका धारा तोड़फोड़

          ये है भारत की सच्चाई

क्या हो रहा है इस देश में ❓
कहाँ है समान अधिकार ❓

आज का सुविचार

*अच्छा वक़्त सिर्फ उसीका   होता है,​.*
*..​जो कभी किसी का बुरा नहीं सोचते !!​*
*​सुख दुख तो अतिथि है,​.*
.   *​बारी बारी से आयेंगे चले जायेंगे..​*
*​यदि वो नहीं आयेंगे तो हम​*
       *​अनुभव कहां से लायेंगे।​*
*जिन्दगी को खुश रहकर जिओ*
*क्योकि रोज शाम सिर्फ सूरज ही नही ढलता आपकी अनमोल जिन्दगी भी ढलती है*
🌺💐🙏🏻🙏🏼🌹🌺
        *महासप्तमी की हार्दिक शुभकामनाए*
*🙏🏻🚩🌼शुभ प्रभात🌼🚩🙏🏻*

आज का संदेश

.          """" *लक्ष्मी*""""
                   *अगर*
         *मेहनत से मिलती, तो*
.               *मजदूरों*
           *के पास क्यों नही..?*
           *बुद्धि से मिलती तो,*
       *चालाक और चतुरों*
           *के पास क्यों नही..?*
          *ताकत से मिलती तो,*
               *पहलवानों*
         *के पास क्यों नही...*
*लक्ष्मी सिर्फ "पुण्य"  से मिलती है और पुण्य केवल "धर्म" "कर्म" "निःस्वार्थ सेवा"से ही मिलता है.*

शल्य चिकित्सा के पितामह आचार्य सुश्रुत

शल्य चिकित्सा के पितामह : *आचार्य सुश्रुत*

शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के पितामह और सुश्रुतसंहिता के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व काशी में हुआ था, सुश्रुत का जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था, इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की थी *..*..

सुश्रुतसंहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है, इसमें शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है; शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे, ये उपकरण शल्य क्रिया की जटिलता को देखते हुए खोजे गए थे; इन उपकरणों में विशेष प्रकार के चाकू, सुईयां, चिमटियां आदि हैं *.*. सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की *..*..

आठवीं शताब्दी में सुश्रुतसंहिता का अरबी अनुवाद *किताब-इ-सुश्रुत* के रूप में हुआ, सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी *..*..

एक बार आधी रात के समय सुश्रुत को दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी, उन्होंने दीपक हाथ में लिया और दरवाजा खोला; दरवाजा खोलते ही उनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी, उस व्यक्ति की आंखों से अश्रु-धारा बह रही थी और नाक कटी हुई थी *.*. उसकी नाक से तीव्र रक्त-स्राव हो रहा था; व्यक्ति ने आचार्य सुश्रुत से सहायता के लिए विनती की, सुश्रुत ने उसे अन्दर आने के लिए कहा, उन्होंने उसे शांत रहने को कहा और दिलासा दिया कि सब ठीक हो जायेगा; वे अजनबी व्यक्ति को एक साफ और स्वच्छ कमरे में ले गए *..*..

कमरे की दीवार पर शल्य क्रिया के लिए आवश्यक उपकरण टंगे थे उन्होंने अजनबी के चेहरे को औषधीय रस से धोया और उसे एक आसन पर बैठाया, उसको एक गिलास में सोमरस भरकर सेवन करने को कहा और स्वयं शल्य क्रिया की तैयारी में लग गए, उन्होंने एक पत्ते द्वारा जख्मी व्यक्ति की नाक का नाप लिया और दीवार से एक चाकू व चिमटी उतारी, चाकू और चिमटी की मदद से व्यक्ति के गाल से एक मांस का टुकड़ा काटकर उसे उसकी नाक पर प्रत्यारोपित कर दिया; इस क्रिया में व्यक्ति को हुए दर्द का सोमरस ने महसूस नहीं होने दिया *.*. इसके बाद उन्होंने नाक पर टांके लगाकर औषधियों का लेप कर दिया *..*..

व्यक्ति को नियमित रूप से औषाधियां लेने का निर्देश देकर सुश्रुत ने उसे घर जाने के लिए कहा *..*..

सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे, सुश्रुतसंहिता में मोतियाबिंद के ऑपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया है, उन्हें शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था, सुश्रुत को टूटी हुई हड्डी का पता लगाने और उनको जोड़ने में विशेषज्ञता प्राप्त थी; शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए वे मद्यपान या विशेष औषधियां देते थे, सुश्रुत श्रेष्ठ शल्य चिकित्सक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ शिक्षक भी थे *..*..

उन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धांत बताये और शल्य क्रिया का अभ्यास कराया; प्रारंभिक अवस्था में शल्य क्रिया के अभ्यास के लिए फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग करते थे, मानव शरीर की अंदरूनी रचना को समझाने के लिए सुश्रुत शव के ऊपर शल्य क्रिया करके अपने शिष्यों को समझाते थे; सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा में अद्भुत कौशल अर्जित किया तथा इसका ज्ञान अन्य लोगों को कराया, उन्होंने शल्य चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद के अन्य पक्षों जैसे शरीर संरचना, काया-चिकित्सा, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग आदि की जानकारी भी दी, कई लोग प्लास्टिक सर्जरी को अपेक्षाकृत एक नई विधा के रूप में मानते हैं, *प्लास्टिक सर्जरी की उत्पत्ति की जड़ें भारत की सिंधु नदी सभ्यता से 4000 से अधिक साल से जुड़ी हैं ..*..

इस सभ्यता से जुड़े श्लोकों को 3000 और 1000 ई.पूर्व के बीच संस्कृत भाषा में वेदों के रूप में संकलित किया गया है, जो हिन्दू धर्म की सबसे पुरानी पवित्र पुस्तकों में से हैं; इस युग को भारतीय इतिहास में वैदिक काल के रूप में जाना जाता है, जिस अवधि के दौरान चारों वेदों अर्थात् ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद को संकलित किया गया *.*. चारों वेद श्लोक, छंद, मंत्र के रूप में संस्कृत भाषा में संकलित किए गए हैं और सुश्रुत संहिता को अथर्ववेद का एक हिस्सा माना जाता है *..*..

सुश्रुत संहिता, जो भारतीय चिकित्सा में सर्जरी की प्राचीन परंपरा का वर्णन करता है, उसे भारतीय चिकित्सा साहित्य के सबसे शानदार रत्नों में से एक के रूप में माना जाता है, इस ग्रंथ में महान प्राचीन सर्जन सुश्रुत की शिक्षाओं और अभ्यास का विस्तृत विवरण है, जो आज भी महत्वपूर्ण व प्रासंगिक शल्य चिकित्सा ज्ञान है *.*. प्लास्टिक सर्जरी का मतलब है- *शरीर के किसी हिस्से की रचना ठीक करना ..*..

प्लास्टिक सर्जरी में प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है, सर्जरी के पहले जुड़ा प्लास्टिक ग्रीक शब्द प्लास्टिको से आया है; *ग्रीक में प्लास्टिको का अर्थ होता है बनाना, रोपना या तैयार करना .*. प्लास्टिक सर्जरी में सर्जन शरीर के किसी हिस्से के उत्तकों को लेकर दूसरे हिस्से में जोड़ता है, भारत में सुश्रुत को पहला सर्जन माना जाता है; आज से करीब 2500 साल पहले युद्ध या प्राकृतिक विपदाओं में जिनकी नाक खराब हो जाती थी, आचार्य सुश्रुत उन्हें ठीक करने का काम करते थे *..*.!!
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                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
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जन्म दिवस :- रामचन्द्र शुक्ल जी

जन्म दिवस : रामचन्द्र शुक्ल (1884)

जन्म स्थान – बस्ती जिला (अगोना)

साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का जन्म सन् 1884 ई० में अगोना नामक गाँव में हुआ था, इनके पिता चन्द्रबली शुक्ल मिर्जापुर में कानूनगो थे, इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा अपने पिता के पास, मिर्ज़ापुर जिले की राठ तहसील में हुई और इन्होने मिशन स्कूल में दसवी की परीक्षा उत्तीर्ण की; गणित में अत्यधिक कमजोर होने के कारण ये आगे पढ़ नहीं सके ये अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा इलाहाबाद से की किन्तु परीक्षा से पूर्व ही इनका विद्यालय छुट गया, इसके पश्चात् इन्होने मिर्ज़ापुर के न्यायालय में नौकरी प्रारंभ कर दी यह नौकरी इनके अनकूल नहीं थी।

इन्होने कुछ दिन तक अध्यापन का कार्य सम्हाला, अध्यापन का कार्य करते हुए इन्होने अनेक प्रकार की कहानी, निबंध, कविता आदि नाटक की रचना की।

इनकी विद्वता से प्रभावित होकर इन्हे *हिंदी शब्द सागर* के सम्पादन कार्य में सहयोग के लिए श्याम सुंदर दास जी द्वारा काशी नगरी प्रचारिणी सभा में ससम्मान बुलाया गया, इन्होने 19 वर्ष तक *काशी नगरी प्रचारिणी पत्रिका* का संपादन भी किया।

स्वाभिमानी और गंभीर प्रकृति का हिंदी का यह दिग्गज साहित्यकार सन् 1941 ई० को स्वर्गवासी हो गये।

साहित्यिक परिचय –

शुक्ल जी को हिन्दी के एक प्रसिद्ध निबंधकार के रूप में जाने जाते हैं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में इन्होने बहुत बड़ा योगदान दिया है, शुक्ल जी ने अत्यंत खोज पूर्ण *हिन्दी साहित्य का इतिहास* लिखा, जिस पर इन्हें हिन्दुस्तानी अकादमी से 500 रुपये का पारितोषिक सम्मान मिला *..*..

इसके पश्चात् शुक्ल जी ने *काशी हिन्दू विश्वविद्यालय* में प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति ली और कुछ ही समय के बाद वहीं पर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष के पद पर सुशोभित हुए *.*. अपने निबंधो में आपने करुणा, क्रोध, रहस्यवाद आदि का बहुत ही अनूठा समावेश किया है *..*..

रचनायें –

शुक्ल जी एक प्रसिद्ध निबंधकार, निष्पक्ष आलोचक, श्रेष्ठ इतिहासकार और सफल संपादक थे, अपने अध्यापन काल के दौरान इन्होंने कई प्रकार के ग्रन्थों की रचना की यह एक युग प्रवर्तक एवं प्रतिभा संपन्न रचनाकार थे, शुक्ल जी अपने समय के सबसे प्रसिद्ध रचनाकार माने जाते है इनकी रचना शैली में सबसे प्रमुख *आलोचनात्मक* शैली है।

निबन्ध –

*चिंतामणि* ; *विचारवीथी*

सम्पादन –

*जायसी ग्रन्थावली*, *तुलसी ग्रन्थावली*, *भ्रमरगीत सार*, *हिन्दी शब्द-सागर* और *काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका*

हिंदी साहित्य पर आपके योगदान का देशवासी सदैव ऋणी रहेगा *..*।।
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...