Saturday, October 12, 2019

आध्यात्म क्या है..?

*अध्यात्म क्या है⁉⁉⁉*

अध्यात्म एक दर्शन है, चिंतन-धारा है, विद्या है, हमारी संस्कृति की परम्परागत विरासत है; ऋषियों, मनीषियों के चिंतन का निचोड़ है, उपनिषदों का दिव्य प्रसाद है; आत्मा, परमात्मा, जीव, माया, जन्म-मृत्यु, पुनर्जन्म, सृजन-प्रलय की *अबूझ पहेलियों को सुलझाने का प्रयत्न है अध्यात्म ..*..

अध्यात्म का अर्थ है अपने भीतर के चेतन तत्व को जानना, और दर्शन करना अर्थात अपने आप के बारे में जानना या आत्मप्रज्ञ होना, गीता के आठवें अध्याय में अपने स्वरुप अर्थात जीवात्मा को अध्यात्म कहा गया है, *परमं स्वभावोऽध्यात्म मुच्यते* आत्मा परमात्मा का अंश है *यह तो सर्वविदित है ..*..

जब इस सम्बन्ध में शंका या संशय, अविश्वास की स्थिति अधिक क्रियामाण होती है तभी हमारी दूरी बढ़ती जाती है, और हम विभिन्न रूपों से अपने को सफल बनाने का निरर्थक प्रयास करते रहते हैं जिसका परिणाम नाकारात्मक ही होता है, ये तो असंभव सा जान पड़ता है, मिट्टी के बर्तन, मिट्टी से अलग पहचान बनाने की कोशिश करें तो कोई क्या कहे? *यह विषय विचारणीय है ..*..

अध्यात्म की अनुभूति सभी प्राणियों में सामान रूप से निरन्तर होती रहती है, स्वयं की खोज तो सभी कर रहे हैं, परोक्ष व अपरोक्ष रूप से, परमात्मा के असीम प्रेम की एक बूँद मानव में पायी जाती है जिसके कारण हम उनसे संयुक्त होते हैं किन्तु कुछ समय बाद इसका लोप हो जाता है और हम निराश हो जाते हैं *..*..

सांसारिक बन्धनों में आनंद ढूंढते ही रह जाते हैं परन्तु क्षणिक ही ख़ुशी पाते हैं, जब हम क्षणिक संबंधों, क्षणिक वस्तुओं को अपना जान कर उससे आनंद मनाते हैं, जबकि हर पल साथ रहने वाला शरीर भी हमें अपना ही गुलाम बना देता है, हमारी इन्द्रियां अपने आप से अलग कर देती है यह इतनी सूक्ष्मता से करती है कि हमें महसूस भी नहीं होता की हमने यह काम किया है?

जब हमें सत्य की समझ आती है तो, जीवन का अंतिम पड़ाव आ जाता है व पश्चात्ताप के सिवाय कुछ हाथ नहीं लग पाता, ऐसी स्थिति का हमें पहले ही ज्ञान हो जाये तो शायद हम अपने जीवन में पूर्ण आनंद की अनुभूति के अधिकारी बन सकते हैं, हमारा इहलोक तथा परलोक भी सुधर सकता है *..*..

तो सज्जनों! अब प्रश्न उठता है की यह ज्ञान क्या हम अभी प्राप्त कर सकते हैं? हाँ, हम अभी जान सकते हैं की अंत समय में किसकी स्मृति होगी, हमारा भाव क्या होगा? हम फिर अपने भाव में अपेक्षित सुधार कर सकेंगे *..*..

*यंयंवापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्।*

*तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भाव भावितः।।*

सज्जनों! सभी अपनी अपनी आखें बंद कर यह स्मरण करें की सुबह अपनी आखें खोलने से पहले हमारी जो चेतना सर्वप्रथम जगती है उस क्षण हमें किसका स्मरण होता है? बस उसी का स्मरण अंत समय में भी होगा, अगर किसी को *भगवान* के अतिरिक्त किसी अन्य चीज़ का स्मरण होता है तो अभी से वे अपने को सुधार लें *..*..

और निश्चित कर लें की हमारी आँखें खुलने से पहले हम अपने चेतन मन में *भगवान* का ही स्मरण करेंगे, बस हमारा काम बन जायेगा नहीं तो हम जीती बाज़ी भी हार जायेंगे, कदाचित अगर किसी की बीमारी के कारण या अन्य कारण से बेहोशी की अवस्था में मृत्यु हो जाती है *..*..

तो दीनबंधु भगवान उसके नित्य प्रति किये गए इस छोटे से प्रयास को ध्यान में रखकर उन्हें स्मरण करेंगे और उनका उद्धार हो जायेगा, *क्योंकि परमात्मा परम दयालु हैं जो हमारे छोटे से छोटे प्रयास से द्रवीभूत हो जाते हैं, ये विचार मानव-मात्र के कल्याण के लिए समर्पित है ..*!!

                *जय श्री कृष्ण*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

शरद पूर्णिमा विशेष

*🚩शरद पूर्णिमा पर्व की बधाईयाँ🚩*

*🌝दीपावली से पहले शरद पूर्णिमा लक्ष्‍मी-माता के जन्‍म दिन के तौर पर मनाई जाती है ..*..

🌝आश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है इस साल यह तिथि 13 अक्‍टूबर यानी रविवार को आज है !!

*🚩पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, इस दिन धन की देवी मां लक्ष्‍मी समुद्र मंथन से उत्‍पन्‍न हुई थीं, इसलिए यह दिन विशेष रूप से माता लक्ष्‍मी को ही समर्पित होता है* !!

🚩इस अवसर मां लक्ष्‍मी को प्रिय *.*. इन 5 वस्‍तुओं का भोग लगाने और इसे प्रसाद स्‍वरूप बांटने व स्‍वयं खाने से धन, समृद्धि और यश में वृद्धि होती है और मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा भी प्राप्‍त होती है !!

*🌝आइए जानते हैं कौन सी हैं ये 5 वस्‍तुएं ..*..

*🌝लक्ष्‍मी माता का भाई माना जाता है इन्‍हें ..*..

शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी जी की पूजा करने के बाद आप मखाने का भोग लगा सकते हैं, मखाने का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा को मां देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है, साथ ही इस दिन श्रीसूक्त का पाठ कर सकते हैं !!

*🌝भोग में लगाएं यह वस्‍तु ..*..

माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप भोग में बताशे का भी प्रयोग कर सकते हैं, रात्रि जागरण में आप बताशे का भोग लगाकर हर किसी को दे सकते हैं; बताशे का संबंध भी चंद्रमा से है, इसलिए दिवाली के दिन बताशे और चीनी के खिलौने माता लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं !!

*🌝इसे खाकर रोग होते हैं दूर ..*..

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मखाने और चांवल की खीर का भोग लगा सकते हैं, बताया जाता है कि इस खीर में चंद्रमा की रोशनी में रखने के बाद इसमें औषधीय गुण आ जाते हैं, इससे कई रोग दूर होते हैं !!

*🌝पूजा में करें इसका प्रयोग ..*..

हिंदू धर्म के पूजापाठ से जुड़े कार्यों में पान का होना बहुत ही शुभ माना जाता है, पान को प्रसन्नता का कारक माना जाता है; पूजा में पान पर सुपारी का प्रयोग किया जाता है, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप उनकी पूजा में पान का प्रयोग कर सकते हैं !!

*🌝दही का लगाएं भोग ..*..

मां लक्ष्‍मी को जो वस्‍तुएं प्रिय हैं, उनमें से एक दही भी है, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्‍मी को गाय के दूध से बने दही का भी भोग लगाएं, फिर इसे प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांट दें; *ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगी ..*.!!
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                          प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

आज का सुविचार

🙏* 🙏
*भीतर क्षमा हो, तो क्षमा निकलेगी..*
*भीतर क्रोध हो, तो क्रोध निकलेगा..*
*भीतर प्रार्थना हो, तो प्रार्थना निकलेगी..*
*भीतर नफरत हो, तो नफरत निकलेगी..*
*इसलिए जब भी कुछ बाहर निकले,*
*तो दूसरे को दोषी मत ठहराना,*
*यह हमारी ही संपदा है जिसको*
*हम अपने भीतर छिपाए हैं।*
🙏🏻🙏🏻 *जय श्री राधे कृष्ण*🙏🏻🙏🏻 **💐

आज का संदेश

*"जीवन में सुख साधन संपन्न                            व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं,*,
*'लेकिन परम सौभाग्यशाली वो                       हैं जिनके पास.,,..*

*"भोजन है और भूख भी है,*
*'सेज है और नींद भी है,*
*'धन है साथ में धर्म भी है,*
*'विशिष्टता के साथ शिष्टता भी है,""*.         

*जय श्री कृष्ण*🙏🏻💫
*महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर उन्हें सत सत नमन 💐👏🏻*
   *शुभ प्रभात*

🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹

शरद पूर्णिमा

*शरद पूर्णिमा*

🌝वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है; इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं।

🌕शरद पूर्णिमा का एक नाम *कोजागरी पूर्णिमा* भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं *कौन जाग रहा है?* अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है।

🌝एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है और आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है।

🌕केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी, चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा पृथ्वी पर अमृत बरसता है।

🌝आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं, जीवन दायिनी रोग नाशक जड़ी-बूटियों को वह शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं, अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनायी जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुरन्त असर करती है।

🌕चंद्रमा को वेद-पुराणों में मन के समान माना गया है *चंद्रमा मनसो जात:* वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है, प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश्र यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है।

🌝ब्रह्मपुराण के अनुसार *सोम* या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।

🌕शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, *शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है।*

🌝लेकिन इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है, पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, *शरीर निरोगी होता है।*

🌕शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं, स्वयं *सोलह कला सम्पूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा*; इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महा-रास रचाते हैं।

🌝कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महा-रास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना *भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी।*

*🌕गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं* और गरबा खेलते हैं, *मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं*; *पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है*; मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, *उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।*

🌝ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है, आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था; गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर, कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं।

🌕शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है, शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और *इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                          प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Friday, October 11, 2019

मिट्टी के दीए जलाने का महत्व


*मिट्टी के दीए जलाने से घर में आती हैं लक्ष्मी और मिलती है सुख और सृमद्धि अपार :-*

दीपावली के मौके पर दीयों का अलग ही महत्व है, मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती लेकिन लोगों का रुझान मोमबत्ती और बिजली की झालरों की ओर हो गया है।

चौदह साल के वनवास के बाद जब लंका पति रावण को मार कर प्रभु राम सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या पहुंचे तो अयोध्या वासियों ने दीपक जला कर अपनी खुशी प्रकट की थी।

मिट्टी का दीपक जलाने के पीछे कई मत हैं, मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है मंगल, साहस पराक्रम में वृद्घि करता है और तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है; शनि को भाग्य का देवता कहा जाता है।

मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा आती है, इसके अलावा दीपक जलाने का महत्व उसकी रोशनी के कारण भी है; रोशनी को सुख, समृद्धि, स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है; *जबकि अंधकार को दुख, आलस्य, निर्धनता का प्रतीक माना जाता है* इसलिए भी दीपक जलाने का बहुत अधिक महत्व है।

हिंदू सनातन धर्म की जय हो *..*..
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻
                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
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Thursday, October 10, 2019

आज का संदेश

*"हालात" जैसे भी हों "डटे" रहो*

*क्योंकि सही "समय" आने पर*
            *खट्टी "कैरी" भी*
*मीठे "आम" में "बदल" जाती है !!*🍁

              *🌻शुभप्रभात🌻*

*🌹व्यस्त रहें, मस्त रहें, स्वस्थ रहें🌹*

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...