*💐🕊गोरैया का रिश्ता*💐
*🚩मेरे साथ वाले आंगन में एक आम🥭 का पेड़ और साथ में ही अमरूद🍏 का भी, दुनिया भर के पक्षी🐦 हमारे यहां आते हैं, कभी तोता🦜 बोलता है , कभी कोयल🐧 तो कभी गोरैया🕊, गोरैया मतलब चिड़िया। दिनभर इन सबकी धमा चौकड़ी मची रहती। कभी मोर🦚 बोला करते थे, सुबह🌅 सुबह परंतु दिन में तोते की, कौवे 🐧की और इस गौरैया की चिक चिक की सुनकर शोर मच जाता था ,मगर मेरी मां🗣 कहती यह सब गाना गा रहे हैं।*
*🤱मां का दिन शुरू होता तो रात🌑 के बर्तन मांजने से। उसके बाद नहा धोकर जब वो रसोई जाती तो पहला काम करती की एक कटोरी में कुछ अनाज🌽 या दलिये के दाने गोरैया🕊 के लिए रख देती और न जाने कहां से बहुत सारी गौरैया उनकी कटोरी देखते ही मुंडेर पर आ जाती, खिड़की पर रखी हुई उस कटोरी में रखे वह दाने शोर मचा मचा कर खाती।*
*🌝दिन बीते, मेरा बचपन गया, माँ🤱 बूढ़ी हो चली परंतु अब सब बदल गया है। अब खिड़की पर सुबह सुबह केवल एक ही गौरिया🕊 आ कर शोर मचाने लगती है और माँ🤱 एक कटोरी में थोड़ा सा दलिया उसके लिये रख देती है । अकेली मां और उनकी वो अकेली गौरेया।*
*जब उन दिनों माँ ने बिस्तर🛏 पकड़ लिया उस गौरिया ने चहकना भी बंद कर दिया था । सुबह की पहली किरण जैसे बेरंग हो गयी थी , उस निस्वार्थ आवाज के बिना । माँ का उठना, मंदिर में पूजा करना,सब आयु अनुसार वृद्ध होने की वजह से छूटने लगा था।*
*बहुत दिन बीते,माँ बीमार थी, बिस्तर से उठ नही पाती थी अब, एक दिन देखा तो वो गौरैया भी बाहर तुलसी🌿 के मुरझाये पौधे के कीड़े🐛 बीन बीन खा रही थी बगैर आवाज किये । निशब्द,मूक, खामोश सी, न चहचहाना न कूदना,निर्जीव सी उदास। उस दिन मुझे खुद पर बहुत खीज सी आयी कि,मैं उस सुकून के लिये, जो उसकी आवाज से आता था,थोड़ा दाना भी नही रख सकता ।*
*अगले दिन सुबह उठते ही चाय के साथ पहला काम यही किया था, एक कटोरी में दस बारह दाने डाल, खिड़की पर रख दिये ।*
*चिरपरिचित आवाज कानो में पड़ गयी उस नन्ही गौरय्या के चहचहाने की परंतु*
*परंतु*
*उसके साथ एक और आवाज थी अंदर के कमरे से माँ की " आज आयी है इतने दिन में "।*
*कितने दिनो बाद आज माँ उठ के खिड़की तक आयी थी । माँ के चेहरे पर और खिड़की पर अजीब रौनक खिल रही थी । पिताजी भी गौरैया और अपनी बुढ़िया ( मेरी माँ) को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।*
*वृद्ध एकाकी जीवन में जीव से मोह का अर्थ तब समझ आएगा जब तुम भी वृद्ध हो जाओगे। आइये इन गौरैयों को तथा अपने वृद्धों को नित प्रतिदिन सुबह सुबह मिलकर,बातचीत करके, आयु वृद्धि का दाना डाले।*
*सदैव प्रसन्न रहिये*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
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*सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की शुभ मंगल कामना 🙏🏻⛳वंदेमातरम_🙏🏻😊⛳*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057