Thursday, April 30, 2020

है सफर लम्बा चलकर जाना पड़ता है!

है सफर लम्बा चलकर जाना पड़ता है!
रस्म ए उल्फत जब सजाना पड़ता  है।

हर पहर हर डगर ढलकर दुनियां का यूँ!
दिल की हसरत बेसबब जगाना पड़ता है।

जिस कदर ढले शाम फिर सुबह आती जाये!
यूँ कुछ पल ही मगर गम भुलाना पड़ता है।

कितनी चाहत है दिल में किस कदर हम कहें!
चुपके छुपके हमसफर जताना पड़ता है।

गर प्यार हमारा हांसिल हो जाये फिर भी!
मिलकर वादे को अक्सर निभाना पड़ता है।

है सफर लम्बा चलकर जाना पड़ता है!
रस्म ए उल्फत जब सजाना पड़ता  है।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Wednesday, April 29, 2020

आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।


आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत, 
मेरे भारत में जागे फिर,गहन परस्पर प्रीत।

मुस्लिम आतंकी जन आये,लूटे पूरा देश,
त्रस्त हो गया अपना भारत,अब तक भारी क्लेश।
तोड़े मंदिर मस्जिद लाये,बैठाये दरवेश,
शाँति हो गयी भंग हमारी, बची न किंचित लेश।
अब तक इनसे पूरा भारत,दीख रहा भयभीत, 
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।

गोरे बड़े सयाने आये,करने को व्यापार,
जलियाँवाला बाग न भूले,इतना अत्याचार।
अपना ही यह देश निरंतर, बनता कारागार,
बड़े छुपे रुस्तम ये निकले,छीन लिए आधार।
हुआ काल के गाल हमारा,स्वर्णिम रहा अतीत, 
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।

आजाद-भगत-गाँधी को मारे,इन दोनों की चाल,
गर्वोन्नत फिर कहाँ रह गया,झुका हुआ यह भाल।
बोल तुगलकी बर्छी जैसे,लागे कठिन कराल,
कलम गीत लिख कर आवाहन,करती मेरे लाल।
इधर-उधर से हाथ बढ़ायें,टूटे उर की भीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।

तीस कोटि हिंदू को बंधक,क्यों रखे इस्लाम,
हमको बाँटे दो विभक्ति में, साधे अपना काम।
राम कृष्ण के हम सब वंशज,सकल हमारे धाम,
किसने यह दीवार बनाई,सोच सुबह अब शाम।
जो पहले जागेगा भाई,उसकी होगी जीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।

नहीं स्वार्थ के अंधे बनना,एक शर्त है भ्रात,
जिसको अपना कहना उससे,कभी न करना घात।
उर की प्रीत भरी सरिता हो,रहे सदा उमड़ात,
करे सुनिश्चित जीत देश की,बस इतनी सी बात।
खेमेश्वर कुछ गैर यहाँ पर,शेष हमारे मीत, 
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Tuesday, April 28, 2020

छोड़कर साथ मेरा कहां ढल दीए

आप आये अभी और फिर चल दिए!
छोड़कर  साथ  मेरा  कहां  ढल दीए।

वक़्त गुजरते गये हम बिछड़ते चले!
समझ पाये न हम किस कदर हल दिए।

क्यूं सदा हर घड़ी याद आते रहे!
ख्वाब दिलने सजाया खुशी पल दिए!

प्यार है के इसे गम कहूँ हमसफर!
जान जाते मगर आप ही छल दिए।

ठहर कर दो घड़ी मशवरा कीजिये!
इश्क़ जताये बिना दिलवर निकल दिए।

आप आये अभी और फिर चल दिए!
छोड़कर  साथ  मेरा  कहां  ढल दीए।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Monday, April 27, 2020

वो सारी बस्ती जला रहा है ।

वो    सारी   बस्ती   जला  रहा  है ।
पर   अपना  दामन  बचा   रहा है।।

नहीं    बचेगी   किसी  की   हस्ती ।
बिसात    ऐसी    बिछा   रहा   है ।।

वो घोल कर दिल में सबके नफ़रत।
जहां   से  उल्फ़त   मिटा  रहा  है।।

वो  दोष  औरों  के  सर  पे मढ़कर।
बेदाग़   ख़ुद   को   दिखा  रहा  है।।

ये  किसको  है   रोशनी  से नफ़रत।
ये    कौन   दीये    बुझा   रहा   है।।

'खेमेश्वर '   कैसे   बचेगी    उल्फ़त ? 
मुझे   ये   ही   ग़म   सता   रहा  है !।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

इश्क़ दिलों में वफ़ा भी जताते रहे।

गर सदा रस्म उल्फत का निभाते रहे!
इश्क़  दिलों  में  वफ़ा भी जताते रहे।

इस  कदर  हम मिलें के हुए ना जुदा!
सांस बनकर रूहों को जगाते रहे।

कर गये हम ख़ता के वफ़ा कर गये!
ताउम्र हसरतों को सुलझाते रहे।

बांधकर हम चलें डोर मन का सदा!
हर सफर फिर कटे गम भुलाते रहे।

मुहब्बतें भी गुलों का चमन सी लगे!
हमनवा गर दिलों को मिलाते रहे।

गर सदा रस्म उल्फत का निभाते रहे!
इश्क़  दिलों  में  वफ़ा भी जताते रहे।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Saturday, April 25, 2020

तब होगा अपना देश महान अपना ये देश प्यारा हिंदुस्तान

आया आया ये पवित्र महीना सुनलो भाइयों मुसलमान
लाकडाउन का पालन हिन्दू करे,तुम रखों रोजा श्रीमान

घर घर पहुंचेगा गोश्त ओर फल फ्रूट तुम्हारी सेवा में यूँ
हर सरकारी आदमी होगा नोकर तुम मालिक मेरी जान

उड़ा लेना जितनी उड़ा सकते हो धज्जियाँ नियमो की
होना इक्कठे नमाज को मस्जिदों से आये जब आजान

न हो मुश्किलें कोई रोजा रखने में तुमको ये समझ लो
हर ख्वाईश पूरी करेगी ये सरकार तुम पे सिर्फ़ मेहरबान

हमारी होली गई हमारा नवरात्रि बीत गई तो क्या हुआ
हमारी संस्कृति को आग लगे भाड़ में जाये ये हिंदुस्तान

राम नवमी,महावीर जयंती हम सब भुल से गये यहाँ पर
परशुरामजी बाल्मीकी का कौन रखना चाहता यहाँ ध्यान

बस इतना समझ आया हमको अर्णव गोस्वामी की बात से
जो नेताओ के ख़िलाफ़ बोले मार डालो उसको लेलो प्राण

कहता कवि हूं खेमेश्वर मुंगेली से क़लम  तोड़  डालूं मैँ
क्या देश जगाना अपना जब सोया हिन्दू छोड़ वेद पुराण

इससे अच्छा तो मुस्लिम पैदा हो जाते हम भी गर्व होता है
गद्दारी नहीं करते धर्म से अपनी वो चाहें ले किसी की जान

गीता कुरान वेद पुराण सब फाड़ डालो मोदी जी सुन लो
धर्म की राजनीति त्याग कर लागू कर दो बस ये सँविधान

बस अब राजधर्म को सर्वप्रिय कर दो फिर प्यारे मोदी तुम
तब होगा अपना देश महान अपना ये देश प्यारा हिंदुस्तान

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

मुस्कुराते रहे वो बिना बात पर।

मुस्कुराते   रहे    वो    बिना   बात    पर।
दिल   को  थामे  रहे  हम मुलाकात पर।।

तिरछी  नज़रों  से  घायल वो  करते  रहे।
तरस    खाए   बिना   मेरे   हालात  पर।।

है  नज़र  आ   रहे  हर  तरफ  वो  ही वो।
छा    गए    ऐसे    मेरे    ख्यालात   पर।।

हर   धङकन   उन्हीं   को  पुकारा   करे।
वो असर कर गए दिल  के जज़्बात पर।।

यूं   दीवाना  बनाकर   के  वो  चल दिए ।
क्या  कहूं  दिल की  ऐसी खुराफात पर।।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...