आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत,
मेरे भारत में जागे फिर,गहन परस्पर प्रीत।
मुस्लिम आतंकी जन आये,लूटे पूरा देश,
त्रस्त हो गया अपना भारत,अब तक भारी क्लेश।
तोड़े मंदिर मस्जिद लाये,बैठाये दरवेश,
शाँति हो गयी भंग हमारी, बची न किंचित लेश।
अब तक इनसे पूरा भारत,दीख रहा भयभीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।
गोरे बड़े सयाने आये,करने को व्यापार,
जलियाँवाला बाग न भूले,इतना अत्याचार।
अपना ही यह देश निरंतर, बनता कारागार,
बड़े छुपे रुस्तम ये निकले,छीन लिए आधार।
हुआ काल के गाल हमारा,स्वर्णिम रहा अतीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।
आजाद-भगत-गाँधी को मारे,इन दोनों की चाल,
गर्वोन्नत फिर कहाँ रह गया,झुका हुआ यह भाल।
बोल तुगलकी बर्छी जैसे,लागे कठिन कराल,
कलम गीत लिख कर आवाहन,करती मेरे लाल।
इधर-उधर से हाथ बढ़ायें,टूटे उर की भीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।
तीस कोटि हिंदू को बंधक,क्यों रखे इस्लाम,
हमको बाँटे दो विभक्ति में, साधे अपना काम।
राम कृष्ण के हम सब वंशज,सकल हमारे धाम,
किसने यह दीवार बनाई,सोच सुबह अब शाम।
जो पहले जागेगा भाई,उसकी होगी जीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।
नहीं स्वार्थ के अंधे बनना,एक शर्त है भ्रात,
जिसको अपना कहना उससे,कभी न करना घात।
उर की प्रीत भरी सरिता हो,रहे सदा उमड़ात,
करे सुनिश्चित जीत देश की,बस इतनी सी बात।
खेमेश्वर कुछ गैर यहाँ पर,शेष हमारे मीत,
आप गीत के बोल बोल दें,और लिखूँ मैं गीत।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057