राज अधिकार तो छीन लिए तुमने
राजा जैसा हुनर कहाँ से लाओगे?
बोलो साहस इतना तुम, भला कहाँ से पाओगे!
दुर्योधन सा सिंहासन है मिला
युद्धिष्ठर से पूजनीय तुम कैसे कहलाओगे?
हमारे अंदर ज्ञान का लौ आलोकित है
अंधेरो से न हम घबराएंगे।
फ़िक्र तुम अपनी करो ऐ नेताओं
खैरात की चांदनी में कब तक नहाओगे?
अमावस की काली रातों में
तुम औंधे मुह गिर जाओगे।
राम राज जब भी आयेगा,
हर सिंहासन पर हमको ही तुम पाओगे
यदि हमें नजरअंदाज करोगे,
दुनिया को इतिहास किसके बतलाओगे
राज अधिकार भले गया पर गुण हमारे गाओगे
आज भी ढूंढ लो लोगों के दिलों में राज हमारे पाओगे ।।
राज अधिकार तो छीन लिए तुमन
राजा जैसा हुनर कहाँ से लाओगे?
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