बात बनाय ला सीख गे हे
रचना:- खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 7828657057/8120032834
संबंध ला मोर यार निभाय ल सीख गे हे
हाँ, उहू अब आँख चुराय सीख गे हे
वो हे मदारी, मैं हंव जमूरा दुनिया के
पा के इशारा बात बनाय ल सीख गे हे
सफेद झूठ मा डाल के कंबल शब्दन के
अपन हर करतूत छिपाय ला सीख गे हे
दिल दरपन रिहिस, सब कुछ सच कहि देय
ओखरो घलो ए बात दबाय ल सीख गे हे
ओहू हूंसियार रहिच, तेनाे सियासत सीख डरिस
धोखा देके, हाथ मिलाय बर सीख गे हे
ओला दे दव नेता पद के खुर्सी, वो
वादे करे अऊ करके भुलाय ल सीख गे हे
सीख गेस सुर-ताल मिलाय तहूं ‘खेमेस्वर’
अब तैं मोला बेंदरा नाच नचाय ल सीख गे हे।।
बात बनाय ल सीख गे हे तैं तो
बात बनाय ल सीख गे हे।।
No comments:
Post a Comment