अरे उन मुर्खों धुर्तो से पुछो,
उनकी भी तो बहन होगी;
गर उनके साथ होता है तो,
उनको क्या ये सहन होगी;
उनके जैसे ही सबकी बहनों,
को क्यों नहीं वो देता मोल;
हवस की अंधी दौड़ में कैसे,
भाजी के जैसे देता वो तोल;
अरे मैं कहता हूं....
अरे मैं कहता हूं....
उनके बहनों के हाथों ही
जब सरेआम फांसी होगी,
तन मन संग रूह कांपेगी
इन पर असर ये आम होगी
फिर आने वाले जन्मों में भी इनसे,
कभी न ऐसा घिनौना "काम" होगी!!!
कभी न ऐसा घिनौना काम होगी...!!!
✒ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली छत्तीसगढ़, 7828657057
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