*बुरा मान जाहीं*
वर्तमान भारतीय धरातल की स्थिति पर आधारित
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 7828657057
सुन लव, देख लव, कर लव बरदाश
बोलहव झैन कुछु नई ते उन बुरा मान जाहीं।
उन बड़े हें, तुमन छोटे हव अतके बात बहुत हे
अऊ कुछु पुछहू झैन उन बुरा मान जांहीं।
सरकार निकम्मा हे फेर ले वोट झैन देहू
चुप रहव नेता जी हरे उन बुरा मान जाहीं।
बिकट नेतागिरी करथे ए नानकून टूरा
मंत्री साहब के हे बेटा उन बुरा मान जाहीं।
अरे देखव उमन ला करत हें देंवतन के अपमान
रोकव मत, धरम के हें ठेकेदार बुरा मान जाहीं।
कोनो डहर ले सहीं नई हे उंखर नसीहत तभो
चुपेचाप मान लव नई ते उन बुरा मान जाहीं।
केतका ढीठ है, जिद्दी हे दाई ए नवा पहुंना
मत बोल, घर के हरे दामाद बुरा मान जाहीं।
सूरत हे बेंदरा कस,अऊ चाहत हुस्ने दीदार
कहव झइन कुछु बड़े आदमी हरैं, बुरा मान जाहीं।।
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