मोला मोर गांव ले मिलादे
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया राजा"
मुंगेली-छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-७८२८६५७०५७
संझा के लुक लुकउल
अऊ कई ठन किस्सा कहनी
जेकर ले फुटे तेखर ले लड़न
करउनी वाले दुहनी
वो नानपन के सुघ्घर बिहान
वो हमर ढेलुवा वाले दइहान
वो ट्रैक्टर के सवारी
वो जुन्ना बईलागाड़ी
वो जुन्ना बर के पेड़
वो हमर खेत के मेढ़
वो चिरई मन के चहकना
वो मोंगरा फूल के महकना
फेर धीरे-धीरे गांव
बड़े बड़े बेल्डिंग म
बदल गे हे!
अब्बड़ हल्ला अऊ
गाड़ियों के शोर ले
प्रदुसन सबल गे हे
बांच गे गाड़ी मन
गंदगी भरे धुआं
जेखर ले परेशान सबो हे
कोलिहा नि करे हुंआ
सूरूज अब भुंइया के
पास आ गे हे
भौतिकता का नशा
हर कोई ऊपर छा गे हे
आदमी ल आदमी ले
मिले बर नईये फुरसत
भाईचारा अऊ इंसानियत
इंहा करत हवे रुखसत
ऐ नवा जंगल ले
कोई अब तो निकाल दे
हे परमात्मा एक पइत फेर ले
मोला मोर गांव ले मिलादे...
मोला मोर गांव ले मिलादे....
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