वाह रे जमाना तोरो हद हो गे..!!...
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया राजा"
मुंगेली-छत्तीसगढ़ ८१२००३२८३४
आप सब ले हाथ
जोड़के विनती हे,
ए रचना ल जादा ले जादा अपन संगवारी, रिश्तेदार ,अऊ कलजुगी लड़की मन ल खासकर के जेन अपन पति ल एखर बर मजबूर करथें काबर के उहूं मन एक दिन मां बनथे। तो सब्बो मन ल भेजव🙏🏻
ऊंखर मन में अपन माँ के प्रति दया के भावना आ जाय अऊ माँ उपर होवइया अत्याचार ले
माँ ल छुटकारा मिल जाय!
मेरी मां दुनिया में नहीं है लेकिन दूसरों को मां की सेवा करते देख खुद को कोसने का एक मौका तो मिल जाय इसी बहाने।*
❤💓💘💕💞
सोचव के माँ के दिल म का गुजरथे जब ये ऊंखर साथ होथे:~
🔆वाह रे जमाना तोरो हद हो गे,
गोसइन के आगू मरद रद्द हो गे!
बड़ तकलीफ़ ले जेन पाले रिहिस,
आज वो मोहताज हो गे!
अऊ काल के टूरी, तोर
सर के ताज हो गे !
डइकी हमदर्द अउ दाई मुड़ के दरद
हो गे !
🔆वाह रे जमाने तोरो हद .........
पेट म सोवावय तेन , गोड़ डहर
सोवत हे!
बाई बर लाने लिम्का,
दाई पानी बर रोवत हे !
♻सुनत नई हे कोनो, ओ चिहरत
चिल्लावत सो गे !
🔆वाह रे जमाने तोरो हद .........
दाई मांजथे बर्तन , ओ सजत
संवरत हे !
अभी ल न मांजेश डोकरी तैं ,
इसन कही ओखर बर बरसत हे !
अरे दुनिया पुरा मरत हे ,
मउत कति डहान सो गे !
🔆वाह रे जमाने तोरो हद ..........
अरे जेन हर कोख में पालिस,
तेखर छांव घिन अब लगथे,
बैठे होण्डा में महबूबा,
खांध म हाथ ल ओ तो रखते,
वो याद अतीत के ,
वो मया ममता दाई के,
सबो रद्द हो गे !
🔆 वाह रे जमाने तोरो हद ...........
बेबस होगे मॉ अब,
देय टुकड़ा म तो पलथे,
अतीत ल सुरता करके ओ,
तोर नान्हेंपन पाये बर मचलथे !
अरे मुसीबत जेन उठावय,
वो खुद मुसीबत हो गे!
🔆 वाह रे जमाने तोरो हद हो गे.......!!!
😢😢😢😢😢😢
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