#दाई_सहिच_के_भगवान_हे!!
रचनाकार: पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया"
मुंगेली-छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-७८२८६५७०५७
दाई सवैया अऊ दोहा जइसे
तुलसी की चौरा जइसे
दाई मीरा के मया जइसे
दाई हे कान्हा के दया जइसे
दाई वेद के मूल चेतना
दाई गीता की वाणी जइसे
दाई तांतरिक के सिद्धि सुक्त
लोकोक्तर कल्यानी-जइसे
दाई दुवारी के तुलसी जइसे
दाई बर पीपर के छांव जइसे
दाई कविता के सहज वेदना
महाग्रंथ के नांव-जइसे
दाई अषाढ़ की पहिली बरसा
सावन की पुरवाई-जइसे
दाई बसन्त के सुग्घर उजियार
बगिया की अमराई-जइसे
महानदी के स्याम लहर
शिवनाथ के गहराई-जइसे
दाई आगर के निर्मल धारा
डोंगरगड़ के ऊँचाई-जइसे
दाई ममता के मानसरोवर
मैकाल श्रेणी-कस लाजिम हे
दाई श्रृद्धा के आदि शक्ति
रतनपुर अऊ ,राजिम हे
दाई भुंइया के हरियर दुबि
दाई केशर की खेत हे
पूरा दुनिया निछावर जेखर बर
दाई के फोटू, दुर्गा के नेत हे
दाई धरती के धैर्य सरीख
दाई ममता के खान हे
दाई के जइसे कोनों नई हे
दाई तो सहिच के भगवान हे!!
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