(पाकिस्तान पर कविता)
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 8120032834
अधरां ल दर्पण का देना,
भैरा ल भजन सुनाना का,
जेन लहू पिये टकरहा हे,
गंगा के जल पिलाना का,
हमी मन जेला आँखीे देहन
वो हमला आँख दिखावथे,
हम शांति जग में लगे रथन ते,
उन सफेद परेवा खावथे,
वो छल मे छल करत आयिस,
हम अड़े रहि गेन विश्वास म,
कतकाे समझौता थोप दे हेन,
हमन लइका के लाश म,
अब लाश घलो ये बोल उठे हें,
मत अंतर्मन म घात करव,
दुश्मन जेन भाषा समझ सके,
अब ओही भाषा म बात करव,
उन झाडी हे,हम बरगद हन,
उन हे बंभरी हम चन्दन हन,
ओमन भीड़ गहबऱ वाले त
हमर शेर करत अभिनन्दन हें,
ऐ पाक तुम्हार धमकी ले,
ये भुंइया नही डरय वाले,
ये अमर सनातन माटी हे,
ये कभू नई मरय वाले,
तुमन भूला गेव सन अड़तालिस,
तुमन भूला गेव सन पैसठ ला,
तुमन भूलवे सन इकहत्तर,
तुम भूल गेहव करगिल के रण,
हिमगिरि म लिखे कहानी रहिस
इस्लामाबादी गुंडा ला जब
बेटा याद दिलाये नानी रहिस,
बिगड़ैल कोनो लइका जइसे
आलाप तुम्हार तो लगथे रे
तुम भूल गे हव रिश्ते में
भारत बाप तुम्हार लगथे रे
बेटा पिटे के आदी है,
बेटा पक्का जेहादी है,
शायद बेटे के किस्मत में,
बर्बादीच बर्बादी हे,
तोर बर्बादी में खुद ला,
बर्बाद नई होवन दन,
हम भारत माँ के छाती म
जेहाद नईं होवन दन,
तैं रख हथियार उधारी के,
हम अपन दम ले लड़ लेबो,
गर एटम बम से लड़ना हे
तो एटम बम से लड़ लेबो,
जब तक तैं बटन दबाबे,
हम पृथ्वी नाग चला देबोे,
तैं जब तक दिल्ली खोजबे बेटा,
हमन तो पूरा पाक जला देबोे..
हमन तो पूरा पाक जला देबोे..!!
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